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डिजिटल अरेस्टः साइबर फ्रॉड का नया तरीक़ा (Digital Arrest: New method Of Cyber Fraud)

सुनने में थोड़ा अटपटा ज़रूर लगता है, आए दिन डिजिटल अरेस्ट के नए-नए केसेस सुनने को मिल रहे हैं, जिसके ज़रिए साइबर स्कैमर्स मिनटों में आपका पूरा अकाउंट खाली कर सकते हैं. इसमें होता यह है कि व्यक्ति विशेष को धोखे से डर का शिकार बनाकर पैसे वसूले जाते हैं. उन्हें फोन कॉल्स और वीडियो कॉल्स के ज़रिए डराया-धमकाया जाता है. एकमुश्त रकम मांगी जाती है. भय और कंफ्यूजन की स्थिति में पीड़ित व्यक्ति डिमांड की हुई रकम देने के लिए मजबूर भी हो जाता है. इस तरह शख़्स साइबर क्राइम का शिकार हो जाता है और इसे ही कहते हैं डिजिटल अरेस्ट.

दिलचस्प पहलू यह है कि ऑनलाइन हो रहे इस तरह के डिजिटल अरेस्ट द्वारा बड़ी तादाद में फ्रॉड हो रहे हैं. जब तक पीड़ित व्यक्ति इस धोखाधड़ी को समझ पाता है, तब तक वह मानसिक रूप से प्रताड़ित होकर धोखाधड़ी का शिकार हो चुका होता है.

डिजिटल अरेस्ट में अपराधी कई तरह की टेकनोलॉजी का इस्तेमाल करते हैं. इसमें वे पीड़ित शख़्स को इस बात का विश्‍वास दिलाने में सफल हो जाते हैं कि उन्हें डिजिटल अरेस्ट कर लिया गया है. वीडियो कॉलिंग यानी वीडियो कॉन्फ्रेंसिग सॉफ्टवेयर के ज़रिए वे टारगेट को अपने साथ रहने के लिए मजबूर कर देते हैं. ऑनलाइन फ्रॉड के इस तरह के शिकार बड़े पैमाने पर हो रहे हैं. साइबर अपराध के इस नए ट्रेंड ने लोगों को अच्छा-ख़ासा परेशान कर रखा है. इस ठगी में व्यक्ति के दिलोदिमाग़ को नियंत्रण कर लेने का फॉर्मूला अधिक काम करता है.

फोन कॉल या वीडियो कॉल द्वारा क्रिमिनल पीड़ित को ये विश्‍वास दिलाते हैं कि उन्होंने जाने-अनजाने में ग़लत कर दिया है. उन्हें इस कदर मानसिक रूप से टार्चर कर दिया जाता है कि उससे निकलने व बचने के लिए वे कुछ भी करने को तैयार हो जाते हैं और अपने लाखों रुपयों को मिनटों में गंवा बैठते हैं.

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डिजिटलाइजेशन के दौर में जहां हमें ढेर सारी सुविधाएं मिली हैं, तो वहीं कई सारे फ्रॉड और अपराध भी हो रहे हैं. आइए जानते हैं डिजिटल अरेस्ट में अपराधी क्या-क्या हथकंडे अपनाते हैं.

  • इस नए घोटाले में क्रिमिनल कानून प्रवर्तन अधिकारियों के रूप में आते हैं और दहशत का माहौल बनाकर रुपयों की मांग करते हैं.
  • कॉल करने वाले झूठा दावा करते हैं कि पीड़ित ने वित्तीय धोखाधड़ी, ड्रग तस्करी या मनी लॉन्ड्रिंग जैसे अपराध अनजाने में किए हैं.
  • यदि पीड़ित उनकी बात को मानने से इनकार करते हैं, तो वे तुरंत गिरफ़्तारी की धमकी देकर उसे तत्काल कार्रवाई की बात कहकर डराते हैं.
  • सब मैनेज और कंट्रोल में रखने के लिए व्यक्ति विशेष को वीडियो कॉल पर काफ़ी देर तक समय बिताने के लिए कहा जाता है. इससे वे मदद मांगने या जानकारी की दोबारा जांच करने से बच जाते हैं.
  • पीड़ित व्यक्ति से पैसे वसूलने के लिए क्रिमिनल जमानत के लिए जल्दी भुगतान करने के लिए भी कहते हैं.

