उसकी आवाज़ पनीली थी, जो अंदर तक बेध गई. मैंने पलकें उठाईं. उसकी आंखों में प्रेम का निःशब्द आकाश फैला…
मुझे नहीं पता कि मैं क्या-क्या बोली, कितना बोली और कब वो मुझसे सटकर बैठ गया और उसकी एक बांह…
वो मेरी ओर बढ़ने लगा. मेरे बहुत नज़दीक आकर उसने हाथ मेरी ओर बढ़ाए. एक अनोखी सिहरन-सी सिर से पैर…