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एलर्जी के कारण और उससे बचने के कारगर उपाय ( Remedies To Get Rid Of Allergy Fast)

क्या आपको पता है कि हमारे देश में तक़रीबन 20 से 30 फीसदी लोग एलर्जी से पीड़ित हैं, जबकि अमेरिका, इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड जैसे देशों में एलर्जी के मरीज़ों की और भी ज़्यादा है. वास्तव में एलर्जी बेहद सामान्य बीमारी है. किसी को खाने की चीज़ से, किसी को किसी ख़ास महक से तो किसी को पालतू जानवरों से एलर्जी होती है. एलर्जी की कुछ और भी वजहें हैं.

 

क्या होती है एलर्जी?


एलर्जी हमारे इम्यूम सिस्टम द्वारा किसी चीज़ के लिए एब्नॉर्मल रिएक्शन है. यह खाने की चीज़, पालतू जानवर, मौसम में बदलाव, खुशबू, धूल, धुआं, दवा यानी किसी भी चीज़ से हो सकती है. इस स्थिति में हमारा इम्यून सिस्टम कुछ खास चीज़ों को स्वीकार नहीं कर पाता और नतीज़ा ऐसे रिऐक्शन के रूप में दिखता है.

एलर्जी के कारण
खाने की चीज़ों से: कुछ लोगों को खाने की चीज़ों से एलर्जी हो सकती है. जिस चीज़ से एलर्जी है, उसे खाने के बाद जी मिचलाना, शरीर में खुजली होना या पूरे शरीर पर दाने और चकत्ते निकलने जैसी समस्या हो सकती है. आमतौर पर कुछ खाने के बाद 10 मिनट से लेकर आधे घंटे के अंदर एलर्जी के लक्षण उभरने लगते हैं.

धूल: धूल के कणों में माइक्रोब्स होते हैं जो हमारे आसपास मौजूद रहते हैं. माइक्रोब्स ज़्यादा उमस में पनपते हैं. इनसे होनेवाली एलर्जी में आमतौर पर छींकें, आंख और नाक से पानी बहना जैसी दिक्कत होती है.

कीड़े और मच्छर: ऐसे लोगों को किसी कीड़े के काटने पर स्किन एकदम लाल होकर फूल जाती है. कभी-कभार उल्टी, चक्कर आना और बुखार भी हो सकता है.

खुशबू: खुशबू भी कई लोगों के लिए एलर्जी का कारण हो सकती है. परफ्यूम, खुशबू वाली मोमबत्तियां, कई तरह के ब्यूटी प्रॉडक्ट आदि की खुशबू से सिरदर्द, जी मिचलाने आदि की समस्या हो सकती है.

पालतू जानवर: पालतू जानवर भी कई लोगों की एलर्जी का कारण होते हैं. जानवरों के बाल, उनके मुंह से निकलने वाली लार, रूसी आदि से कई लोगों को गंभीर परेशानियां होती हैं.

 

मौसम: कई लोगों को किसी खास मौसम से भी एलर्जी होती है. जब मौसम बदलने लगता है तो इन लोगों को गले की खराश, बुखार, नाक बहना, आंखों में जलन जैसी समस्या होती है.

मेटल: कई लोगों को मेटल जैसे कि गोल्ड या सिल्वर ऑक्सिडाइज्ड जूलरी से एलर्जी होती है तो कुछ को लेदर या सिंथेटिक कपड़ों से.

दवा: किसी खास दवा से एलर्जी भी काफी लोगों को होती है. अगर उस दवा को लेना जारी रखा जाए तो परेशानी बढ़ सकती है.

घास: कई बार घास, पेड़ और फूल भी एलर्जी का कारण होते हैं. इनके संपर्क में आने पर खुजली, आंखों में जलन, लगातार छींक और खुजली जैसी समस्या हो सकती है.

रबड़: कुछ लोगों को रबड़ से बनी किसी भी चीज़ (गलव्स, कंडोम, मेडिकल इक्विमेंट आदि) के इस्तेमाल से जलन, नाक बहना, छींकना, सांस की घबराहट और खुजली की समस्याएं हो सकती हैं.

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किन्हें एलर्जी होने का ख़तरा ज़्यादा होता है?

 

विशेषज्ञों के अनुसार गांवों में रहनेवालों की तुलना में शहरों में रहने वालों में एलर्जी की समस्या ज़्यादा पाई जाती है. जिन बच्चों को ज़्यादा साफ़-सफ़ाई के साथ पाला जाता है, उनमें भी यह समस्या ज़्यादा पाई जाती है, क्योंकि उनके शरीर का इम्यून सिस्टम ज़्यादा डिवेलप नहीं हो पाता. इसके अलावा बच्चों में एलर्जी होने की आशंका बड़ों से कहीं ज़्यादा होती है. इसी तरह बुजुर्गों में भी एलर्जी की समस्या काफी कॉमन है क्योंकि उनका इम्यून सिस्टम भी कमज़ोर हो जाता है. कई बार एलर्जी आनुवांशिक भी होती है. पैरेंट्स को अगर धूल या किसी और चीज से एलर्जी हो तो बच्चे को एलर्जी होने के चांस बढ़ जाते हैं, हालांकि यह ज़रूरी नहीं है कि दोनों की एलर्जी का स्वरूप एक जैसा ही हो.

कैसे करें बचाव?


