अनहेल्दी लाइफस्टाइल, खाने-पीने की ग़लत आदतें, एक्सरसाइज़ न करना और काम के बढ़ते बोझ के कारण हमारे शरीर का सिस्टम बिगड़ जाता है. इस सिस्टम को सही रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं हमारे शरीर में मौजूद हैप्पी हार्मोंस. ये हार्मोंस हमें स्वस्थ, ख़ुशी, दर्द और उत्साह का एहसास कराते हैं, लेकिन ज़रूरत है इन्हें बूस्ट करने की. आइए जानें कैसे?
क्या हैं ये हैप्पी हार्मोंस?
डोपामाइन
यह आपकी उपलब्धियों से जुड़ा हुआ हार्मोन है. जब कोई आपके काम की तारीफ़ या सराहना करता है, तो यह हार्मोन सक्रिय होने लगता है. यह हार्मोन हमारे नर्वस सिस्टम को प्रभावित करता है.
स्पेशल टिप्स:
– अपने लक्ष्य को छोटे-छोटे चरणों में बांटें. जब भी आप कोई लक्ष्य प्राप्त करते हैं, तो शरीर में डोपामाइन का स्तर बढ़ने लगता है.
– छोटी-छोटी बातों और सफलताओं को सेलिब्रेट करें. इस हार्मोंस से लक्ष्य को पूरा करने के लिए मोटिवेशन मिलता है.
सेरोटोनिन
यह हार्मोन बिगड़े हुए मूड को सुधारता है, इसलिए सेरोटोनिन को ‘एंटीडिप्रेसेंट’ भी कहते हैं. जब मस्तिष्क में इस हार्मोन का स्तर कम होता है, तो व्यक्ति के डिप्रेशन में जाने की संभावना बढ़ जाती है.
स्पेशल टिप्स
– डिप्रेशन, बेचैनी और चिड़चिड़ेपन से बचने के लिए ज़रूरी है कि छोटी-छोटी बातों को तूल न दें.
– तनाव महसूस होने पर ख़ुद को व्यस्त रखें.
ऑक्सीटोसिन
इस हार्मोन से रिश्तों में भरोसा, समर्पण और लगाव बढ़ता है, इसलिए इस हार्मोन को
लव हार्मोन भी कहते हैं. यह हार्मोन रिलेशनशिप और लोगों से भावनात्मक रूप से जुड़ने में मदद करता है.
स्पेशल टिप्स
– बॉडी और फेस मसाज करें, इससे ऑक्सीटोसिन हार्मोन एक्टिव होता है.
– शरीर में इसका स्तर बढ़ाने के लिए दूसरों की मदद करें.
– रिश्तों में धोखाधड़ी होना आम है, लेकिन इसके बावजूद ख़ुद पर, अपनों पर विश्वास करना सीखें.
एस्ट्रोजन
यह हैप्पी हार्मोन सेरोटोनिन के निर्माण में मदद करता है. इस हार्मोन का स्तर बढ़ने पर तनाव, चिड़चिड़ापन और बेचैनी कम होती है और मूड में सुधार होता है. मेनोपा़ॅज के समय महिलाओं में एस्ट्रोजन का स्तर कम हो जाता है, जिसके कारण उनमें चिड़चिड़ापन और बेचैनी बढ़ती है. अनहेल्दी लाइफस्टाइल और ज़रूरत से ज़्यादा एक्सरसाइज़ करने पर भी शरीर में एस्ट्रोजन का स्तर कम हो जाता है.
प्रोजेस्टेरॉन
इस हार्मोन के बढ़ने पर अच्छी नींद आती है. यह हार्मोन चिंता, चिड़चिड़ापन और मूड स्विंग होने से रोकता है. 35-40 वर्ष के बाद महिलाओं को जब प्री-मेनोपा़ॅज होता है, तो उनमें इस हार्मोन का स्तर कम होने लगता है. जिसके कारण वे तनाव में रहने लगती हैं और अनहेल्दी फूड खाने लगती हैं.
स्पेशल टिप्स:
– हेल्दी फूड खाएं.
– एक्सरसाइज़ करें, ताकि मूड में सुधार हो.
– तनावरहित रहनेे के लिए ख़ुद को
व्यस्त रखें.
एंडॉर्फिन
इस हार्मोन को नेचुरल पेनकिलर भी कहते हैं. शरीर में इसका स्तर बढ़ने पर शारीरिक व
भावनात्मक तनाव कम होता है और मूड में सुधार होता है. यह हार्मोन आपको दॄढ़ निश्चयी बनाने में मदद करता है.
स्पेशल टिप
– ख़ुश रहने के लिए फन एक्टिविटी बढ़ाएं.
– लाफ्टर थेरेपी अपनाएं.
हैप्पी हार्मोंस को बूस्ट करने के नेचुरल तरी़के
अपनों के साथ कुछ व़क्त बिताएं
जब भी मन उदास या दुखी हो, तो अपना समय सोशल मीडिया पर बिताने की बजाय अपने पार्टनर, बच्चों, पैरेंट्स व पेट्स के साथ समय बिताएं. ऐसा करने से शरीर में ऑक्सीटोसिन का लेवल बढ़ता है.
