बारिश के मौसम में यहां-वहां जमा पानी में पनपनेवाले मच्छर मलेरिया का कारण बनते हैं. इस मौसम में होनेवाली यह सबसे आम बीमारी है. इसके लिए बचाव बहुत ज़रूरी है, क्योंकि रिकॉर्ड्स बताते है कि भारत में सबसे ज़्यादा लोगों की जान इसी बीमारी के कारण गई है.
लक्षण: सर्दी के साथ बुख़ार आना, सिरदर्द, उल्टी आना, बदनदर्द, मांसपेशियों में दर्द, कमज़ोरी आदि.
बचाव: मच्छरों के कारण होनेवाली इस बीमारी से बचने का सबसे सरल उपाय मच्छरों को ख़त्म करना है.
– घर के आस-पास पानी जमा न होने दें.
– मच्छरदानी व बाज़ार में उपलब्ध मच्छर मारने की दवाएं इस्तेमाल करें.
– अगर किसी में उपरोक्त लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत डॉक्टर को दिखाकर टेस्ट कराएं.
हैजा
दूषित पानी व खाना हैजे का कारण बनता है. इसे अनदेखा करना जानलेवा हो सकता है, इसलिए हाइजीन और खाने-पीने का ध्यान रखें. अत्यधिक संक्रामक बीमारी होने के कारण इसमें हाइजीन व साफ़-सफ़ाई का ख़ास ध्यान रखें.
लक्षण: तेज़ पेटदर्द, डायरिया, उल्टी आना और बुख़ार इसके लक्षण हैं.
बचाव: अगर आपके इलाके में हैजा फैलने की संभावना अधिक है, तो बारिश शुरू होने से पहले हैजे का टीका ज़रूर लगवाएं.
– पानी उबालकर-छानकर ही पीएं. खाना अच्छी तरह पकाएं और ढंककर रखें, ताकि उन पर मक्खियां न बैठें.
– खुले में बिकनेवाली चीज़ें न खाएं.
– खाना खाने से पहले और शौच के बाद हाथ अच्छी तरह एंटीबैक्टीरियल साबुन से धोएं.
– पर्सनल हाइजीन का ख़ास ख़्याल रखें और अपने घर को भी साफ़-सुथरा रखें.
– डेयरी प्रोडक्ट्स अवॉइड करें.
– हाइड्रेशन का ख़ास ध्यान रखें.
मॉनसून में दूषित पानी व खाने के कारण होनेवाली यह एक आम बीमारी है. इस बीमारी की सबसे ख़तरनाक बात यही है कि बीमारी का इलाज हो जाने के बावजूद यह मरीज़ के गॉल ब्लैडर में छुपी रह सकती है.
लक्षण: लंबे समय तक बुख़ार, तेज़ पेटदर्द और सिरदर्द इसके लक्षण हैं.
बचाव: मॉनसून शुरू होने से पहले टायफॉइड का टीका ज़रूर लगावाएं. हाइजीन का ध्यान रखें. लक्षण दिखते ही डॉक्टर को दिखाकर टेस्ट्स करवाएं. टायफॉइड के मरीज़ को पर्याप्त मात्रा में लिक्विड दें, वरना डिहाइड्रेशन हो सकता है. यह बहुत ही संक्रामक बीमारी है, इसलिए बाकी लोगों को मरीज़ से दूर रखें.
वैसे तो यह सबसे आम बीमारी है, जो बदलते मौसम के साथ होती है, पर मॉनसून में यह कुछ ज़्यादा ही तेज़ी से फैलती है.
लक्षण: बुख़ार, लगातार छींक आना, गला ख़राब होना आदि इसके लक्षण हैं.
बचाव: इससे बचने का सबसे आसान तरीक़ा है, बारिश में भीगने से बचें. और भीग गए हैं, तो एक ग्लास हल्दीवाला गर्म दूध पीएं. गुनगुने पानी से गरारे करें और ख़ुद को गर्म रखें, ताकि ठंड न लगे.
गैस्ट्रो जैसी पेट की बीमारियां इस मौसम में आम बात है, जिसके कारण उल्टी और डायरिया होने लगता है. पेट की आंतों में जलन होने के कारण मरीज़ को काफ़ी तकलीफ़ होती है. बैक्टीरियल या वायरल इंफेक्शन इसका कारण हो सकता है.
लक्षण: लगातार उल्टी और दस्त होना.
