बैक्टीरियल इंफेक्शन हो, वायरल या फिर फंगल इंफेक्शन, हर तरह के इंफेक्शन से बचने के लिए हमें कुछ बातों का ख़ास ख़्याल रखना होगा. थोड़ी-सी भी लापरवाही आपके लिए मुसीबत का कारण बन सकती है. इसलिए हाइजीन से जुड़ी ज़रूरी बातों को न सिर्फ समझें, बल्कि रोज़मर्रा की ज़िंदगी में अपनाएं भी.
इंफेक्शन के कारण व लक्षण
इंफेक्शन यानी संक्रमण आमतौर पर बैक्टीरिया, वायरस, पैरासाइट या फंगस के कारण फैलते हैं. वैसे तो हर तरह के संक्रमण के अपने अलग ही लक्षण होते हैं, पर बुख़ार, डायरिया, मांसपेशियों में दर्द, बेवजह की थकान आदि इंफेक्शन के आम लक्षण हैं, जो सामान्यत: हर तरह के इंफेक्शन्स में नज़र आते हैं.
इंफेक्शन के प्रकार
वैसे तो इंफेक्शन कई और कारणों से भी होते हैं, पर ज़्यादातर इंफेक्शन बैक्टीरियल और वायरल होते हैं. जैसा कि सभी जानते हैं कि बैक्टीरिया के कारण बैक्टीरियल इंफेक्शन और वायरस के कारण वायरल इंफेक्शन होता है, पर दोनों में सबसे बड़ा अंतर यह है कि एंटीबायोटिक्स बैक्टीरिया को ख़त्म कर देते हैं, पर वे वायरस पर बेअसर होते हैं.
बैक्टीरियल इंफेक्शन
फूड पॉयज़निंग, टेटनेस, यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन के अलावा टायफॉइड, निमोनिया, हैजा और ट्यूबरकुलोसिस (टीबी) जैसी गंभीर बीमारियां भी बैक्टीरियल इंफेक्शन के कारण होती हैं.
वायरल इंफेक्शन
सर्दी-ज़ुकाम, बुख़ार, फ्लू, रैबीज़, चेचक के अलावा एड्स जैसी जानलेवा बीमारियां भी वायरल इंफेक्शन के कारण हो सकती हैं.
इन स्थितियों में डॉक्टर से तुरंत मिलें
– सांस लेने में तकलीफ़
– 1 हफ़्ते से लगातार खांसी
– तेज़ सिरदर्द के साथ बुख़ार
– शरीर में कहीं-कहीं सूजन या चकत्ते
– बेवजह बुख़ार
– अचानक धुंधला दिखने लगे
– किसी जीव-जंतु के काटने पर
कैसे फैलता है इंफेक्शन?
– किसी के छूने या किसी तरह के घाव से
– हवा में मौजूद कीटाणुओं व जीवाणुओं से
– संक्रमित भोजन या पानी से
– मच्छर या किसी कीड़े के काटने से
– शारीरिक संबंध से
हैंड हाइजीन का रखें ख़्याल:
– छुआछूत से कई संक्रामक बीमारियां तेज़ी से फैलती हैं, इसलिए हाथों को कीटाणुमुक्त रखना बहुत ज़रूरी है.
– खाना खाने से पहले, शौच के बाद, खाना बनाने से पहले, बाहर से आने के बाद एंटीबैक्टीरियल साबुन व पानी से 10 सेकंड्स तक हाथ धोएं.
– साबुन-पानी के न रहने पर आप अल्कोहल बेस्ड हैंड सैनेटाइज़र का भी इस्तेमाल कर सकते हैं.
छींकते व खांसते व़क्त नाक व मुंह ढकें: आपने अक्सर ध्यान दिया होगा कि घर में किसी एक को सर्दी-खांसी हो जाए, तो एक-एक करके घर के बाकी सदस्यों को भी हो जाती है. दरअसल, छींकते-खांसते व़क्त नाक-मुंह न ढंकने के कारण कीटाणु हवा में फैल जाते हैं, जिससे अन्य सदस्य आसानी से उसके शिकार हो जाते हैं. इसलिए घर पर हों या बाहर, हर जगह इस बात का ध्यान रखें.
टीकाकरण ज़रूर करवाएं: टीकाकरण हमें बहुत-सी बीमारियों से बचाता है. समय-समय पर अपना व अपने परिवार के सभी सदस्यों का
टीकाकरण कराते रहें.
सेफ कुकिंग अपनाएं:
– कई तरह के इंफेक्शन्स संक्रमित खाने और पानी के कारण भी होते हैं.
– खाना बनाते समय सब्ज़ियों और मीट के लिए अलग-अलग कटिंग बोर्ड, चाकू का इस्तेमाल करें.
– किचन काउंटर्स के साथ-साथ बर्तनों को भी अच्छी तरह साफ़ रखें.
– सब्ज़ियों व फलों को पकाने और खाने से पहले अच्छी तरह धोएं.
