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यौन उत्पीड़न: न उम्र की सीमा, न जन्म का बंधन… शर्मसार करते आंकड़े! (Shocking and Shameful!!! Sexual Abuse of the Elderly Women)

घिनौना… बेहद विद्रूप… कड़वा… लेकिन सत्य… एक चेहरा हमारे इसी ‘सभ्य’ समाज का… एक तथ्य हमारी इसी ‘पारंपरिक’, ‘सांस्कृतिक’ और ‘शालीन’ दुनिया का… जी हां, हम सबके बीच कुछ लोग बेहद ही सामान्य, सभ्य व शालीन कहे जाते हैं, हम उन्हें प्यार और सम्मान की नज़र से देखते हैं… लेकिन इनमें से ही कुछ लोगों का असली चेहरा इतना घिनौना होता है, जिसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते… ये लोग एक औरत को मात्र जिस्म ही समझते हैं- फिर चाहे वो 2 साल की बच्ची हो या 80 वर्ष की वृद्धा… अपने जिस्म की बेलगाम ख़्वाहिशें पूरी करने के लिए ये इस स्तर तक गिर जाते हैं कि 70-80 और यहां तक कि 90 वर्ष की वृद्धाओं तक को नहीं छोड़ते… रोंगटे खड़े कर देनेवाले कुछ तथ्य इस बात की तसदीक़ करते हैं… भले ही हमारा दिल इन तथ्यों को मानने से इंकार करता हो, लेकिन सत्य यही है, जिसे दिल की बजाय दिमाग़ से तोलना होगा.

क्यों दर्द नहीं होता हमको… क्यों मर्यादा व झूठी इज़्ज़त के नाम पर लबों को सी लेना ही बेहतर समझते हैं हम… उन बूढ़ी आंखों का दर्द, उन कंपकपाते जिस्मों की तकलीफ़ से मुंह मोड़ लेना चाहते हैं… न आंखों की शर्म, न रिश्तों की मर्यादा… न उम्र का लिहाज़… बस जिस्मानी भूख, बीमार मानसिकता और शारीरिक तृप्ति… यही अर्थ रह गया है किसी की मजबूरी और अपने स्वार्थ की पूर्ति का.