  • डिजिटल अरेस्ट में किसी को कुरियर का झांसा दिया जाता है कि ग़लत पैकेट उनके नाम आ गया है और उसमें ड्रग्स है, जिससे आप फंस सकते हैं.
  • या उनसे कहा जाता है कि उनके बैंक अकाउंट में फाइनेंशियल फ्रॉड रिलेटेड लेन-देन हुआ है.
  • मनी लॉन्ड्रिंग का डर भी आज़माया जाता है.
  • लोगों को भयभीत करके ऑनलाइन पैसे ट्रांसफर कराए जाते हैं.
  • यदि किसी के पास फिरौती के पैसे देने के लिए नहीं है, तो उन्हें लोन लेकर पेमेंट करने के लिए भी मजबूर किया जाता है.
  • धोखाधड़ी के इस मामले में यह भी देखा गया है कि किसी के पास यदि लोन लेने वाले ऐप्स नहीं हैं, तो उनसे जबरन उन ऐप्स को डाउनलोड कराया जाता है, ताकि पैसे वसूले जा सकें.
  • ़डिजिटल अरेस्ट में ग़लत ढंग से सिम कार्ड लेने से लेकर बैंक में अकाउंट खोलने तक का काम अपराधी करते हैं. फिर उनके पैसे ट्रांसफर किए जाते हैं.
  • इसके अलावा गेमिंग ऐप व क्रिप्टो से हवाला के ज़रिए पैसे विदेश भेजे जाते हैं.
  • गैरक़ानूनी ढंग से लोगों के आधार कार्ड, पैन कार्ड व दूसरे ज़रूरी डेटा को एकत्र करके अपराधी अपना पूरा मकड़जाल फैलाते हुए यह काम करते हैं.
  • अपराधी पीड़ित को सूचित करते हैं कि अवैध वस्तुओं वाले पार्सल को रोक दिया गया है और उन्हें अपराध में फंसाया गया है.
  • फ्रॉड करनेवाले दावा करते हैं कि परिवार का कोई सदस्य इस अपराध में शामिल है और उसे तुरंत पैसों की ज़रूरत है.
  • पीड़ित पर अपने आधार या फोन नंबर का अवैध गतिविधियों के लिए उपयोग करने का आरोप लगाया जाता है. कई केसेस में तो दो-तीन दिन तक डिजिटल अरेस्ट किया गया है.

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महिलाएं अधिक शिकार…
डिजिटल अरेस्ट की महिलाएं अधिक शिकार हो रही हैं. हाल ही में नोएडा की एक महिला के साथ डिजिटल अरेस्ट द्वारा कम से कम बारह लाख की धोखाधड़ी की गई. एक अनजान नंबर से महिला को फोन आया. उन्हें सूचित किया गया कि उनके इंटरनेशनल फेडेक्स पार्सल को कैंसल किया जा रहा है. फिर कॉल कस्टमर केयर के ऑफिसर्स को ट्रांसफर कर दिया गया. बताया गया कि उनका फॉरेन जा रहा पार्सल मुंबई एयरपोर्ट पर पकड़ लिया गया है और उसमें ड्रग्स और कई आपत्तिजनक सामान मिले हैं. पीड़िता के कहने पर कि उसने ऐसा कोई पार्सल नहीं भेजा है, तब साइबर क्राइम डिपार्टमेंट में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो, मुंबई बताकर उनका किसी ऑफिसर से बात कराया गया. स्काइप पर वीडियो कॉल करके यह भी कहा गया कि उनकी बात डीजीपी से हो रही है. ड्रग्स पार्सल को लेकर धमकियां भी दी गईं और बदनामी का डर भी दिखाया गया.
इस तरह के तमाम कॉल्स के ज़रिए पीड़िता को दिनभर डिजिटल अरेस्ट करके रखा गया. कहा गया कि उनके आधार कार्ड से आठ करोड़ रुपए की मनी लॉन्ड्रिंग हुई है. यदि वे बदनामी और क़ानूनी पचड़े से बचना चाहती हैं, तो एक निश्‍चित रकम उनके अकाउंट में ट्रांसफर कर दें. यदि छानबीन में वे निर्दोष साबित होती हैं, तो पैसे वापस उनके अकाउंट में रिफंड कर दिए जाएंगे. इस तरह डिजिटल अरेस्ट द्वारा उन शातिर अपराधियों ने क़रीब बारह लाख रुपए महिला से ऐंठ लिए. उसके बाद जब और पैसों की डिमांड हुई, तब महिला को फ्रॉड की शंका हुई और साइबर क्राइम में शिकायत करने पर ख़ुद के ठगे जाने के बारे में पता चला.   