– हवा में तैरनेवाले माइक्रोब्स भी खाने को दूषित करते हैं, इसलिए खाना बनाने के 2 घंटे के अंदर ही फ्रिज में रख दें.
– मटन व चिकन को अच्छी तरह पकाकर ही इस्तेमाल करें.
– पानी हमेशा उबालकर-छानकर पीएं या वॉटर प्यूरिफायर का इस्तेमाल करें.
बचें सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिसीज़ (एसटीडी) से:
– सेफ सेक्स के ज़रिए एसटीडी से जुड़े इंफेक्शन्स से आसानी से बचा जा सकता है.
– कंडोम के इस्तेमाल से आप अपने साथ-साथ अपने पार्टनर को भी इससे जुड़े इंफेक्शन्स से बचा सकते हैं.
– साथ ही सेक्सुअल हाइजीन का भी ख़ास ख़्याल रखें.
– इनरवेयर्स की साफ़-सफ़ाई पर ध्यान दें. रोज़ाना धुले व साफ़ कपड़े पहनें.
संक्रमित व्यक्ति के साथ एहतियात बरतें:
– ज़्यादातर इंफेक्शन्स संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में रहनेवालों को होते हैं, इसलिए अगर आप भी किसी संक्रमित व्यक्ति की सेवा कर रहे हैं, तो सभी ज़रूरी एहतियात बरतें.
– अगर घर में कोई बीमार है, तो उसके कपड़ों को अलग से धोएं और साफ़ करते व़क्त कपड़ों में लिक्विड डिस्इंफेक्टेंट ज़रूर डालें.
– अगर आपको बुख़ार, डायरिया, उल्टी जैसे इंफेक्शन के लक्षण नज़र आ रहे हैं, तो घर से बाहर न जाएं.
– अगर आप बीमार हैं, तो घर पर रहें. दूसरों को छुएं नहीं और न ही किसी से हाथ मिलाएं.
घर को भी हाइजीनिक रखें:
– ख़ुद को हाइजीनिक रखने के साथ-साथ घर को भी हाइजीनिक रखें.
– घर में धूल-मिट्टी और जाले न लगने दें. एंटीबैक्टीरियल लिक्विड डालकर फर्श साफ़ करें.
– किचन व बाथरूम को हमेशा साफ़-सुथरा व कीटाणुमुक्त रखने की कोशिश करें, क्योंकि घर के इन्हीं हिस्सों में बैक्टीरिया सबसे ज़्यादा पनपते हैं.
दांतों की सफ़ाई भी ज़रूरी:
– दांतों की साफ़-सफ़ाई की तरफ़ लापरवाही बरती, तो कैविटीज़ और मसूड़ों की समस्याएं हो सकती हैं.
– आपको बता दें कि मसूड़ों से होनेवाली ब्लीडिंग इंफेक्शन का ख़तरा बढ़ा देती है. इसलिए इंफेक्शन से बचने के लिए रोज़ाना दो बार ब्रश करें और माउथवॉश का इस्तेमाल करें.
– हर तीन महीने में अपना टूथब्रश बदलें.
पोषक आहार लें:
– हमारे शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता हमें हर तरह के संक्रमण से बचाती है. इसलिए डायट और न्यूट्रीशन का ख़ास ख़्याल रखें.
– खाने में मौसमी फल, हरी सब्ज़ियां, साबूत अनाज और लो फैट डेयरी प्रोडक्ट्स को शामिल करें.
क्लीनिक में हाइजीन:
– क्लीनिक या अस्पताल में हर तरह के मरीज़ आते हैं, जिनके कारण दूसरे भी इंफेक्शन का शिकार हो सकते हैं.
– ध्यान रखें कि डॉक्टर ग्लव्स का इस्तेमाल कर रहे हैं या नहीं.
– इंजेक्शन को सही तरी़के से स्टरलाइज़ किया गया या नहीं.
बनें स्मार्ट ट्रैवलर:
– ट्रैवलिंग के दौरान पब्लिक ट्रांसपोर्ट, टॉयलेट्स, बाहर का खाना आदि के इस्तेमाल से हम लगातार बैक्टीरिया के संपर्क में रहते हैं.
– संक्रमण को रोकने के लिए हैंड सैनिटाइज़र, पेपर सोप, टिश्यू पेपर, साफ़ पीने का पानी अपनाकर आप संक्रमण से बच सकते हैं.
क्या न करें?
– टूथब्रश, टंग क्लीनर, टॉवेल, साबुन, रेज़र, रूमाल जैसी पर्सनल चीज़ें कभी भी किसी और के साथ शेयर न करें.
– थियेटर्स, मॉल्स आदि के टॉयलेट्स इस्तेमाल करते समय सावधान रहें, वरना यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन के शिकार हो सकते हैं.
– भीड़-भाड़वाले इलाकोंऔर जगहों पर न जाएं. पब्लिक प्लेस पर किसी के छींकने व खांसने पर नाक और मुंह ढंकें.
– बार-बार नाक, मुंह और आंखों को न छुएं.
– अपनी वॉटर बॉटल दूसरों से शेयर न करें.
– अनीता सिंह
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