Finance

जॉइंट अकाउंट खोलने के फ़ायदे और नुक़सान (Pros And Cons Of Joint Savings Account)

जॉइंट अकाउंट (संयुक्त खाता) वो खाता होता है, जिसे दो या दो से अधिक लोग मिलकर खुलवाते हैं. इस खाते का इस्तेमाल पति-पत्नी, बहन-भाई या फिर दो दोस्त/रिश्तेदार और बिजनेस पार्टनर्स करते हैं. लेकिन संयुक्त खाते के जितने फ़ायदे होते हैं, उतने ही नुक़सान भी होते हैं.

सेविंग अकाउंट दो तरह के होते हैं-

1. सिंगल सेविंग अकाउंट- इस अकाउंट में सिर्फ़ एक अकाउंट होल्डर होता है.

2. जॉइंट सेविंग अकाउंट- इस अकाउंट में दो या दो से अधिक अकाउंट होल्डर होते हैं.

आज अपने इस लेख में हम आपको बताने जा रहे हैं ज्वाइंट सेविंग अकाउंट के फ़ायदे और नुक़सान

जॉइंट सेविंग अकाउंट खोलने से पहले ही रखें इन बातों का ध्यान-

– कोई भी व्यक्ति सिंगल सेविंग अकाउंट के साथ-साथ जॉइंट अकाउंट भी ओपन कर सकता है. जॉइंट सेविंग अकाउंट और सिंगल सेविंग अकाउंट में ज़्यादा फ़र्क नहीं होता है.

– जॉइंट अकाउंट खोलने का फ़ायदा तभी है, जब दोनों लोगों के बीच अच्छी अंडरस्टैंडिंग, विश्वास और अच्छा कम्युनिकेशन हो.

– दोनों पार्टनर्स पहले यह तय करें कि जॉइंट अकाउंट को कैसे मैनेज और एक्सेस किया जाएगा.

– सभी पार्टनर्स को अपनी जिम्मेदारियों, भूमिकाओं और वित्तीय लेन-देन की अच्छी समझ हो. उनके बीच पारदर्शिता होनी चाहिए.

– जॉइंट अकाउंट खोलने से पहले सभी पार्टनर्स अपनी वित्तीय आदतों, लक्ष्यों, बचत और ख़र्च के प्रति सारी बातें क्लियर कर लें.

– किसी सरकारी स्कीम का लाभ पाने के लिए माइनर यानि 18 साल से छोटे बच्चों का भी जॉइंट अकाउंट खुलवा सकते हैं. इस स्थिति में नाबालिग की तरफ़ से उनके पैरेंट्स उस अकाउंट को मैनेज करते हैं.

– यदि एक पार्टनर की मृत्यु हो जाती है, तो दूसरा पार्टनर इस अकाउंट को आगे जारी रख सकता है, लेकिन उसे बैंक में पार्टनर का डेथ सर्टिफिकेट जमा कराना पड़ेगा.

जॉइंट अकाउंट के फ़ायदे

– जॉइंट अकाउंट उन पति-पत्नी के लिए बेहतरीन विकल्प है, जो एक साथ मिलकर अपने वित्तीय लक्ष्यों को हासिल करना चाहते हैं. ये वित्तीय लक्ष्य हैं- घर लेना, वेकेशन पर जाना, बच्चों की शिक्षा आदि. जॉइंट अकाउंट में एक तय रकम जमाकर दोनों पार्टनर्स इसमें योगदान देकर अपने लक्ष्यों को हासिल कर सकते हैं.

– जॉइंट अकाउंट का एक और फ़ायदा यह है कि दोनों पार्टनर्स खर्चों की ज़िम्मेदारियों, जैसे- घर का किराया, बिजली-पानी-मोबाइल का बिल, होम लोन, ग्रॉसरी बिल, बच्चों की स्कूल और ट्यूशन फीस, वेकेशन का ख़र्चा आदि मिलकर उठाते हैं, क्योंकि इन खर्चों का अकाउंट से सीधा भुगतान हो जाता है. जबकि सेविंग अकाउंट में मंथली ख़र्चो के लिए एक तय रक़म एक लिमिट तक ही निकाल सकते हैं. ऐसे में कुछ ख़र्चों को अगले महीने के टालना पड़ सकता है.

– जॉइंट अकाउंट से कोई भी एक पार्टनर तभी राशि निकाल सकता है, जब दूसरा पार्टनर भी इस बात के लिए तैयार हो. इस तरह से जॉइंट अकाउंट दोनों पार्टनर्स को फाइनेंशियल डिसिप्लीन फॉलो करने और आर्थिक रूप से मजबूत बनाने में मदद करता है.