बचाव: साबुन और पानी से हाथ अच्छी तरह धोएं. किचन में बर्तनों की साफ़-सफ़ाई का भी ध्यान रखें. कटिंग बोर्ड को साफ़ रखें. ज़्यादा देर से कटे हुए फल व सब्ज़ियां न खाएं. इनके अलावा डेंगू, चिकनगुनिया, हेपेटाइटिस ए, लेप्टोस्पाइरॉसिस, पीलिया आदि रोग बारिश में तेज़ी से फैलते हैं. इन सबका कारण या तो मच्छर हो सकते हैं या दूषित खाना व पानी. इसलिए इनसे बचें और पर्सनल हाइजीन का भी ख़ास ध्यान रखें.
– मॉनसून के दौरान कच्ची सब्ज़ियां हाइजीनिक नहीं रह जातीं, इसलिए उन्हें उबालकर या पकाकर ही खाएं.
– फल आपकी एनर्जी को रिस्टोर करने में मदद करते हैं. अनार, प्लम, लीची, पेर जैसे मौसमी फल और गाजर, मूली, मेथी जैसी मौसमी सब्ज़ियों को अपने डायट में शामिल करें.
– तरबूज़ और खरबूजा जैसे पानी से भरपूर फल खाने से बचें, क्योंकि ये शरीर में सूजन का कारण बनते हैं.
– कॉर्न, काबुली चना, बेसन जैसी सूखी चीज़ों को अपने डायट में शामिल करें.
– ब्राउन राइस, ओट्स, बारली जैसी हेल्दी व न्यूट्रीशियस चीज़ें अपनी डायट में शामिल करें.
– दूध की बजाय दही लेना ज़्यादा फ़ायदेमंद होगा.
– इमली, टमाटर, नींबू जैसे खट्टे फल शरीर में वॉटर रिटेंशन बढ़ाते हैं, इसलिए इन्हें अवॉइड करें.
– इस मौसम में अक्सर लोग ज़रूरत से ज़्यादा चाय-कॉफी का सेवन करते हैं, पर उन्हें पता नहीं कि ऐसा करने से शरीर डिहाइड्रेट होने लगता है, इसलिए चाय-कॉफी का सेवन करें, पर समझदारी के साथ. अगर आप चाय के शौक़ीन हैं, तो हर्बल टी लें.
– शरीर को डिटॉक्सीफाई करने के लिए भरपूर पानी पीएं. बस, ध्यान रखें कि पानी उबालकर-छानकर ही पीएं.
– बारिश के मौसम में शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता कमज़ोर हो जाती है, ऐसे में इम्यूनिटी बूस्टर फूड, जैसे- ड्रायफ्रूट्स, आंवला, मोसंबी आदि का भरपूर उपयोग करें.
– करेला, नीम और हल्दी में एंटीऑक्सीडेंट्स और औषधीय तत्व होते हैं, जो इस मौसम में इंफेक्शन से बचाने में आपकी मदद करते हैं.
– फूलगोभी, ग्वारफली, आलू, भिंडी जैसी सब्ज़ियां अवॉइड करें.
– सर्दी-खांसी से बचने के लिए ताज़ा मूली का जूस पीएं.
– तली-भुनी व मसालेदार चीज़ें खाने से बचें.
– मॉनसून की तकलीफ़ों से बचने के लिए गुनगुने पानी में सेंधा नमक और पीपली मिलाकर पीएं.
– मच्छर-मक्खियों के कारण बहुत-सी मॉनसूनी बीमारियां होती हैं, इसलिए इनसे बचने के लिए बारिश शुरू होने से पहले ही घर में पेस्ट कंट्रोल ज़रूर कराएं.
– बारिश के पानी में ज़्यादा देर तक न रहें, वरना पैरों में फंगल इंफेक्शन होने की संभावना बढ़ जाती है.
– घर पहुंचने पर हाथ-पैरों को अच्छी तरह मेडिकेटेड साबुन से धोकर सुखा लें.
– अगर आपको अस्थमा या डायबिटीज़ है, तो भीगी हुई दीवारों से दूर रहें, वरना दीवारों के फंगस आपके लिए नुक़सानदायक हो सकते हैं.
– अगर वर्किंग हैं, तो ऑफिस में कपड़े ज़रूर रखें, ताकि भीगने पर बदल सकें.
– बारिश में रास्ते कीचड़ भरे व फिसलनवाले हो जाते हैं, इसलिए रेनी फुटवेयर सिलेक्ट करें.
– कॉटन और सिंथेटिक कपड़ों का चुनाव करें.
– बैक्टीरियल व फंगल इंफेक्शन से बचने के लिए ज़्यादा देर तक गीले रहने से बचें.
– संतारा सिंह
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