ब्रेकअप, तलाक़, अकेलापन, दिनोंदिन बढ़ता तनाव और नौकरी छूटने का डर आदि पैनिक अटैक (Panic Attack) के ऐसे कारण हैं, जिन्हें लोग अपने दिल से लगा लेते हैं और वे दहशत में आ जाते हैं. यह अटैक उनके लिए ‘वॉर्निंग सिग्नल’ होता है कि अगर उन्होंने समय रहते अपने दिल की रक्षा नहीं की, तो भविष्य में गंभीर स्थिति हो सकती है. इस बारे में हमने बात की मुंबई के राजीव गांधी मेडिकल कॉलेज के हेड ऑफ द डिपार्टमेंट और मनोचिकित्सक डॉ. अनुकान्त मित्तल से.
क्यों आता है पैनिक अटैक?
पैनिक अटैक आने का कोई ख़ास कारण नहीं होता है, लेकिन यह ए़ंजाइटी से जुड़ा हुआ होता है. अमेरिका के नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ में हुए एक अध्ययन के अनुसार, पैनिक अटैक एक तरह से एंज़ाइटी डिसऑर्डर ही है, जिसमें कई बार किसी तरह का डर या फोबिया भी अटैक का कारण बन जाता है. इसके अलावा चिंता, उदासीनता, निराशा और अवसाद के कारण भी पैनिक अटैक हो सकता है.
किन कारणों से आता है पैनिक अटैक?
- पैनिक अटैक किसी भी स्थिति में आ सकता है, जैसे- सोते समय, आरामदायक स्थिति में बैठते हुए, ड्राइविंग करते समय, मॉल में घूमते और मीटिंग में बैठे हुए.
- ब्रेकअप के बाद, तलाक़, किसी क़रीबी की मृत्यु से आहत या निराश
होने पर.
– नौकरी छूटना या नौकरी छूट जाने का डर.
– लंबी बीमारी से ग्रस्त होने पर.
– महत्वपूर्ण डील या प्रोजेक्ट के रद्द होने पर.
– ज़िंदगी में हुए किसी बुरे हादसे की वजह से.
– कई बार लिफ्ट में फंस जाने और भीड़भाड़वाली जगहों पर जाने पर.
- कुछ स्थितियों में मेडिकल कारणों से भी पैनिक अटैक आता है.
पहचानें पैनिक अटैक के लक्षणों को
- दिल की धड़कन बढ़ना.
- सांस लेने में तकलीफ़ और गले में जकड़न होना.
- जब किसी बात का डर हावी होने लगे.
- छाती में दर्द और बेचैनी महसूस होना.
- ठंड के मौसम में गर्मी महसूस होना.
- मरने का डर लगना.
- हाथों में झनझनाहट महसूस होना या सुन्न पड़ना.
- पसीना आना व शरीर में कंपन प्रतीत होना.
- सिरदर्द, चक्कर आना, बेहोशी-सा प्रतीत होना.
- जी मचलाना, पेट में ऐंठन होना.
किन लोगों को आता है पैनिक अटैक?
- पुरुषों की तुलना में महिलाओं को पैनिक अटैक आने की संभावना अधिक होती है, क्योंकि घर-ऑफिस की ज़िम्मेदारियां निभाते हुए वे अधिक दबाव में काम करती हैं.
- जो महिलाएं अपनी सेहत को नज़रअंदाज़ करती हैं, जिन पर बहुत सारी ज़िम्मेदारियों का बोझ होता है या जिन्हें बहुत ज़्यादा तनाव होता है.
- अस्थमा, ब्लड प्रेशर और डायबिटीज़ जैसी बीमारियों से ग्रस्त बुज़ुर्गों को भी पैनिक अटैक आ सकता है.
पैनिक अटैक को कैसे करें हैंडल?
- अटैक आने पर व्यक्ति को तुरंत खुली जगह पर बिठाएं/लिटाएं.
- उसके कपड़े ढीले करें, ताकि उसे घुटन महसूस न हो.
- डीप ब्रीदिंग पैनिक अटैक को नियंत्रित करता है. धीरे-धीरे एक से पांच तक गिनती गिनते हुए सांस अंदर लें. कुछ सेकंड्स सांस रोककर रखें. धीरे-धीरे सांस छोड़ें.
- कुछ सेकंड्स के लिए सांस रोकें. सिर को कभी दाएं और कभी बाएं घुमाएं.
- व्यक्ति का हाथ पकड़कर उसे सांत्वना दें.