– जॉइंट अकाउंट में दोनों पार्टनर बचत करते हैं. इसलिए इस अकाउंट में ज़्यादा-से-ज़्यादा बचत करने का अवसर मिलता है. जबकि सेविंग अकाउंट में राशि तो जमा करते हैं, लेकिन जब भी ज़रूरत पड़ती है, अपनी मर्जी से तुरंत निकाल लेते हैं.

– एक ही अकाउंट में पैसा होने के कारण दोनों पार्टनर्स के लिए मनी मैनेजमेंट करना आसान हो जाता है.

– जॉइंट अकाउंट में पार्टनर्स एक-दूसरे के साथ चालाकी नहीं कर सकते हैं. जॉइंट अकाउंट होने के कारण दोनों ही सभी ट्रांजेक्शन पर नज़र रख सकते हैं और अपने वित्तीय लक्ष्यों को ट्रैक कर सकते हैं.

– यदि एक पार्टनर आर्थिक संकट में फंस गया है या किसी कारण से अपनी आर्थिक ज़िम्मेदारियां पूरी नहीं कर पा रहा है, तो दूसरा पार्टनर इस अकाउंट से फंड का इंतज़ाम कर सकता है.

जॉइंट अकाउंट के नुक़सान

– जॉइंट अकाउंट खोलने से पहले उसके फ़ायदों की तरह, उसके नुक़सान के बारे में जानना भी बहुत ज़रूरी है, ताकि पार्टनर्स को किसी तरह का कोई भ्रम न हो.

– जॉइंट अकाउंट का सबसे बड़ा नुक़सान यह है कि इस अकाउंट से पैसे तभी निकाल सकते हैं, जब दोनों अकाउंट होल्डर की रज़ामंदी हो. यदि किसी अकाउंट होल्डर को मुसीबत के समय पैसों की ज़रूरत हो, तो वह इस खाते से पैसे नहीं निकाल सकता है.

– दोनों पार्टनर्स सभी ओवरड्राफ्ट, लोन और देनदारियों के लिए समान रूप से उत्तरदायी होते हैं. इसका मतलब यह है कि यदि एक पार्टनर अधिक ख़र्च करता है या लोन लेता है, तो उसे चुकाने के लिए दोनों ज़िम्मेदार होते हैं.

– जॉइंट अकाउंट में एक-दूसरे पर विश्वास न होने पर दोनों पार्टनर्स के बीच पैसों को लेकर मतभेद हो सकते हैं.

– जॉइंट अकाउंट होने के कारण इसमें गोपनीयता का अभाव होता है. सभी लेन-देन और अकाउंट की डिटेल्स दोनों पार्टनर्स देख सकते हैं.

– कुछ स्थितियों में पार्टनर्स के बीच वित्तीय निर्णयों, जैसे पार्टनर की फ़िज़ूलख़र्ची की आदत, वित्तीय लक्ष्यों का अंतर, उन लक्ष्यों को पूरा न कर पाना आदि, इन बातों को लेकर दोनों के बीच नाराज़गी और तनाव हो सकता है.

– यदि दोनों पार्टनर्स के रिश्ते ख़राब हो जाते हैं, तो जॉइंट अकाउंट को क्लोज़ करना या अकाउंट से अलग होना बहुत चुनौतीपूर्ण हो जाता है. क्योंकि जॉइंट अकाउंट तभी क्लोज़ होगा, जब दोनों पार्टनर्स आपसे में सहमत होंगे.

– एक पार्टनर के ग़लत आर्थिक निर्णय का खामियाज़ा दूसरे पार्टनर को भी उठाना पड़ता है.

– जॉइंट अकाउंट होने की स्थिति में यदि किसी एक पार्टनर पर कोई क़ानूनी कार्रवाई हो रही है. तो उसका असर जॉइंट सेविंग अकाउंट पर भी पड़ता है.

यदि आप भी अपने किसी पार्टनर के साथ जॉइंट अकाउंट खोलने की सोच रहे हैं, तो ये जान लें कि दोनों के बीच आपसी समझ, विश्वास और मनी मैनेजमेंट होना ज़रूरी है. इसके अलावा जॉइंट अकाउंट को लेकर लिखित अग्रीमेंट हो, जिसमें लिखित नियमों और शर्तों के बारे में दोनों को सही और पूरी जानकारी हो, ताकि भविष्य में दोनों के बीच किसी तरह के मतभेद न हों.

– पूनम नागेंद्र शर्मा

Poonam Sharma

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