कहानी- तुम कब आओगे? 3 (Story Series- Tum Kab Aaoge? 3 )

पर मैंने रोहित को नहीं देखा था और न ही रोहित ने मुझे. कैसे पहचानेगा वो कोच के बाहर खड़ी भीड़ में? अपनी ड्रेस बता दूं. बेटा साथ है ये निशानी बता दूं. लाल रंग का सूटकेस है यह बता दूं. मैं ऊहापोह में थी कि रोहित का फोन आ गया, “बी कोच में कहां…?”
पर जवाब देने से पहले ही फोन कट गया और देवदूत की तरह वो मेरे सामने खड़ा था. दरअसल उसने मुझे मोबाइल उठाते ही पहचान लिया था. वो कहीं नज़दीक ही खड़ा था. महानगरीय सभ्यता की तरह उसने हाथ आगे बढ़ाया था. मैं कस्बाई संस्कृति में पली-बढ़ी सोच में पड़ गई कि हाथ आगे बढ़ाऊं या नहीं, पर न जाने कैसा क्षण था कि हाथ स्वतः ही आगे बढ़ गया.

“मुंबई में सात घंटे का इंतज़ार है अगली गाड़ी के लिए.”
“कोई बात नहीं. मुझे तो चलती भीड़ को देखना वैसे भी अच्छा लगता है.”
मुंबई की ट्रेन में बैठते ही मैंने सोचा क्या कोई नहीं है मुंबई में मेरा? कोई तो होगा? अरे रोहित… वही मेरी क़िताबें मांगनेवाला… पर ऐसे किसी से कैसे मिलूं? पर एक कोशिश ज़रूर करनी चाहिए. मैंने अपने मोबाइल की फोन बुक में रोहित का संजोया हुआ नंबर ढूंढ़ा और कॉल का बटन दबा दिया. “हैलो रोहित! मैं नंदिता बोल रही हूं. तुम कल मुंबई में हो ना…”
“हां! हां क्या आप मुंबई आ रही हैं?” जैसे वो उछल पड़ा हो. मैंने मोबाइल पर उसकी ख़ुशी महसूस की.
“शायद… पक्का नहीं.” मैंने पूरी बाज़ी अपने हाथ में रख ली थी और फोन रख दिया. मैं कल की योजना तैयार करती रही कि मैं बंगलुरू की अगली गाड़ी में बैठने से पहले स़िर्फ 15 मिनट का समय रोहित को दूंगी. मैं बस देखना चाहती थी अपने पाठक को. मिलना चाहती थी अपने उस पाठक से, जिसने मेरी कहानी को पढ़ा था.

अगले दिन मुंबई के विश्राम घर में तैयार होने के बाद मैंने घड़ी देखी तो, अगली ट्रेन के लिए पांच घंटे बाकी थे. महानगर में रहनेवाले व्यक्ति को इतना समय तो मिलना चाहिए कि वो ट्रैफिक के संघर्ष के बाद सही तरी़के से पहुंच सके. मैंने रोहित को फोन करके बताया कि मैं उसके शहर में हूं, अगर समय हो, तो मिल ले. मैंने मिलने का स्थान कर्नाटक एक्सप्रेस में बी कोच बताया और समय रात्रि 8 बजकर 15 मिनट का दिया यानी ट्रेन चलने से केवल 15 मिनट पहले. मेरे मन के किसी कोने में कहीं न कहीं किसी अनजान से मिलने का भय भी व्याप्त था, जिस पर पूरा गणित भी लगाया था मैंने.पर रोहित का पौने आठ बजे ही फोन आ गया. पूछ रहा था, “कहां हो?”
मैंने कहा, “8 नंबर प्लेटफॉर्म पर बी कोच के पास…”

यह भी पढ़े: टैक्स सेविंग के 7 स्मार्ट टिप्स
पर मैंने रोहित को नहीं देखा था और न ही रोहित ने मुझे. कैसे पहचानेगा वो कोच के बाहर खड़ी भीड़ में? अपनी ड्रेस बता दूं. बेटा साथ है ये निशानी बता दूं. लाल रंग का सूटकेस है यह बता दूं. मैं ऊहापोह में थी कि रोहित का फोन आ गया, “बी कोच में कहां…?”
पर जवाब देने से पहले ही फोन कट गया और देवदूत की तरह वो मेरे सामने खड़ा था. दरअसल उसने मुझे मोबाइल उठाते ही पहचान लिया था. वो कहीं नज़दीक ही खड़ा था. महानगरीय सभ्यता की तरह उसने हाथ आगे बढ़ाया था. मैं कस्बाई संस्कृति में पली-बढ़ी सोच में पड़ गई कि हाथ आगे बढ़ाऊं या नहीं, पर न जाने कैसा क्षण था कि हाथ स्वतः ही आगे बढ़ गया.
“रोहित…?”
“नंदिताजी…?” हम दोनों एक साथ बोल पड़े. मैं अपने पाठक से
मिलकर ख़ुशी के अतिरेक से झूल रही थी. उस क्षण को घूंट-घूंट पीना चाहती थी… तो ऐसा होता है पाठक. निर्मल-मासूम बच्चों की तरह
चहकता, सांवला चेहरा, बोलती आंखें, मध्यम क़द का 25-26 साल का युवक सामने खड़ा था. मेरी एक बार किसी वरिष्ठ लेखिका से इस संबंध में बात हुई थी. तब उन्होंने कहा था कि पाठक बहुत अच्छे होते हैं. शायद उसके ज़ेहन में बैठी इस बात ने ही मुझे पाठक से मिलने में मदद की हो.

 

      संगीता सेठी

अधिक शॉर्ट स्टोरीज के लिए यहाँ क्लिक करेंSHORT STORIES

Usha Gupta

Share
Published by
Usha Gupta

Recent Posts

कहानी- इस्ला 4 (Story Series- Isla 4)

“इस्ला! इस्ला का क्या अर्थ है?” इस प्रश्न के बाद मिवान ने सभी को अपनी…

March 2, 2023

कहानी- इस्ला 3 (Story Series- Isla 3)

  "इस विषय में सच और मिथ्या के बीच एक झीनी दीवार है. इसे तुम…

March 1, 2023

कहानी- इस्ला 2 (Story Series- Isla 2)

  “रहमत भाई, मैं स्त्री को डायन घोषित कर उसे अपमानित करने के इस प्राचीन…

February 28, 2023

कहानी- इस्ला 1 (Story Series- Isla 1)

  प्यारे इसी जंगल के बारे में बताने लगा. बोला, “कहते हैं कि कुछ लोग…

February 27, 2023

कहानी- अपराजिता 5 (Story Series- Aparajita 5)

  नागाधिराज की अनुभवी आंखों ने भांप लिया था कि यह त्रुटि, त्रुटि न होकर…

February 10, 2023

कहानी- अपराजिता 4 (Story Series- Aparajita 4)

  ‘‘आचार्य, मेरे कारण आप पर इतनी बड़ी विपत्ति आई है. मैं अपराधिन हूं आपकी.…

February 9, 2023
© Merisaheli