नए मेहमान के आते ही घर में ख़ुशियां छा जाती हैं. क्या-क्या नहीं ख़रीदा जाता, लेकिन संभलकर. याद रहे, बच्चा ये चीज़ें ज़्यादा दिनों तक इस्तेमाल नहीं कर सकता, ख़ासकर कपड़े. इसलिए सोच-समझकर ख़र्च करें. बेहतर होगा बजट बनाकर चलें.
इस संबंध में दो तरह के मत हैं. कुछ एक्सपर्ट्स कहते हैं कि पहले ही पॉलिसी निकालना आवश्यक है, क्योंकि यदि बच्चे को कोई हेल्थ प्रॉब्लम हो जाती है तो वो कवर हो जाएगी. प्रॉब्लम होने के बाद पॉलिसी लेना काफ़ी ख़र्चीला हो जाता है. यदि बच्चे में हेल्थ प्रॉब्लम नहीं होती, तो जब यह पॉलिसी मैच्योर होती है, तब तक उच्च शिक्षा या शादी का समय आ जाता है और रकम काम में आ जाती है.
दूसरे मत के अनुसार, हेल्दी बच्चे में हेल्थ प्रॉब्लम का प्रतिशत बहुत कम होता है, अत: इस डर से या भविष्य की बचत की दृष्टि से यदि इंश्योरेंस किया जाता है तो मिलने वाली रकम बच्चे की वास्तविक ज़रूरत से बहुत कम होती है. अत: क्या करना है, इसका निर्णय पिता ख़ुद ही लें.
पिता गार्जियन की हैसियत से नाबालिग के पैन कार्ड हेतु अप्लाई कर सकते हैं. इसके लिए घर के पते का और आइडेंटिटी का प्रूफ़ देना पड़ता है. पैन कार्ड आने पर बच्चे के नाम से इन्वेस्टमेंट जहां चाहे, वहां किया जा सकता है.
इसमें ब्याज की दरें भी ज़्यादा हैं एवं यह निवेश सुरक्षित भी है. पूरी रकम 15 साल बाद ही निकाली जा सकती है, जो बच्चे के भविष्य की दृष्टि से अच्छा है. इसमें इनकम टैक्स में छूट भी मिलती है. सेविंग अकाउंट या रिकरिंग डिपॉज़िट एकाउंट खोलकर भी मासिक बचत की जा सकती है. यह कम से कम 100 रुपए से शुरू होता है. जब ज़्यादा हो जाए तो बैंक में फिक्स्ड डिपॉज़िट करवा दें. हां, रिकरिंग खाता भी चलने दें. कुछ ही सालों में अच्छी-ख़ासी रकम जमा हो जाएगी.
भले ही आपकी उम्र अभी कम है, परंतु यह ना भूलें कि एक न एक दिन आपको रिटायर होना है. यदि सेविंग बंद कर देंगे तो बाद में बढ़ते ख़र्चों के चलते सेविंग के लिए अचानक रकम कहां से लाएंगे, इसलिए सेविंग बंद ना करें.
शेयर्स में पैसे लगाने की सलाह इसलिए नहीं दी जाती, क्योंकि इसमें रिस्क है और बच्चे के लिए से़फ़्टी व सिक्योरिटी ज़्यादा महत्वपूर्ण है. इसके लिए सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान या म्युच्युअल फंड बेहतर हैं. सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान में एक निश्चित रकम हर महीने डाली जाती है. इसे कंपनियां अपनी तरफ़ से शेयर्स में लगाती हैं एवं फ़ायदा डिविडेंड के रूप में आपको दिया जाता है. ऐसा ही म्युच्युअल फंड में भी होता है. इसमें रकम खोने का कोई ख़तरा नहीं होता.
म्युच्युअल फंड में बच्चे के नाम से रकम डाली जा सकती है. पैन कार्ड होने से सब आसान हो जाएगा. हां, रकम ज़्यादा मिले तो नियमानुसार बच्चे की अलग से इनकम टैक्स फ़ाइल अवश्य करें. इस मामले में चार्टर्ड एकाउंटेंट से सलाह लें.
ध्यान रहे, नए शिशु के जन्म के बाद आप अपने ही नहीं, नए शिशु के लिए भी आर्थिक रूप से ज़िम्मेदार हैं, इसलिए अपना इंश्योरेंस करवाएं. जीवन का कोई भरोसा नहीं, हो सकता है आप बीमार हो जाएं, घायल हो जाएं या अनपेक्षित रूप से आपकी मृत्यु हो जाए. उस समय इनकम प्रोटेक्शन इंश्योरेंस काम आएगा.
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