कार्तिक आर्यन- फ़िलहाल प्यार के लिए मेरे पास समय नहीं है… (Kartik Aaryan- Filhaal Pyar Ke Liye Mere Paas Samay Nahi Hai…)
कार्तिक आर्यन इन दिनों ‘भूल भुलैया 3’ को लेकर चर्चा में हैं. इस हॉरर कॉमेडी मूवी में उनके साथ विद्या बालन, तृप्ति डिमरी, माधुरी दीक्षित, राजपाल यादव, विजय राज, संजय मिश्रा जैसे उम्दा कलाकारों ने मनोरंजन का ज़बर्दस्त तड़का लगाया है.
‘भूल भुलैया 3’ के टीजर, ट्रेलर से लेकर फिल्म तक के लिए लोगों की प्रतिक्रिया और प्यार देखकर मैं बेहद ख़ुश और उत्साहित हूं.
जिस गाने और स्लाइड वाले डांस को देखकर लोग काफ़ी बातें कर रहे हैं, दरअसल, उसकी प्रैक्टिस भी नहीं हुई थी. उसे हमने सेट पर ही शूट किया था.
अपनी फिल्म ‘चंदू चैंपियन’ के लिए मैंने काफ़ी मेहनत की थी और लंबे समय तक वो क़िरदार मुझ पर हावी रहा. जब मैंने ‘भूल भुलैया 3’ की शूटिंग कर रहा था, तब मेरा स्टाइल चंदू चैंपियन की तरह थोड़ा सटल, धीमा और शांत सा हो रहा था. ऐसे में निर्देशक अनीस बज़्मी मेरे पहले शॉट को देखकर ही शॉक्ड हो गए, तब उन्हें कहना पड़ा, “जाग जाओ कार्तिक… यह अलग दुनिया है.” तब मुझे चंदू के क़िरदार से भूल भूलैया के रूह बाबा के कैरेक्टर में आने में मुझे थोड़ा समय लगा.
आपको बता दूं कि ‘भूल भुलैया 3’ दूसरे से भी अधिक डरावना है, जो हमने टीजर व ट्रेलर में नहीं दिखाया. इसमें बहुत कुछ ऐसा है, जो आपको चौंका देगा.
फ़िलहाल प्यार के लिए मेरे पास समय नहीं है. मेरा पूरा फोकस मेरे काम पर है.
मेरी यही दिली ख़्वाहिश है कि लोग जिस तरह अमिताभ बच्चन और राजेश खन्ना को याद करते हैं, उस तरह मुझे भी याद करें.
मैंने कभी कोई थेरेपी नहीं ली, इसके लिए मैं अपने परिवार व दोस्तों का शुक्रगुज़ार हूं. उनका इतना प्यार और साथ मिला कि कभी इस तरह के ट्रीटमेंट की ज़रूरत ही नहीं पड़ी.
सोशल मीडिया को मैं अपने काम के हिस्से की तरह देखता हूं. वैसे यह मेरे ज़िंदगी को उतना प्रभावित नहीं करता. लेकिन फिर भी इतना तो है कि एक आम इंसान की तरह मैं भी अपनी तारीफ़ हो या आलोचना दोनों से प्रभावित तो होता हूं.
मुझे तब बहुत बुरा लगा था, जब यह कहा गया कि लिख के ले लो यह हिंदी फिल्म का हीरो नहीं बन सकता.
विद्या बालनजी की मौजूदगी में सेट पर पूरा माहौल ख़ुशनुमा बना रहता है. क़िरदार में सहजता से ढलने व उससे बाहर निकलने की उनकी क्षमता बेमिसाल है. मैं उनके टैलेंट से बेहद प्रभावित हूं.
मुझे कार का बेहद शौक है. अपने शौक को पूरा करने के लिए जब उन दिनों मेरे पास गाड़ी नहीं थी, तब मैंने पैंतीस हज़ार में एक थर्ड हैंड कार ख़रीदी थी. पहले मैं सेकंड हैंड या थर्ड हैंड कार ही ले पाता था. अब मैं अपने शौक़ को पूरा करने और उस दौर के फ्रस्ट्रेशन को भूलाने के लिए नई-नई महंगी कारें ख़रीदता रहता हूं.