Hema malini

हेमा मालिनी: टीनएजर्स को संभालना मुश्किल होता है (Hema Malini: Teenagers Are Difficult To Handle)

पैरेंटिंग एक बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी होती है, ख़ासतौर से टीनएजर्स को संभालना सचमुच में एक बड़ी चुनौती है. बच्चे जब बड़े हो रहे होते हैं, तो न स़िर्फ बच्चे बदलाव के दौर से गुज़रते हैं, बल्कि पैरेंट्स के मन में भी बहुत कुछ चलता रहता है. जब वो देखते हैं कि बच्चे उनसे ज़्यादा दोस्तों के साथ व़क्त बिता रहे हैं, उनका कम्युनिकेशन भी कम हो रहा है, तो पैरेंट्स भी सोच में पड़ जाते हैं. यह कंफ्यूज़न दोनों जगह होता है.


इसी कंफ्यूज़न के चलते बच्चे और पैरेंट्स में कुछ अलग-सी भावनाएं कभी-कभार पनपने लगती हैं. पैरेंट्स को लगता है कि बच्चा कहीं भटक न जाए, हमसे दूर न हो जाए, वहीं बच्चों को लगता है कि पैरेंट्स उन्हें समझने की कोशिश ही नहीं करते. ऐसे में कभी बेहिसाब प्यार, कभी ईर्ष्या, कभी असुरक्षा की भावना और भी न जाने क्या-क्या मन में घर करने लगती है. यही वो समय होता है, जब पैरेंट्स को धैर्य रखना चाहिए और मैच्योरिटी से काम लेना चाहिए.
मैं अपना अनुभव बताती हूं, जब मेरी बच्चियां मेरे होते हुए किसी और के साथ समय बितातीं, तो मन आहत होता… कभी उन्हें किसी और के साथ जुड़ता देख जलन भी होती… तो कभी उनकी कामयाबी में ख़ुशी के साथ-साथ कई तरह की आशंकाएं भी पनपतीं… पैरेंटिंग आसान नहीं होती, बहुत कुछ असहज होते हुए भी आपको सहजता दिखानी पड़ती है. भले ही मन में अपनों के दूर हो जाने का डर पनपता हो, लेकिन मेरा अनुभव यही कहता है कि अपने कभी दूर होते ही नहीं, वो लौटकर ज़रूर आते हैं…

यह भी पढ़ें: हेमा मालिनी… मां बनना औरत के लिए फख़्र की बात होती है 

दरअसल, ग्लोबलाइज़ेशन के इस दौर में एक्सपोज़र इतना ज़्यादा है कि टीनएजर्स को संभालना थोड़ा मुश्किल हो जाता है. हां, मैं भी गुज़री हूं इस अनुभव से, लेकिन इस अनुभव से मैंने जाना कि कुछ समय के लिए बच्चे भले ही भटक या बहक जाएं, लेकिन वो हमसे दूर कभी नहीं जाते. यदि हमारे घर के संस्कार सही हैं, तो बच्चे बाहर की दुनिया से इन्फ्लूएंस नहीं होते. वो कुछ समय के लिए यदि चकाचौंध की गिरफ़्त में आ भी जाएं, तो हमारे संस्कार उन्हें फिर सही राह पर ले आते हैं… इसलिए बच्चों को सही परवरिश और सही संस्कार देना बहुत ज़रूरी है. दोस्तों के साथ पार्टी, मौज-मस्ती ये सब एक उम्र तक होता है, फिर बच्चे हमारी तरह ही एक नॉर्मल लाइफ जीने लगते हैं. आप उन्हें जितना रोकेंगे, वो उतने ही रिबेलियस बन जाएंगे. विद्रोह पर उतर आएंगे, इसलिए उन्हें उनका स्पेस देना ही पड़ता है. आप अपने टीनएजर्स पर बहुत ज़्यादा रोक-टोक नहीं लगा सकते, उन्हें बहुत ज़्यादा डांट भी नहीं सकते, क्योंकि उस व़क्त उन्हें आपकी बातें उपदेश लगती हैं, उस समय पैरेंट्स को बहुत बैलेंस होकर चलना पड़ता है. लेकिन जब वो इस उम्र से बाहर निकल जाते हैं, तो फिर सब कुछ नॉर्मल हो जाता है. बच्चों को भी महसूस होता है कि उनका व्यवहार सही नहीं था. फिर वो ख़ुद को बदल देते हैं और पैरेंट्स के लिए भी लाइफ आसान हो जाती है.
यह एक छोटा-सा दौर होता है, जो समय के साथ गुज़र जाता है, हां, ज़रूरी है कि इस दौर में आप ख़ुद को संतुलित रखें और बच्चों को मैच्योरिटी के साथ हैंडल करें.

यह भी पढ़ें: हेमा मालिनी… हां, सपने पूरे होते हैं…! देखें वीडियो
Kamla Badoni

Share
Published by
Kamla Badoni

Recent Posts

सलमान खान- घर में सभी को कहता था कि बड़ा होकर उनसे ही शादी करूंगा… (Salman Khan- Ghar mein sabhi ko kahta tha ki bada hokar unse hi shadi karunga…)

- ‘सिकंदर’ में मेरे साथ रश्मिका मंदाना हीरोइन है, तो हमारी उम्र के फासले को…

April 9, 2025

एकता कपूरच्या ‘क्योंकी सास भी कभी बहू थी’ मालिकेचा सीझन २ येणार (Ekta Kapoor Serial Kyunki Saas Bhi Kabhi Bahu Thi 2 Coming Soon)

टेलिव्हिजनची लोकप्रिय मालिका क्योंकी सास भी कभी बहू थी आता पुन्हा एकदा प्रेक्षकांचे मनोरंजन करण्यासाठी…

April 9, 2025

घर के कामकाज, ज़िम्मेदारियों और एडजस्टमेंट से क्यों कतराती है युवा पीढ़ी? (Why does the younger generation shy away from household chores, responsibilities and adjustments?)

माना ज़माना तेज़ रफ़्तार से आगे बढ़ रहा है, लेकिन उससे भी कहीं ज़्यादा तेज़ी…

April 9, 2025

कंगना राहत नसलेल्या घराचे वीज बिल तब्बल १ लाख, अभिनेत्रीचा मनाली सरकारला टोला (९ Kangana Ranaut stunned by 1 lakh electricity bill for Manali home Where She Dosent Stay )

बॉलिवूड अभिनेत्री कंगना राणौतने नुकतीच हिमाचल प्रदेशातील मंडी येथे एका राजकीय कार्यक्रमात हजेरी लावली. जिथे…

April 9, 2025

अमृतफळ आंबा (Amritpal Mango)

आंबा हे फळ भारतातच नव्हे, तर जगभरातही इतर फळांपेक्षा आवडतं फळ आहे, असं म्हटल्यास वावगं…

April 9, 2025
© Merisaheli