हमने आंखों से ज़्यादा बात की थी. शायद हम आंखों की भाषा ज़्यादा समझते थे. एक दिन वो मुझे दिखा.…
मैं काफ़ी देर तक ऐसे ही खड़ी रही. दिल हां करता और दिमाग़ मानने को तैयार न था. अजीब कशमकश…
यह मज़ाक जैसा ही तो है कि किसी ब्लैंक कॉल करनेवाले व्यक्ति के प्रेम में डूब जाऊं. बिना आवाज़ सुने,…