एक्सरसाइज़ करें
सेरोटोनिन में वृद्धि करने का सबसे प्रभावी और अच्छा तरीक़ा है कि रोज़ाना 20-30 मिनट तक एक्सरसाइज़ करें. व्यायाम करने से आप न केवल फिट रहते हैं, बल्कि अच्छी नींद भी आती है, मस्तिष्क शांत रहता है, वज़न कम होता है. एक्सरसाइज़ करने से बॉडी में एंडॉर्फिन और सेरोटोनिन का उत्पादन बढ़ता है, जिसके कारण हमारे मूड और एनर्जी लेवल में सुधार होता है. अगली बार जब भी आप लो फील करें, तो ब्रिस्क वॉक पर जाएं, डांस करें या जिम जाएं. आपका मूड तुरंत बदल जाएगा.
तनावरहित रहें
बॉडी में एस्ट्रोजन का स्तर बढ़ाने के लिए तनाव को दूर करनेवाली टेक्नीक्स अपनाएं, जैसे- ध्यान करें, गरम पानी से स्नान करें, म्यूज़िक सुनें और अपना फेवरेट स्पोर्ट्स खेलें. तनाव होने पर बॉडी का साइकल गड़बड़ाने लगता है, परिणामस्वरूप नींद न आना, सिरदर्द, थकान, बेचैनी जैसी समस्याएं बढ़ने लगती हैं. बहुत ज़्यादा तनाव होने पर अनेक हार्मोंस का स्राव एक साथ होने लगता है, जिससे शरीर में टेस्टोस्टेरॉन का स्तर प्रभावित होने लगता है.
पेट्स के साथ समय बिताएं
अनेक अध्ययनों से साबित हुआ है कि रोज़ाना 15 मिनट तक अपने पेट्स के साथ खेलने से हैप्पी हार्मोंस (सेरोटोनिन, प्रोलैक्टिन और ऑक्सीटोसिन) रिलीज़ होते हैं और तनाव बढ़ानेवाला (कार्टिसोल) हार्मोन कम होता है. पेट्स के साथ खेलने से उच्च रक्तचाप कम होता है. अकेलापन और नकारात्मकता दूर होती है. अत: तनावरहित रहने, अकेलेपन को दूर करने और हैप्पी
हार्मोंस को बढ़ाने के लिए पेट्स के साथ कुछ समय ज़रूर बिताएं.
म्यूज़िक सुनें
डोपामाइन हार्मोन को बूस्ट करने का बेहतरीन तरीक़ा है कि अपना मनपसंद संगीत सुनें. वर्ष 2011 में नेचर न्यूरोसाइंस में प्रकाशित एक शोध में एमसी गिल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के अनुसार, यदि आपको संगीत पसंद है (ख़ासकर सुनते समय आपको ठंड का एहसास होता है) तो आपके डोपामाइन हार्मोन में वृद्धि होती है.
चॉकलेट खाएं
चॉकलेट के शौकीन लोगों के लिए बहुत ही अच्छी ख़बर है. जो चॉकलेट लवर्स अपनी बॉडी में हैप्पी हार्मोंस का स्तर बढ़ाना चाहते हैं, वे अच्छी क्वालिटीवाली डार्क चॉकलेट खाएं. क्योंकि डार्क चॉकलेट में ऐसे तत्व होते हैं, जो एंडॉर्फिन को बूस्ट करने के साथ-साथ शरीर की सूजन कम करते हैं. डार्क चॉकलेट खाने से लो ब्लड प्रेशर संतुलित रहता है. इसके अलावा चॉकलेट धमनियों को प्रोटेक्ट करती है. इतने सारे फ़ायदे जानने के बाद तो ज़रूरी है कि सप्ताह में 2-3 बार डार्क चॉकलेट खाई जाए.
गुड कार्ब खाएं
कार्बोहाइड्रेट्स सेरोटोनिन के स्तर को बढ़ाते हैं. जब भी हम लो महसूस करते हैं, तो हमें मीठा खाने या कार्बोहाइड्रेट्स से भरपूर फूड खाने का मन करता है, क्योंकि गुड कार्बोहाइड्रेट्स शरीर में हैप्पी हार्मोंस को बढ़ाने में मदद करते हैं. अनेक शोधकर्ताओं ने अपने शोध में यह साबित भी किया है कि अधिक मात्रा में कार्बोहाइड्रेट्स युक्त फूड्स खाने से शरीर में सेरोटोनिन का स्तर बढ़ता है और बिगड़े हुए मूड में सुधार होता है.
हेल्दी फूड खाएं
हेल्दी फूड खाने से शरीर स्वस्थ तो रहता ही है, साथ ही रोगप्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है. इसलिए नियमित रूप से फल-हरी सब्ज़ियां, ड्रायफ्रूट्स, साबूत अनाज आदि को डायट में शामिल करें.
अच्छी नींद लें
शरीर में हार्मोंस के स्तर को बढ़ाने के लिए ज़रूरी है उसे आराम दें. शरीर को आराम केवल 8-9 घंटे की अच्छी नींद से मिलता है. एक्सपर्ट्स के अनुसार, शरीर में टेस्टोस्टेरॉन का 70% उत्पादन नींद के दौरान होता है.
विटामिन डी
शरीर में हार्मोंस का स्तर बढ़ाने के लिए विटामिन डी बेहद ज़रूरी है. विटामिन डी की कमी को दूर करने के लिए फिश, फिश लिवर ऑयल, अंडे की ज़र्दी खाएं. चाहें तो धूप में बैठकर भी विटामिन डी ले सकते हैं. इन तरीक़ों को अपनाकर भी हैप्पी हार्मोंस का स्तर बढ़ता है.
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