जाने-माने अभिनेता, दिग्गज थिएटर आर्टिस्ट और ई.एन.टी सर्जन डॉ. श्रीराम लागू का कल शाम यानी 17 दिसंबर को निधन हो गया. 16 नवंबर 1927 को सातारा में जन्में डॉ. श्रीराम लागू पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे थे . 100 से अधिक हिंदी और मराठी फिल्मों में काम कर चुके डॉ. श्रीराम लागू के रिश्तेदार सुनील महाजन ने मीडिया को बताया कि शाम लगभग साढ़े सात बजे पुणे में उन्होंने अंतिम सांस ली. सिनेमा के अलावा मराठी, हिंदी और गुजराती थिएटर से जुड़े रहे डॉ. श्रीराम लागू ने 20 से अधिक मराठी नाटकों का निर्देशन भी किया. मराठी थिएटर में तो उन्हें 20वीं सदी के सबसे बेहतरीन कलाकारों में गिना जाता है.
डॉ. श्री राम लागू की मौत की खबर सुनते ही कई बॉलीवुड सेलिब्रिटीज़ ने सोशल मीडिया पर शोक व्यक्त किया. ऋषि कपूर ने शोक व्यक्त करते हुए लिखा कि R I P. अपने समय के सबसे नैचुरल एक्टर्स में से एक डॉ. श्रीराम लागू हमें छोड़कर चले गए. मैंने उनके साथ पहले बहुत सी फिल्में की, लेकिन दुर्भाग्यवश पिछले 25-30 सालों में उनके साथ काम करने का अवसर नहीं मिला. वे पुणे में रिटार्यड लाइफ बिता रहे हैं. लव यू डॉ. साहब.
एक्टर परेश रावल ने सांत्वना व्यक्त करते हुए लिखा कि महान थिएटर एक्टर डॉ. श्रीराम लागू साब नहीं रहे. ओम शांति. बॉलीवुड फिल्म डायरेक्ट मधुर भंडारकर ने ट्वीट किया कि डॉ. श्री राम लागू जी के निधन के बारे में सुनकर दुख हुआ. ये बहुत महान सोशलिस्ट और एक्टर थे. थिएटर और फिल्मों में उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी ने डॉ. श्रीराम लागू की मौत पर शोक व्यक्त करते हुए लिखा कि महान एक्टर डॉ. श्रीराम लागू की मौत के बारे में सुनकर दुख हुआ. उन्होंने मराठी फिल्मों, स्टेच और हिंदी फिल्मों में अभूतपूर्व योगदान दिया. उनके फैंस व परिवारवालों को मेरी ओर से सांत्वना. फिल्म डायरेक्टर अशोक पंडित ने लिखा कि 92 वर्ष की उम्र में डॉ. श्रीराम लागू के निधन के बारे में सुनकर दुख हुआ. थिएटर और फिल्म इंडस्ट्री उन्हें मिस करेगी. कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चौहान ने शोक व्यक्त डॉ. श्रीराम लागू जी के निधन के बारे में सुनकर दुख हुआ. वे न सिर्फ बेहतरीन एक्टर थे, बल्कि महाराष्ट्र में प्रोग्रेसिव व रैश्नलिस्ट मूवमेंट के सूत्रधार भी थे. मैं सामना में उनके किरदार को हमेशा याद करूंगा. उनके परिवार को मेरी ओर से सांत्वना.
आपको बता दें कि डॉ. श्रीराम लागू ने 42 साल की उम्र में डॉक्टरी का पेशा छोड़कर एक्टिंग की ओर रूख किया था. पुणे और मुंबई में पढ़ाई करने वाले श्रीराम लागू को एक्टिंग का शौक बचपन से ही था . पढ़ाई के लिए उन्होंने मेडिकल को चुना पर नाटकों का सिलसिला वहां भी चलता रहा. मेडकिल का पेशा उन्हें अफ्रीका समेत कई देशों में लेकर गया. वो सर्जन का काम करते रहे लेकिन मन एक्टिंग में ही अटका था. राम लागू ने हिंदी और मराठी फिल्मों में कई यादगार रोल किए. मसलन 1977 की फिल्म घरौंदा का वो उम्रदराज बॉस (मिस्टर मोदी) जो अपने ऑफिस में काम करने वाली एक युवा लड़की (जरीना वहाब) से शादी करता है. जरीना वहाब दरअसल अमोल पालेकर से प्यार करती है लेकिन अमोल पैसे के लालच में जरीना को मजबूर करता है कि वो डॉ. श्रीराम लागू से शादी करे. मगर धीरे-धीरे एक उम्रदराज मर्द और एक युवा लड़की के बीच प्यार पनपता है, घरौंदा उसकी खूबसूरत सी कहानी है । ये रोल आसानी से नेगेटिव शेड ले सकता था लेकिन श्रीराम लागू इसे बड़ी नजाकत से निभाते हैं. घरौंदा के लिए उन्हें फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ सहअभिनेता का अवॉर्ड मिला था. सिंहासन, सामना, पिंजरा जैसी मराठी फिल्मों और चलते-चलते, मुकद्दर का सिंकदर, सौतन और लवारिस जैसे कई हिंदी और मराठी फिल्मों में उन्होंने काम किया. रिचर्ड एटनब्रा की फिल्म गांधी में गोपाल कृष्ण गोखले का उनका छोटा सा रोल भी हमेशा याद रहता है, वही रोल जो उन्होंने बचपन में पुणे के अपने स्कूल में किया था. अभिनेता नसीरुद्दीन शाह ने एक बार कहा था कि श्रीराम लागू की आत्मकथा ‘लमाण’ किसी भी एक्टर के लिए बाइबल की तरह है.