“आपने मुझ पर भरोसा नहीं किया न...” रोहित की सांस भी धौंकनी-सी चल रही थी. गाड़ी प्लेटफॉर्म छोड़ने लगी थी.…
“मम्मा! ये अंकल कौन थे?” नन्हें वैभव को समझाने के लिए शब्द ही कहां थे. एक चिंता उभरी थी कि…
पर मैंने रोहित को नहीं देखा था और न ही रोहित ने मुझे. कैसे पहचानेगा वो कोच के बाहर खड़ी…
फोन रखते ही मेरा बचपनवाला मन लौट आया था. वो मन जो उन साहित्यकारों से मिलना चाहता था, जिन्होंने ऊंचाइयों…
रात दस बजे के बाद भी किसी पाठक के फोन के जवाब में शीतांशु ने पूछ ही लिया, “इतनी देर…