  • अक्सर हमारी यह धारणा होती है कि बोल्ड और यंग लड़कियां छेड़छाड़, यौन शोषण या फिर बलात्कार जैसे अपराधों की अधिक शिकार होती हैं, लेकिन सच्चाई इससे बहुत ही दूर है.
  • दरअसल, शोषण करनेवालों की प्रवृत्ति इतनी विकृत होती है कि हम सोच भी नहीं सकते. उनकी नज़र हमेशा कमज़ोर व उनका विरोध न करनेवाली महिलाओं पर अधिक रहती है. यही वजह है कि या तो इस तरह के शोषण की शिकार छोटी बच्चियां होती हैं या फिर बड़ी उम्र की यानी बुज़ुर्ग महिलाएं… जी हां, एक बार फिर से ध्यान से पढ़ लीजिए… बुज़ुर्ग महिलाएं!
  • तथ्य थोड़ा हैरान करनेवाला व बेहद चौंकानेवाला है, लेकिन सच्चाई यही है.
  • अक्सर युवा लड़कियों व बच्चों के यौन शोषण पर चर्चा करते हैं, उनके लिए कड़े क़ानून भी बनाते हैं, लेकिन शायद ही कभी बुज़ुर्ग महिलाओं के यौन शोषण या बलात्कार जैसे विषय पर हमारा ध्यान गया हो…
  • बलात्कारियों के लिए बुज़ुर्ग महिलाओं को अपना शिकार बनाना बेहद आसान लगता है, क्योंकि न तो वे अधिक विरोध करने में सक्षम होती हैं और न ही उनकी तरफ़ समाज व परिवार का ही अधिक ध्यान होता है.
  • इसके अलावा यदि वे इस तरह की कोई शिकायत करती भी हैं, तो उनकी बातों पर विश्‍वास नहीं किया जाता.
  • इस संदर्भ में यदि भारत की बात की जाए, तो हाल ही में केरल राज्य से आई एक रिपोर्ट ने सबको चौंका दिया है, जिसमें वृद्ध महिलाओं को उनके पारिवारिक सदस्य ही शोषित करते पाए गए. इन सदस्यों में दामाद व पोते तक शामिल हैं.
  • The Quint  (द क्विंट) वेब पोर्टल पर भी इस रिपोर्ट का विस्तार से ज़िक्र किया गया है. आप इस लिंक पर जाकर इसे पढ़ सकते हैं- http://bit.ly/2hSPyId
  • यह रिपोर्ट ह्यूमन राइट एक्टिविस्ट्स ने तैयार की है, जिसमें उन्होंने बेहद ही गोपनीयता से 5 सालों तक इन्वेस्टिगेशन किया और उसके बाद ये नतीजे सामने आए.
  • रिपोर्ट में एक 85 साल की महिला के शोषण का ज़िक्र है, जिसे उसके दामाद ने ही शोषित किया था, लेकिन चूंकि उसके दामाद की छवि एक नेक व्यक्ति की थी, इसलिए समाज में कोई भी वृद्धा की बात पर यकीन करने को तैयार न हुआ. उसके बाद वह वृद्ध महिला अपना मानसिक संतुलन खो बैठी.
  • रिपोर्ट के मुताबिक़ इस तरह की घटनाएं मुश्किल से ही प्रकाश में आ पाती हैं और समाचार की सुर्ख़ियां तो कभी नहीं बन पातीं.
  • पीड़िता परिवार की बदनामी के डर से भी अक्सर चुप रह जाती हैं.
  • रिपोर्ट में छपी एक अन्य घटना में 87 साल की बुज़ुर्ग महिला को उसका 19 साल का पोता ही शोषित कर रहा था, जिस वजह से वह महिला मानसिक रूप से बेहद व्यथित और डिप्रेशन की शिकार हो गई थी. उस महिला को एक्टिविस्ट्स ने तिरुवनंतपुरम के मेडिकल कॉलेज में अकेले घूमता पाया और उसके शरीर पर काटने के ज़ख़्म भी पाए गए. बाद में यह ख़ुलासा हुआ कि उनका पोता नियमित रूप से उन्हें शोषित करता था.
  • रिपोर्ट में अन्य सात महिलाओं का भी ज़िक्र है, जिन्हें सड़कों व गलियों से रेस्न्यू किया गया और यह पाया गया कि अजनबियों ने भी उनका यौन शोषण किया था. ऐसी ही एक 80 साल की वृद्धा को उनके बच्चों ने घर से निकाल दिया था और वो
    दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर थीं. एक रात को किसी युवक ने उनका बलात्कार कर दिया.
  • लगभग 4 सालों तक एक्टिविस्ट्स अलग-अलग डॉक्टर्स व पीड़ितों से मिले और उनके लिए भी यह बेहद दर्द देनेवाले व शर्मसार करनेवाले आंकड़े थे.
  • एक और चौंकानेवाला तथ्य यह है कि इन तमाम मामलों में शोषण करनेवाला बेहद ही सामान्य नज़र आनेवाला व्यक्ति था, जो न तो शराब और न ही ड्रग्स का आदी था.
  • ये महिलाएं ओल्ड एज होम में भी पूर्णत: सुरक्षित नहीं हैं, वहां भी उनके शोषण की एक अलग ही व भिन्न-भिन्न तस्वीर नज़र आती है.
  • इसके अलावा वृद्ध महिलाओं के बलात्कार के कई रोंगटे खड़े कर देनेवाले मामले भी सामने आए हैं, जिसका स्थानीय लोगों ने भी काफ़ी विरोध किया था. ऐसी ही एक घटना में केरल की 90 वर्ष की कैंसर पीड़ित बुज़ुर्ग महिला के बलात्कार का मामला प्रकाश में आया था.
  • यह महिला पति की मृत्यु के बाद पिछले 20 वर्षों से अकेले रह रही थी. जब महिला ने अपने पड़ोसियों से इस घटना का ज़िक्र किया, तो सबने उसे चुप रहने की ही सलाह दी. यहां तक कि पंचायत ने भी उसकी गुहार को अनसुना कर दिया था. उसके बाद एक स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता ने पुलिस को सूचित किया और इस विषय की जानकारी दी.
  • डॉक्टर्स ने सेक्सुअल एसॉल्ट की पुष्टि की और पीड़िता के बयान के आधार पर केस दर्ज किया. पीड़िता ने अपराधी की पहचान भी की.
  • इंवेस्टिगेट कर रही टीम का कहना है कि इस तरह के और भी न जाने कितने केसेस हैं, जिन्हें रिपोर्ट नहीं किया गया. ऐसे में यह बेहद ज़रूरी है कि इन महिलाओं को उनके घरों में भी और बाहर भी सुरक्षा दी जाए.
  • सरकार के पास भी ये पूरी रिपोर्ट पहुंची और एसेंबली में भी इसे उठाया गया, सरकार का कहना है कि भले ही प्रशासन के पास इस तरह की शिकायतें न आई हों, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि ये घटनाएं होती ही नहीं. ऐसे में सरकार इसे पूरी गंभीरता से लेगी और इसकी जांच भी की जाएगी.
  • केरल के मुख्यमंत्री ने इस तरह की घटनाओं को बेहद चौंकानेवाली और दर्दनाक बताया. उनके अनुसार इस तरह की घटनाओं पर संवेदनशीलता के साथ ध्यान देना ही होगा और उन्होंने इस पर उच्च स्तरीय गहन जांच की बात भी कही.

…जहां तक जांच और सज़ा की बात है, तो वो इस समस्या का क़ानूनी पहलू है, लेकिन सामाजिक पहलू का क्या… आख़िर क्यों इस तरह की विभत्स मानसिकतावाले लोग हमारे सभ्य समाज का हिस्सा हैं? कहां से आती है इनमें इतनी हिम्मत? क्यों शर्म नहीं आती इन्हें? इन तमाम सवालों के जवाब के लिए अगर हम मनोवैज्ञानिक कारणों को ढूंढ़ें या किसी एक्सपर्ट की राय भी लें, तो हमें शिफ़र के अलावा कुछ भी हासिल नहीं होगा… क्यों? क्योंकि इस विषय पर किसी तरह की कोई रिसर्च या स्टडी नहीं हुई है. समाज का ध्यान इस विषय पर जाता ही नहीं. वृद्ध महिलाएं या बुज़ुर्ग समाज में इतनी अहमियत रखते ही नहीं कि उनकी इस तरह की समस्याओं पर हम चर्चा तक करें.

बात स़िर्फ भारतीय समाज की ही नहीं है, विदेशों में भी इस तरह के मामले प्रकाश में आ रहे हैं. लेकिन पुलिस भी ज़्यादा कुछ नहीं बता पाती, क्योंकि वृद्ध महिलाएं न तो ठीक से अपनी समस्या बयां कर पाती हैं और न ही वे शिकायतकर्ता व गवाह बन पाती हैं. उनकी शारीरिक व मानसिक स्थिति के चलते वे आसान शिकार होती हैं और शोषण करनेवाला आसानी से बच निकलता है.

– गीता शर्मा

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