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करिश्मा तन्ना ने ‘ख़तरों के खिलाड़ी 10’ का ख़िताब जीता… (Karishma Tanna Wins ‘Khatro Ke Khiladi 10’)

ख़तरों के खिलाड़ी के ग्रैंड फिनाले में आज पुरुषों को मात देते हुए महिला ने पहली बार यह ख़िताब जीता और इसकी हक़दार बनी करिश्मा तन्ना. टीवी की इस ख़ूबसूरत अदाकारा ने यह साबित कर दिखाया कि वे किसी से कम नहीं. उन्हें इस बात की बेहद ख़ुशी है कि उन्होंने अपने डर पर जीत हासिल करते हुए इस अवार्ड को जीता.
इसका पूरा श्रेय अपनी मां को देती हैं, क्योंकि उनकी मां ने ही उन्हें ख़तरों के खिलाड़ी में हिस्सा लेने के लिए तैयार किया था. वरना उनका तो यह मानना था कि वह इस तरह के स्टंट कर ही नहीं सकती. और शुरुआत में ऐसा हुआ भी कि वह थोड़ी डरी व सहमी हिचकते हुए हर टार्गेट को करती रहीं.
स्टंट करते धीरे-धीरे आत्मविश्वास बढ़ता गया. उन्हें विश्वास था कोई है, जो उनके लिए दुआ कर रहा है यानी उनकी मां मुंबई में रहकर उनके लिए प्रार्थना कर रही है. इसलिए वह धीरे-धीरे आगे बढ़ती जा रही है और सफल होती जा रही है.
इसकी अधिकतर शूटिंग बुल्गारिया में हुई थी. केवल ग्रैंड फिनाले मुंबई में हुआ. करिश्मा तन्ना ने कहा कि शुरुआत में काफ़ी लगा था कि भले ही मैं जीतू या ना पर टॉप थ्री में ज़रूर आऊं. सबसे ज़्यादा टक्कर करण पटेल और धर्मेश से थी. आज इस जीत से बेहद ख़ुशी हो रही है और और मां को धन्यवाद और शुक्रिया अदा करती हूं. यह सब उनकी वजह से ही हुआ.
जब मुंबई में शूटिंग हो रही थी, तो मां को थोड़ी चिंता थी. पर हम सावधानियां बरतते हुए शूटिंग की. यहां तक की शूटिंग होने के बाद मैं मां से तीसरे दिन बाद उनके गले मिली.
ख़तरों के खिलाड़ी में जानवरों के साथ जो शॉट होते थे, वे थोड़े रिस्की रहते थे और उसमें मुझे थोड़ा डर लगता था, पर जैसे-जैसे हम आगे बढ़ते गए और स्टंट करते गए मुझे यह विश्वास होता गया कि मैं सब अच्छे से कर पाऊंगी.

करिश्मा की जीत पर होस्ट रोहित शेट्टी ने अपने मन की बात साझा की कि वे हमेशा से चाहते थे कि कोई लड़की जीते और करिश्मा ने विजेता बनकर उनकी ख़्वाहिश को पूरा किया. यह सब सुन करिश्मा की आंखें भर आईं.

ख़ूबसूरत करिश्मा का मन भी बेहद सुंदर है, जिसका उदाहरण समय-समय पर देखने को मिला है. कोरोना के महामारी के दौर में उन्होंने लोगों की मदद करने, इंसानियत दिखाने, सामाजिक संदेश देने, जागरूक करने जैसे तमाम कार्य किए. फिर चाहे वो अपने बिल्डिंग के सुरक्षाकर्मियों को चाय पिलाना हो, घरेलू मास्क बनाना हो, घर पर रहने के लिए अपील करना हो, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए काढ़ा बनाना आदि ही क्यों ना हो. उनके ज़िंदगी के सफ़र में उनकी मां हमेशा साथी और आदर्श रही हैं. अपने परिवार को प्यार और सम्मान देने की पैरवी भी अक्सर करती हैं.
इस लॉकडाउन के दौरान करिश्मा पूरी तरह एक्टिव रहीं. कभी योग और एक्सरसाइज़ से फिट रहने के लिए प्रेरित किया, तो कभी कपकेक बनाकर अपनी कुकिंग टैलेंट को भी दिखाया. डांस तो समय बिताने के लिए उनका प्रिय शौक है ही. करिश्मा ने यह दिखा दिया कि वे ऑलराउंडर हैं.

करिश्मा तन्ना को ख़तरों के खिलाड़ी का ताज़ अपने नाम करने और जीत की मेरी सहेली की तरफ़ से बहुत-बहुत बधाई!.. ऐसे ही वे महिलाओं की प्रेरणास्रोत बन आगे बढ़ती रहें, ताकि और महिलाएं भी खिलाड़ी बन सके और साबित कर सके कि वे किसी से कम नहीं है!..

Usha Gupta

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