दिलचस्प पहलू यह है कि ऑनलाइन हो रहे इस तरह के डिजिटल अरेस्ट द्वारा बड़ी तादाद में फ्रॉड हो रहे हैं. जब तक पीड़ित व्यक्ति इस धोखाधड़ी को समझ पाता है, तब तक वह मानसिक रूप से प्रताड़ित होकर धोखाधड़ी का शिकार हो चुका होता है.
डिजिटल अरेस्ट में अपराधी कई तरह की टेकनोलॉजी का इस्तेमाल करते हैं. इसमें वे पीड़ित शख़्स को इस बात का विश्वास दिलाने में सफल हो जाते हैं कि उन्हें डिजिटल अरेस्ट कर लिया गया है. वीडियो कॉलिंग यानी वीडियो कॉन्फ्रेंसिग सॉफ्टवेयर के ज़रिए वे टारगेट को अपने साथ रहने के लिए मजबूर कर देते हैं. ऑनलाइन फ्रॉड के इस तरह के शिकार बड़े पैमाने पर हो रहे हैं. साइबर अपराध के इस नए ट्रेंड ने लोगों को अच्छा-ख़ासा परेशान कर रखा है. इस ठगी में व्यक्ति के दिलोदिमाग़ को नियंत्रण कर लेने का फॉर्मूला अधिक काम करता है.
फोन कॉल या वीडियो कॉल द्वारा क्रिमिनल पीड़ित को ये विश्वास दिलाते हैं कि उन्होंने जाने-अनजाने में ग़लत कर दिया है. उन्हें इस कदर मानसिक रूप से टार्चर कर दिया जाता है कि उससे निकलने व बचने के लिए वे कुछ भी करने को तैयार हो जाते हैं और अपने लाखों रुपयों को मिनटों में गंवा बैठते हैं.
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डिजिटलाइजेशन के दौर में जहां हमें ढेर सारी सुविधाएं मिली हैं, तो वहीं कई सारे फ्रॉड और अपराध भी हो रहे हैं. आइए जानते हैं डिजिटल अरेस्ट में अपराधी क्या-क्या हथकंडे अपनाते हैं.
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महिलाएं अधिक शिकार…
डिजिटल अरेस्ट की महिलाएं अधिक शिकार हो रही हैं. हाल ही में नोएडा की एक महिला के साथ डिजिटल अरेस्ट द्वारा कम से कम बारह लाख की धोखाधड़ी की गई. एक अनजान नंबर से महिला को फोन आया. उन्हें सूचित किया गया कि उनके इंटरनेशनल फेडेक्स पार्सल को कैंसल किया जा रहा है. फिर कॉल कस्टमर केयर के ऑफिसर्स को ट्रांसफर कर दिया गया. बताया गया कि उनका फॉरेन जा रहा पार्सल मुंबई एयरपोर्ट पर पकड़ लिया गया है और उसमें ड्रग्स और कई आपत्तिजनक सामान मिले हैं. पीड़िता के कहने पर कि उसने ऐसा कोई पार्सल नहीं भेजा है, तब साइबर क्राइम डिपार्टमेंट में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो, मुंबई बताकर उनका किसी ऑफिसर से बात कराया गया. स्काइप पर वीडियो कॉल करके यह भी कहा गया कि उनकी बात डीजीपी से हो रही है. ड्रग्स पार्सल को लेकर धमकियां भी दी गईं और बदनामी का डर भी दिखाया गया.
इस तरह के तमाम कॉल्स के ज़रिए पीड़िता को दिनभर डिजिटल अरेस्ट करके रखा गया. कहा गया कि उनके आधार कार्ड से आठ करोड़ रुपए की मनी लॉन्ड्रिंग हुई है. यदि वे बदनामी और क़ानूनी पचड़े से बचना चाहती हैं, तो एक निश्चित रकम उनके अकाउंट में ट्रांसफर कर दें. यदि छानबीन में वे निर्दोष साबित होती हैं, तो पैसे वापस उनके अकाउंट में रिफंड कर दिए जाएंगे. इस तरह डिजिटल अरेस्ट द्वारा उन शातिर अपराधियों ने क़रीब बारह लाख रुपए महिला से ऐंठ लिए. उसके बाद जब और पैसों की डिमांड हुई, तब महिला को फ्रॉड की शंका हुई और साइबर क्राइम में शिकायत करने पर ख़ुद के ठगे जाने के बारे में पता चला.
सिटिजन अलर्ट
दिल्ली-एनसीआर में चार सौ करोड़ रुपए के फ्रॉड के इस तरह के क़रीब छह सौ केसेस प्रकाश में आए हैं. ये तो रिपोर्टेड आंकड़े हैं, जबकि न जाने कितने मामले रिकॉर्ड में आए ही नहीं होंगे.
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कैसे बचें डिजिटल अरेस्ट से…
फोन कॉल्स, ईमेल, वीडियो कॉल्स, सोशल मीडिया मैसेजेस द्वारा लोगों के साथ धोखाधड़ी करने के इन बढ़ते मामलों को रोकने के लिए जहां लोगों को सचेत होना होगा, तो वहीं पुलिस, साइबर क्राइम विभाग को भी तेज़ी दिखानी होगी, ताकि सही समय पर अपराधी पकड़े जा सके.
डिजिटल धोखाधड़ी…
हाल ही में गुजरात में ऑनलाइन धोखाधड़ी का एक बड़ा रैकेट पकड़ा गया. यह गैंग हर रोज़ क़रीब दस करोड़ की ठगी करते थे. भारतभर से अब तक 450 केस इन पर दर्ज़ हुए थे. इन्होंने इस लूट से पांच हज़ार करोड़ की रकम चीन-ताइवन भेजी थी. ये अपराधी धोखाधड़ी के लिए गेमिंग ऐप, शेयर मार्केट इंवेस्टमेंट, डिजिटल अरेस्ट का तरीक़ा अपनाते थे. इनके ठिकानों से 761 सिम कार्ड, 120 मोबाइल, 96 चेकबुक, 92 डेबिट कार्ड व 42 बैंक पासबुक मिले. इन्होंने अहमदाबाद के पॉश इलाके के
बुज़ुुर्ग को दस दिन डिजिटल अरेस्ट में रखकर क़रीब 80 लाख रुपए भी ऐंठे थे. इसमें चार ताइवानी नागरिक भी गिऱफ़्तार हुए हैं. इसके साथ डिजिटल धोखाधड़ी में चीन व ताइवान माफिया के अधिक सक्रिय होने का भी खुलासा हुआ.
– ऊषा गुप्ता
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