सिटिजन अलर्ट

  • ध्यान रहे कि कोई भी सरकारी एजेंसी कभी भी ऑनलाइन पूछताछ नहीं करती.
  • यदि आपके साथ ऑनलाइन धोखाधड़ी हुई है, तो आप साइबर क्राइम के हेल्पलाइन नंबर पर रिपोर्ट करें.
  • डिजिटल अरेस्ट में पीड़ित को सरकारी एजेंसी का हवाला देकर ऑनलाइन डराया-धमकाया जाता है. उससे ज़ुर्माना भरने की मांग की जाती है. जबकि हक़ीक़त में डिजिटल अरेस्ट जैसा शब्द क़ानून में है ही नहीं. लेकिन क्रिमिनल ने अपनी सुविधा के अनुसार इसकी उत्पत्ति कर दी है.

दिल्ली-एनसीआर में चार सौ करोड़ रुपए के फ्रॉड के इस तरह के क़रीब छह सौ केसेस प्रकाश में आए हैं. ये तो रिपोर्टेड आंकड़े हैं, जबकि न जाने कितने मामले रिकॉर्ड में आए ही नहीं होंगे.

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कैसे बचें डिजिटल अरेस्ट से…

  • सबसे महत्वपूर्ण बात यह समझें कि सरकारी एजेंसी सीधे शख़्स से मिलकर जांच-पड़ताल करती है. यानी कोई भी सरकारी एजेंसी ऑनलाइन पूछताछ नहीं करती.  
  • यदि आपके साथ ऐसा हो रहा है कि ऑनलाइन सवाल-जवाब किए जा रहे हैं, तो साइबर हेल्पलाइन नंबर पर इसकी शिकायत कर सकते हैं.
  • साथ ही लोकल पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट करके उनसे भी मदद ली जा सकती है.
  • गौर करनेवाली बात यह है कि यदि आपके साथ हुई धोखाधड़ी की रिपोर्ट आप पुलिस को घंटेभर के अंदर कर देते हैं, तो ट्रांसफर हुए पैसे के वापस पाने की गुंजाइश अधिक रहती है.
  • अज्ञात नंबरों से आने वाले कॉल का जवाब देने से बचें, खासकर उन नंबरों से जो सरकारी एजेंसियां होने का दावा करते हैं.
  • अगर आपको कानून प्रवर्तन अधिकारी होने का दावा करनेवाले किसी व्यक्ति से कॉल आती है, तो आधिकारिक चैनलों के माध्यम से सीधे एजेंसी से संपर्क करके उनकी पहचान को वैरिफाई करें.
  • डिजिटल अरेस्ट के मामले में अपराधी को धोखाधड़ी करने, ग़लत डॉक्यूमेंट बनाने से लेकर सरकारी एजेंसी को गुमराह करने तक की
    सज़ा होती है. साथ ही ट्राई के क़ानून द्वारा ग़लत सिम कार्ड लेने, मनी लॉन्ड्रिंग, आईटी एक्ट द्वारा भी सज़ा के प्रावधान हैं.

फोन कॉल्स, ईमेल, वीडियो कॉल्स, सोशल मीडिया मैसेजेस द्वारा लोगों के साथ धोखाधड़ी करने के इन बढ़ते मामलों को रोकने के लिए जहां लोगों को सचेत होना होगा, तो वहीं पुलिस, साइबर क्राइम विभाग को भी तेज़ी दिखानी होगी, ताकि सही समय पर अपराधी पकड़े जा सके.

डिजिटल धोखाधड़ी
हाल ही में गुजरात में ऑनलाइन धोखाधड़ी  का एक बड़ा रैकेट पकड़ा गया. यह गैंग हर रोज़ क़रीब दस करोड़ की ठगी करते थे. भारतभर से अब तक 450 केस इन पर दर्ज़ हुए थे. इन्होंने इस लूट से पांच हज़ार करोड़ की रकम चीन-ताइवन भेजी थी. ये अपराधी धोखाधड़ी के लिए गेमिंग ऐप, शेयर मार्केट इंवेस्टमेंट, डिजिटल अरेस्ट का तरीक़ा अपनाते थे. इनके ठिकानों से 761 सिम कार्ड, 120 मोबाइल, 96 चेकबुक, 92 डेबिट कार्ड व 42 बैंक पासबुक मिले. इन्होंने अहमदाबाद के पॉश इलाके के
बुज़ुुर्ग को दस दिन डिजिटल अरेस्ट में रखकर क़रीब 80 लाख रुपए भी ऐंठे थे. इसमें चार ताइवानी नागरिक भी गिऱफ़्तार हुए हैं. इसके साथ डिजिटल धोखाधड़ी में चीन व ताइवान माफिया के अधिक सक्रिय होने का भी खुलासा हुआ.

– ऊषा गुप्ता

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