मुझे रह-रहकर रोना आ रहा था. आंसुओं से धुंधलाई आंखों से मैंने उस कमरे का मुआयना किया. व्हीलचेयर, कैनवास, रंग,…
रात में बिस्तर पर करवटें बदलती रही, पता नहीं कैसा शख़्स है वो. पूरे मुहल्ले में किसी से भी उसका…
आंगन में मां धूप सेंक रही थीं, “हो गई सफ़ाई बेटी?” मेरे होंठों पर हल्की-सी मुस्कान तैर गई. रोज़ यही…