माना मैं अच्छा पति हूं, मगर दिल अभी भी फिसल जाता है... अच्छा बॉस हूं, सिलि मिस्टेक्स के बावजूद…
“बिल्कुल सर जैसा...” दीया तपाक से बोली. मेरे हाथ से चाय छूटते-छूटते बची. क्या कह गई ये लड़की... मैं हकबका…
“थैक्यूं सर, यू आर सच अ...” कुछ कहते हुए संभली, क्या कहने जा रही थी… क्या ‘डार्लिंग’ जैसा कुछ...…
बंद पलकों के पीछे बैठा अक्स बेवज़ह मुस्कुराहट का सबब बन रहा था. लगा जैसे कोई है कमरे में……
“दूसरों का भला करके भूल जाना, यही तो सर की ख़ासियत है... यू नो दी, सर को ऑफिस में…
सामने फैली हरियाली को अनदेखा कर, चहचहाते पंछियों को छोड़ मेरी ढीट नज़रें बार-बार दीया पर जा कर ठहर…