एक अलग किस्म की खनकती आवाज और गाने का अनोखा अंदाज़, यही पहचान है गायक भूपेंद्र सिंह की. उन्होंने गाया भी है- मेरी आवाज ही पहचान है, गर याद रहे… यह गीत उन पर बिल्कुल फिट बैठता है. वह बेहतरीन गज़लों और अर्थपूर्ण गीतों के लिए जाने जाते हैं.
किसी नज़र को तेरा इंतजार आज भी है…, होके मजबूर मुझे उसने भुलाया होगा… , दिल ढूंढ़ता है फिर वही…, एक अकेला इस शहर में…, जैसे नज़्मों को भला कौन भूल सकता है. भूपेंद्र के गाए गीतों ने संगीत प्रेमियों के दिल पर एक अलग छाप छोड़ी है. 77 साल के हो गए हैं भूपेंद्र जी.
मेरी सहेली (Meri Saheli) की ओर से आवाज़ के इस जादूगर को जन्मदिन की ढेरों शुभकामनाएं.
भूपेंद्र का जन्म 6 फरवरी, 1940 को अमृतसर के पंजाब में हुआ था. उनके पिता ने ही उन्हें संगीत की शिक्षा दी. करियर की शुरुआत में भूपेंद्र ने ऑल इंडिया रेडियो पर प्रस्तुति दी. मदन मोहन ने भूपेंद्र को फिल्म हकीकत में मोहम्मद रफ़ी साहब के साथ होके मजबूर मुझे उसने भुलाया होगा… गाने का मौका दिया. यह गाना बहुत लोकप्रिय हुआ, लेकिन भूपेंद्र को इससे कोई ख़ास पहचान नहीं मिली. इसके बाद भूपेंद्र ने स्पैनिश गिटार और ड्रम के सहारे कुछ गज़लें पेश कीं. साल 1978 में रिलीज़ वो जो शहर था से उन्हें प्रसिद्धि मिली.
उनके जन्मदिन के मौक़े पर भूपेंद्र सिंह के गाए 5 बेहतरीन नगमें देखते हैं,
फिल्म- किनारा
फिल्म- मौसम
फिल्म- एतबार
फिल्म- घरौंदा
फिल्म- बाज़ार
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