Short Stories

बारिश पर गुलज़ार साहब की बेहतरीन नज़्में और शेर (Gulzar’s Best Nazm And Shayari On Barish)

भीगी-सी ये बारिश एहसास कराती है कई बातों का… महबूब से हुई मीठी मुलाकातों का… उसके ख़्वाबों में डूबी हुई रातों का, उमड़ते हुए उन जज़्बातों का… जो संग भीगे थे आप दोनों, उन बरसातों का… अगर इस बारिश उन्हीं एहसासात में फिर भीगने का मन करता है आपका, हर लफ्ज़ में मुहब्बत के भीगे एहसास शामिल करने का मन करता है. तो महबूब को लिख भेजिए बारिश पर लिखी गुलज़ार साहब के लिखे ये ख़ूबसूरत शेर और नज़्म, जिसके हर शब्द में सिर्फ मुहब्बत है.

बता किस कोने में सुखाऊं

तेरी यादें

बरसात बाहर भी है और

भीतर भी

************************************************************************

रहने दो कि अब तुम भी मुझे पढ न सकोगे

बरसात में कागज़ की तरह भीग गया हूं मैं

***********************************************************************

यह बारिश गुनगुनाती थी

इसी छत के मुंडेरों पर

ये घर की खिड़कियों के कांच पर

उंगली से लिख जाती थीं संदेशें….

************************************************************************

बारिश आती है तो मेरे शहर को कुछ हो जाता है

टीन की छत, तर्पाल का छज्जा, पीपल, पत्ते, पर्नाला

सब बजने लगते हैं

तंग गली में जाते-जाते,

साइकल का पहिया पानी की कुल्लियां करता है

बारिश में कुछ लंबे हो जाते हैं क़द भी लोगों के

जितने ऊपर हैं, उतने ही पैरों के नीचे पानी में

ऊपर वाला तैरता है तो नीचे वाला डूबके चलता है

************************************************************************

ख़ुश्क था तो रास्ते में टिक टिक छतरी टेक के चलते थे

बारिश में आकाश पे छतरी टेक के टप टप चलते हैं!

************************************************************************

मैं चुप कराता हूं हर शब उमड़ती बारिश को

मगर ये रोज़ गई बात छेड़ देती है

************************************************************************

बारिश होती है तो पानी को भी लग जाते हैं पांव

दर-ओ-दीवार से टकरा के गुज़रता है गली से

और उछलता है छपाकों में

किसी मैच में जीते हुए लड़कों की तरह

जीत कर आते हैं जब मैच गली के लड़के

जूते पहने हुए कैनवस के उछलते हुए गेंदों की तरह

दर-ओ-दीवार से टकरा के गुज़रते हैं

वो पानी के छपाकों की तरह

************************************************************************

देख कैसे बरस रहा

बस एक ही सुर में, एक ही लय पे सुबह से देख कैसे बरस रहा है उदास पानी

फुवार के मलमली दुपट्टे से उड़ रहे हैं

तमाम मौसम टपक रहा है

पलक पलक रिस रही है ये कायनात सारी

हर एक शय भीग भीग कर देख कैसी बोझल सी हो गई है

दिमाग़ की गीली गीली सोचों से भीगी भीगी उदास यादें टपक रही हैं

थके थके से बदन में बस धीरे धीरे सांसों का गर्म लोबान जल रहा है

Pratibha Tiwari

Share
Published by
Pratibha Tiwari

Recent Posts

सलमान खान के घर के बाहर चली गोलियां, बाइक पर सवार थे दो अज्ञात लोग, जांच में जुटी पुलिस (Firing Outside Salman Khan House Two People Came On Bike)

बॉलीवुड के भाईजान और फैंस की जान कहे जाने वाले सलमान खान के मुंबई स्थित…

April 14, 2024

लघुकथा- असली विजेता (Short Story- Asli Vijeta)

उनके जाने के बाद उसने दुकान को पूर्ववत ही संभाल रखा था.. साथ ही लेखिका…

April 13, 2024

त्यामुळे वेळीच अनर्थ टळला, सयाजी शिंदेंच्या प्रकतीत सुधारणा ( Sayaji Shinde Share Video About His Health Update)

माझी प्रकृती व्यवस्थित : अभिनेते सयाजी शिंदे सातारआता काळजी करण्यासारखं काही कारण नाही, असे आवाहन…

April 13, 2024
© Merisaheli