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फिल्म समीक्षा: सत्यप्रेम की कथा- यह कथा है अनकही (Movie Review- Satayprem Ki Katha)

‘सत्यप्रेम की कथा’ के गानों, टीज़र, ट्रेलर से तो यही लग रहा था कि यह एक आम बॉलीवुड पारिवारिक प्रेम कहानी है, लेकिन ऐसा है नहीं. निर्देशक समीर विध्वंस और लेखक करण श्रीकांत शर्मा ने एक गंभीर विषय पर बड़ी सरलता से मनोरंजन परोसते हुए फिल्म बनाई है. प्यार जो आख़िरकार देह पर होकर ख़त्म होता है, ख़ासकर रिश्तों में पार्टनर से जुड़ना, संबंध बनाना.. इस पहलू को निर्देशक ने विवेकपूर्ण ढंग से उठाने की कोशिश की है. समीर विध्वंस ने मराठी फिल्मों में भी अपनी एक अलग जगह बनाई है.


कार्तिक आर्यन और कियारा आडवाणी की जोड़ी ‘भूलभुलैया २’ के बाद एक बार फिर अपना रंग जमाती है. दोनों ने ही अपनी अदाकारी से हर किसी को प्रभावित किया. कार्तिक ‘सत्यप्रेम’ के रोल में एक सीधे-साधे बेटे, प्रेमी व पति की भूमिका में सभी का दिल जीत लेते हैं, तो वही ‘कथा’ के रूप में कियारा की संजीदगी सब को लुभा जाती है.

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कहानी कुछ यूं है कि सत्यप्रेम एडवोकेट बनने के चक्कर में तीन बार असफल हो चुके हैं और वकील तो नहीं बन पाए, फ़िलहाल अपने पिता के साथ घर के कामों में उनकी मदद करते हैं. उनके घर का नज़ारा ही कुछ अलग है, जहां पुरुष घरेलू कामों में व्यस्त हैं और स्त्रियां कमा रही हैं. पिता गजराज राव ‘बधाई हो’ फिल्म के बाद एक बार फिर छा जाते हैं. उनका अभिनय, संवाद अदायगी हंसाती भी है, तो कहीं-कहीं गंभीर भी कर देती है. वहीं पत्नी यानी कार्तिक की मां की भूमिका में सुप्रिया पाठक चार चांद लगा देती हैं. वे गरबा नृत्य सिखाती हैं. यही उनकी कमाई का ज़रिया भी है. वहीं उनकी बेटी कार्तिक की बहन सेजल जुंबा सिखाती हैं और मौसी भी काम करती हैं. यहां पर नामों का भी बड़ा मज़ेदार चक्कर है. सुप्रिया पाठक दिवाली के रूप में हैं, तो उनकी बहन क्रिसमस.. अब ये नाम हैं कि त्यौहार, अब आप ही समझ लीजिए.


सत्यप्रेम फ़िलहाल बेरोज़गार है. मोहल्ले के सभी लड़कों की शादी हो चुकी है सिवाय उनके. वे एकमात्र कुंवारे बचे हैं लड़कों में. सत्तू, सत्यप्रेम को प्यार से सभी ‘सत्तू’ बुलाते हैं की भी दिली इच्छा है कि जल्द से जल्द उनकी शादी हो जाए, इसके लिए वे प्रयत्नशील भी हैं.
नवरात्रि में गरबा की गहमागहमी में उनकी मुलाक़ात कथा, कियारा आडवाणी से होती है. सत्तू को कथा पसंद आ जाती है और वे अपना प्रपोजल रखने ही वाले होते हैं कि पता चलता है कि उसका प्रेमी है, वह किसी अमीर लड़के से प्यार करती है. लेकिन बाद में पता चलता‌ है कि दोनों का ब्रेकअप हो चुका है, तब पिता के उकसाने पर सत्तू कथा के घर पहुंचते हैं.

लेकिन वहां का नज़ारा ही कुछ और होता है. कथा आत्महत्या करने की कोशिश करती है, पर नाकाम रहती है. सत्तू से कथा के पिता इस कदर प्रभावित होते हैं कि दोनों की शादी करा देते हैं. लेकिन क्या कथा इस शादी से ख़ुश है… वह आख़िर क्यों आत्महत्या करना चाहती थी… क्या सत्यप्रेम की प्रेम कहानी पूरी हो पाती है..? कथा उसे मिल पाती है… यह तो फिल्म देखने पर ही पता चल पाएगा. लेकिन फिल्म में जो ज्वलंत मुद्दा है वह है संबंधों को लेकर हां या ना. यदि आप पत्नी से शारीरिक तौर पर जुड़ना चाहते हैं, तो उसमें उसकी भी सहमति मायने रखती है… जो हमारे समाज में ख़ास महत्व नहीं दिया जाता और फिल्म में इस बात को उठाने की सराहनीय कोशिश की गई है. वैसे भी आंकड़े बताते हैं कि पत्नियों के साथ आपसी सहमति से समागम कम और ज़बरदस्ती और बलात्कार पतियों द्वारा अधिक होता है. पर क़ानून बनने के बावजूद इस मुद्दे पर पति जमात पत्नी की भावनाओं की कद्र करने की कोशिश कम ही करते देखे गए हैं. अब आप समझ गए होंगे कि हम यहां पर क्या कहना चाह रहे हैं यानी एक स्त्री की भी इच्छा-अनिच्छा का मान देना ज़रूरी होता है और इस विषय पर पुरुषों को ज़रूर गंभीरता से सोचना होगा.


फिल्म के सभी गाने पहले से ही सुपर-डुपर हिट हो गए हैं, जैसे- आज के बाद.., नसीब से.., गुज्जू पटाखा… इसमें रिलीज़ के बाद ले आऊंगा… एक और गाना जोड़ा गया है, जिसे लोगों का अच्छा रिस्पांस मिल रहा है. तनिष्क बागची का संगीत मधुर है. अरिजीत सिंह, तुलसी कुमार, पायल देव, मनन भारद्वाज, विशाल मिश्रा, मीट ब्रदर्स सभी ने गानों को ख़ूबसूरती से गाया है और उसे एक अलग लेवल पर पहुंचाया है. वैसे सुपरहिट पाकिस्तानी गाना पासूरी… का रीमेक करने में कोई हिचक नहीं दिखाई संगीतकार ने.


अयंका बोस की सिनेमैटोग्राफी कमाल की है. चारु श्री रॉय ने एडिटिंग भी सूझबूझ से की है. साजिद नाडियाडवाला, शरीन मंत्री केडिया, किशोर अरोड़ा निर्माताओं ने एक अनछुए विषय पर एक अच्छी फिल्म बनाने की कोशिश की है. लेकिन निर्देशक फिल्म की लंबाई को छोटी कर सकते थे और कई जगह पर गैरज़रूरी बेमतलब की कॉमेडी को भी अनदेखा किया जा सकता था, जो हो न सका.

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कार्तिक आर्यन, कियारा आडवाणी, सुप्रिया पाठक, गजराज राव, शिखा तल्सानिया, अनुराधा पटेल, राजपाल यादव, भूमि राजगौर, आमिर अली मलिक, भौमिक अहीर व सिद्धार्थ रांदेरी हर किसी ने अपनी भूमिकाओं के साथ न्याय किया है.

रेटिंग: ३ ***

Photo Courtesy: Social Media

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Usha Gupta

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