1. बच्चों के इम्यून सिस्टम को मजबूत करने के लिए उन्हें धूल-मिट्टी और धूप में खेलने दें. ये बच्चों को बीमारियों से लड़ने में मदद करते हैं. उन्हें बारिश या दूसरे पानी से भी खेलने दें. हां, धूल-मिट्टी में खेलने के बाद उनके हाथ-पैर अच्छे से धुलवाना न भूलें.
2. अगर किसी को धूल और धुएं से एलर्जी है तो घर से बाहर निकलने से पहले नाक पर रुमाल रखना चाहिए. बचाव ही एलर्जी का इलाज है.
3. जिन लोगों को ठंड से एलर्जी है, वे ठंडी और खट्टी चीज़ों जैसे कि अचार, इमली, आइसक्रीम आदि के इस्तेमाल से बचें.
4. गंदगी से एलर्जी वाले लोगों को समय-समय पर चादर, तकिए के कवर और पर्दे भी बदलते रहना चाहिए. कार्पेट यूज न करें या फिर उसे कम-से-कम 6 महीने में ड्रायक्लीन करवाते रहें.
5. जिस दवा से एलर्जी है, उसे खाने से बचें. डॉक्टर को दिखाएं तो इस एलर्जी के बारे में जरूर बताएं.
6. किचन में एग्जॉस्ट फैन ज़रूर लगवाएं और खाना पकाते समय उसे चलाएं.
7. घर को हमेशा बंद न रखें. घर को खुला और हवादार बनाए रखें ताकि साफ हवा आती रहे.
8. खिड़कियों में महीन जाली लगवाएं और जाली वाली खिड़कियों को हमेशा बंद रखें क्योंकि खुली खिड़की से कीड़े और मच्छर आपके घर में घुस सकते हैं.
9. दीवारों पर फफूंद और जाले हो गए हों, तो उन्हें साफ़ करते रहें क्योंकि फफूंद के कारण भी एलर्जी हो सकती है.
10. बारिश के मौसम में फूल वाले प्लांट्स को घर के अंदर न रखें.

एलर्जी का इलाज
. अगर किसी जवान व्यक्ति में ख़ून की कमी, विटमिन डी या कैल्शियम की कमी पाई जाती है तो हो सकता है कि उसे गेहूं से होने वाली ग्लूटन एलर्जी हो. अगर स्किन टेस्ट पॉजिटिव आए तो उन्हें गेहूं के बजाय मक्का, सिंघाड़ा, चने आदि का आटा खाने को दिया जाता है. शरीर में जिन तत्वों की कमी है, उन्हें बढ़ाने के लिए दवाएं भी दी जाती हैं.

. हल्की-फुल्की एलर्जी यानी अगर छींकें आ रही हैं या खुजली हो रही है तो एविल और सिट्रिजिन ले सकते हैं. ये दवाएं कुछ घंटों की राहत के लिए तो ठीक हैं, लेकिन लंबे समय चलनेवाली एलर्जी में बेअसर हैं. एलर्जी होने पर डॉक्टर को दिखाएं. दवा एलर्जी के प्रकार के अलावा मरीज की स्थिति और उम्र के मुताबिक भी तय की जाती है.
इन्हें भी आज़माएं
. रोज़ सुबह नीबू पानी पीएं
. खट्टी और ठंडी चीज़ों से परहेज़ करें.
. कभी-कभी कोई दवा खाने से भी एलर्जी हो जाती है इसलिए हमेशा दवा डॉक्टर से पूछकर ही लें.
– अगर स्किन एलर्जी है तो फिटकरी के पानी से प्रभावित हिस्से को धोएं. नारियल तेल में कपूर या जैतून तेल मिलाकर लगाएं. चंदन का लेप भी राहत देता है. इससे खुजली कम होती है और चकत्ते भी कम होते हैं.
बॉक्स
. योग और नैचुरोपथी एलर्जी से लड़ने में काफी कारगर हैं. एलर्जी से बचने के लिए पेट साफ़ रखना चाहिए. बहुत गर्म या बहुत ठंडा खाना नहीं खाना चाहिए. हमेशा साफ़ पानी पीना चाहिए. रोजाना क़रीब 15 मिनट अनुलोम-विलोम, कपालभाति, भस्त्रिका प्राणायाम करने से एलर्जी में फायदा होता है क्योंकि इनसे इम्यून सिस्टम मजबूत होता है.
. अगर जल्दी-जल्दी सर्दी और जुकाम की एलर्जी हो तो सुबह उठकर गुनगुने पानी में नींबू का रस मिलाकर पीएं.
. प्रदूषण से होने वाली एलर्जी से बचने के लिए गुनगुने पानी में तुलसी, नीबू, काली मिर्च और शहद डालकर पीएं.
. बदलते मौसम में होने वाली एलर्जी से बचने के लिए खट्टी चीजें जैसे कि अचार और तली-भुनी चीजें खाने से परहेज़ करें.

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अस्थमा और एलर्जी में फर्क
अस्थमा और एलर्जी में कई चीजें कॉमन हैं, लेकिन फिर भी दोनों अलग-अलग हैं. लगातार कई दिनों तक जुकाम, खांसी या सांस लेने में दिक्कत हो तो इन्फेक्शन इसकी वजह हो सकता है, जबकि अस्थमा में सांस लेने में परेशानी के अलावा रात में सोते समय खांसी आना, छाती में जकड़न महसूस होना, एक्सरसाइज करते हुए या सीढ़ियां चढ़ते वक्त सांस फूलना या खांसी आना, ज़्यादा ठंड या गर्मी होने पर सांस लेने में दिक्कत होना जैसे लक्षण होते हैं.

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Shilpi Sharma

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