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साइबर किडनैपिंग अपराधियों का नया जुगाड़ (What Is Cyber Kidnapping.. How Do We Protect Ourselves?)

क्राइम करनेवाले अक्सर धोखाधड़ी करने के नए-नए तरीक़े आज़माते रहते हैं. अब एक नया फार्मूला साइबर किडनैपिंग का अपराधियों ने अपनाना शुरू कर दिया है. ऑनलाइन फ्रॉड तो होते ही रहते हैं, पर साइबर किडनैपिंग में थोड़ा अलग क़िस्म का तरीक़ा अपना रहे हैं अपहरणकर्ता.


यूं देखा जाए तो साइबर क्राइम कई तरह के होते हैं, जिसमें फिशिंग, ऑनलाइन फ्रॉड, साइबर बुलिंग, रैनसमवेयर, चाइल्ड पोर्नोग्राफी, सॉफ्टवेयर चोरी, क्रेडिट कार्ड की धोखाधड़ी, पहचान की चोरी, साइबर स्टॉकिंग ये तमाम चीज़ें शामिल होती हैं.
अपराधी साइबर किडनैपिंग में जिस व्यक्ति को किडनैप करना रहता है उसकी पूरी जानकारी इकट्ठा करते हैं. फिर डरा कर, उसके परिवार को नुक़सान पहुंचाने के बारे में धमका कर उसे अपनी मनचाही जगह पर रहने को मजबूर करते हैं. साथ ही वीडियो कॉल करके या उसकी तस्वीरों को मंगाकर उस पर निगरानी भी रखते हैं.
इसके बाद किडनैपर परिवार को फोन करते हैं कि आपके व्यक्ति को हमने किडनैप कर लिया है. उसकी सलामती के लिए फिरौती की रकम की डिमांड करते हैं.


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आजकल साइबर किडनैपिंग का यह फॉर्मूला ख़ूब चल रहा है. चूंकि परिवारवाले डर जाते हैं और अपनों को बचाने के लिए वे उनकी मांग को मान लेते हैं. जबकि हक़ीक़त में अपहरण हुआ ही नहीं रहता. केवल एक फेक किडनैपिंग का दावा करके पीड़ित परिवार से पैसे ऐंठा जाता है.
हाल ही में अमेरिका में एक ऐसा ही मामला प्रकाश में आया था. जब एक 17 वर्षीय चाइनीज़ स्टूडेंट को डरा-धमका कर यूटा के जंगल में ठंड में कैंप लगाकर अकेले रहने को मजबूर किया गया था. फिर किडनैपर्स ने उस स्टूडेंट के चीन में रह रहे पैरेंट्स को क़रीब 70 लाख रुपए बैंक में ट्रांसफर करने के लिए कहा. पुलिस को इतला करने पर बच्चे को जान से मारने की धमकी भी दी गई थी.

अक्सर किडनैपर के लिए फॉरेन में पढ़ रहे स्टूडेंट सबसे सॉफ्ट टारगेट रहते हैं. क्योंकि इनको अपना शिकार बनना बहुत आसान रहता है. एक तो वे घर-परिवार से दूर रहते हैं और साइकोलॉजिकल दबाव भी अपनों पर पड़ता है. ऐसे कई केसेस साइबर सेल में आए भी हैं, जहां पर स्टूडेंट को डरा-धमका कर साइबर किडनैपिंग की गई.

इस तरह की ऑनलाइन ठगी में अपराधी व्यक्ति विशेष की नकली फोटोज़ और उसकी आवाज़ की वीडियो बनाने के लिए एआई की भी मदद ले रहे हैं. ऐसे में यह ज़रूरी हो जाता है कि हम सोशल मीडिया का इस्तेमाल सावधानी से करें.


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यहां पर हम कुछ ख़ास ज़रूरी बातें शेयर कर रहे‌ हैं,  जिस पर आप ध्यान देकर इस तरह की मुसीबत से बच सकते हैं.

