रही मेरी बात. संत कबीर कह गए हैं- ‘प्रेम न बाड़ी उपजे, प्रेम न हाट बिकाए. प्रेम की खेती नहीं…
किवाड़ राधिका ने ही खोला था. भैया साथ न होते, तो वह मुझे पहचानती भी न. कैसा तो अजब सन्नाटा…
निर्णय यही रहा कि इतना बड़ा नहीं था मेरा मन कि उसमें एक के रहते दूसरा प्रवेश पा सके. इसी…
मैंने कैसे अपने मन को वश में रखा यह कौन समझ सकता है? हर थोड़ी देर बाद बुलवा भेजतीं बुआ…
मैं बारहवीं में पहुंच गई थी और यही वह दिन थे, जब मैं आयुष के प्रति एक अजब-सी चाहत महसूस…