- 10-15 मिनट के अंदर अगर व्यक्ति को राहत महसूस नहीं होती है, तो जितनी जल्दी हो सके, उसे डॉक्टर के पास ले जाएं.
- घबराहट या अटैक के समय पीड़ित अपना ध्यान किसी एक वस्तु पर केंद्रित करने की कोशिश करे. उसके रंग, डिज़ाइन, पैटर्न आदि के बारे में सोचे. उदाहरण के लिए- वॉल क्लॉक पर अपना ध्यान लगाएं. ऐसा करने से घबराहट के लक्षण धीरे-धीरे सामान्य होने लगेंगे.
- डीप ब्रीदिंग की तरह मसल्स रिलैक्सेशन टेकनीक भी पैनिक अटैक को नियंत्रित करने में मदद करती है.
- अटैक से घबराए हुए व्यक्ति को ठंडा पानी या ओआरएस का घोल पिलाएं. इससे शरीर को राहत मिलती है और थोड़ी देर में दिल की धड़कनें धीरे-धीरे सामान्य होने लगती हैं.
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पैनिक होने की बजाय बरतें ये सावधानियां
- व्यक्ति इस स्थिति में घबराने या डरने की बजाय इस बात का ध्यान रखे कि यह अटैक दिल का दौरा नहीं है. पैनिक अटैक अस्थाई अटैक है, जो कुछ सेकंड्स के बाद गुज़र जाएगा और वह सामान्य हो जाएगा.
- घबराने की बजाय अटैक को कम करने के तरीक़ों पर अपना ध्यान केंद्रित करें.
- कई बार पैनिक अटैक हताशा, निराशा, हैरानी, उत्तेजना और हारा हुआ महसूस करने पर आता है. ऐसी स्थिति में अपना ध्यान इन ट्रिगर्स से हटाने का प्रयास करें.
- ट्रिगर्स को नियंत्रित करने के लिए आंखों को बंद करके अपना ध्यान सांसों पर केंद्रित करें.
- डायबिटीज़ के मरीज़ अपनी लाइफस्टाइल में बदलाव लाएं. समय पर खाएं-पीएं, क्योंकि अधिक देर तक भूखा रहने पर शुगर लेवल कम हो सकता है, जिसके कारण पैनिक अटैक का ख़तरा बढ़ सकता है.
- ब्लड प्रेशर और दिल के मरी़ज़ों को जब भी घबराहट होने लगे, दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़कने लगे, पसीना छूटने लगे या चक्कर आए, तो अलर्ट हो जाएं- ये पैनिक अटैक के लक्षण हो सकते हैं.
आसपास के लोग भी रखें इन बातों का ख़्याल
- यदि आपका कोई फ्रेंड या फैमिली मेंबर पैनिक अटैक से डील कर रहा है, तो उसके साथ धैर्य से पेश आएं. भूलकर भी उस पर चिल्लाएं नहीं.
- उसके स्ट्रेस लेवल को समझें.
- यदि आपके आसपास किसी को पैनिक अटैक आए, तो ऐसी स्थिति में घबराने की बजाय धैर्य से काम लें, उसकी मदद करें.
कब जाएं डॉक्टर के पास?
पैनिक अटैक आने पर जितनी जल्दी हो सके, तुरंत डॉक्टर के पास जाएं. यह स्थिति ख़तरनाक नहीं होती, लेकिन बेहद असहज होती है, जिसे अकेले मैनेज करना संभव नहीं होता. पैनिक अटैक के लिए विशेष इलाज की ज़रूरत होती है, बेहतर होगा कि किसी अच्छे चिकित्सक से अपना मेडिकल चेकअप और इलाज कराएं. अगर ज़रूरत हो, तो मनोचिकित्सक और काउंसलर की सहायता से घबराहट को दूर करने का प्रयास करें.
अपने दिल की सलामती के लिए
- लाइफस्टाइल में बदलाव लाएं.
- ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित रखें.
- स्ट्रेसफ्री रहने के लिए योग-प्राणायाम करें.
- एंज़ाइटी से बचें.
- तनाव को दूर करने के लिए लाइट एक्सरसाइज़ करें, जिससे आपका मूड फ्रेश हो.
- ख़ुद को व्यस्त रखने के लिए ऐरोबिक्स, स्विमिंग, डांसिंग, पेंटिंग सीखें, ताकि नकारात्मक बातें आपको परेशान न करें.
- जीवन के प्रति सकारात्मक सोच रखें.
- कॉफी, शराब और अल्कोहल से बचें.
- पर्याप्त नींद लें, ताकि दिनभर के तनाव से राहत मिल सके.
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– पूनम नागेंद्र शर्मा