मुझे रह-रहकर रोना आ रहा था. आंसुओं से धुंधलाई आंखों से मैंने उस कमरे का मुआयना किया. व्हीलचेयर, कैनवास, रंग,…
वह बिल्कुल वैसी की वैसी थी, जैसा मैंने उसे अपने ख़्यालों में रखा था. शायद सच ही कहते हैं लोग…