  • सोशल मीडिया या मैसेंजर आदि पर अपनी पर्सनल इंफॉर्मेशन संक्षिप्त या सोच-समझ कर ही शेयर करें.
  • फैमिली में कौन कहां रहता है, उसकी क्या डेली रूटीन है, इस तरह की बातों को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर शेयर करने से बचें.
  • अक्सर देखा गया है कि कुछ लोग घर से बाहर जाने की जानकारी अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर भी डालते रहते हैं. वे कितने दिन बाद अपने घर पर आए हैं, उनका कितने दिनों का टूर है, यात्रा पर जाने की प्लानिंग ऐसी बातें भी पोस्ट करते हैं, जो नहीं करना चाहिए.
  • कुछ लोग तो अपने प्लानर की तस्वीर भी शेयर करते हैं, जिसमें ऐसी बहुत सारी जानकारियां रहती हैं, जिससे क्राइम करनेवाले को मदद मिलती है. वे इस तरह की बातों पर नज़र भी रखे रहते हैं. ऐसा न‌ करें.
  • किसी भी अनजान तरह की कोई भी लिंक पर क्लिक करने से बचें.
  • अपने मोबाइल का सॉफ्टवेयर हमेशा अपडेट रखें. पासवर्ड भी काफ़ी स्ट्रांग रखें, तो बेहतर है.
  • साइबर क्राइम में किडनैपर कंप्यूटर, मोबाइल, अन्य नेटवर्क के ज़रिए भी आपको नुक़सान पहुंचाने की कोशिश करते हैं, इसलिए इन पर आपका सचेत रहना बहुत ज़रूरी है.

एकबारगी देखें तो साइबर किडनैपिंग में व्यक्ति विशेष की वास्तविक तौर पर किडनैपिंग नहीं होती है, बल्कि उसके परिवार या अपनों को यह एहसास कराया जाता है कि व्यक्ति की किडनैपिंग हुई है. इसके लिए बदमाश एआई और डिपफेक की भी सहायता लेकर पीड़ित व्यक्ति की आवाज़ में कॉल करते हैं और छुड़ाने के लिए पैसों की डिमांड करते हैं. अपहरणकर्ता पीड़ित व्यक्ति और उसके परिवारवाले दोनों को अलग-अलग तरीक़े से फोन करते हैं और ख़तरे में होने का हवाला देकर पैसों की मांग करते हैं.
इसमें ख़ास तौर पर उस स्टूडेंट को दुनिया से यानी लोगों से कट जाने के लिए मजबूर भी करते हैं, जिससे परिवार चाह कर भी पता ना कर सके कि उनका बेटा या बेटी सही सलामत है कि नहीं. फिर वे किडनैपिंग का पैसा वसूल कर‌ लेते हैं. अपहरणकर्ता को पैसे दे देने के बाद पता चलता है कि बच्चे की किडनैपिंग तो हुई ही नहीं थी.


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पैरेंट्स अलर्ट

  • आप किडनैपर से सबूत के तौर पर अपने बच्चे से बात कराने के लिए कहें.
  • यदि वह किसी और व्यक्ति से बात करा रहा है, ऐसा आपको लगे, तो आप उससे कुछ ऐसे पर्सनल सवाल के जवाब मांगे जो आपको और आपके बच्चे को ही मालूम है, जैसे- कोई भी ख़ास पल, बातें जो आपने साथ बिताई है, जिसकी जानकारी आप दोनों को ही है.
  • अगर वह बात करने से इंकार करें, तो आप उसे सवाल करने के लिए भी कह सकते हैं. ऐसे समय में ठंडे दिमाग से सूझबूझ से काम लेना बहुत ज़रूरी होता है.
  • किडनैपर की आवाज़ पर ध्यान दें कि वह किस तरह से बोल रहा है या उसके पीछे कुछ आवाज़ आ रही है. इससे उस तक पहुंचने में सहायता मिल सकती है.
  • किडनैपर से बात करते समय‌ यदि हो सके तो दूसरे फोन से अपने बच्चे से कॉन्टेक्ट करने की कोशिश करें और उसकी सेफ्टी के बारे में पता चलते ही आप‌ जान जाएंगे कि फोन ऑनलाइन ठगी के लिए किया गया है.
  • ध्यान रहे कि जब भी इस तरह की साइबर किडनैपिंग के लिए किडनैपर फोन करें, तो एकदम से ना घबराएं और उसके कहने पर तुरंत कोई भी फ़ैसला लेने से भी बचें.
  • किडनैपर जो भी कह रहा हो, तो उसे उस समय के लिए हां ज़रूर कर दे, ताकि उसे यह एहसास हो जाए कि आप उसकी सभी बातों को मान रहे हैं, लेकिन उसके बाद साइबर सेल और पुलिस की सहायता ज़रूर लें.
  • हो सके तो किडनैपर के कॉल को रिकॉर्ड करें और उनके मैसेज का भी स्क्रीनशॉट ज़रूर लें.
  • यदि साइबर किडनैपिंग की इरादे से किडनैपर आपको फोन करता है, तो इसकी जानकारी आप परिवार में सभी को ज़रूर दें और उन्हें अलर्ट रहने के लिए कहें.

- ऊषा गुप्ता

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