मैंने भीतर कमरे में झांका. प्रोफेसर अपने हाथों का सहारा देकर दादी को तकिए पर सुलाने का प्रयास कर रहे थे. कुछ पल वहीं रुक कर वह तेज़ी से बाहर निकले और द्वार पर मेरे पास से गुज़रे. उनकी छलकती आंखें बता रही थीं कि कहानी का अंत हो चुका है.क्या इसी को इच्छा मृत्यु कहते हैं? इस बारे में विचार फिर कभी. द्वार प्रोफ़ेसर नीलमणि ने ही खोला था. सीधा तना शरीर, गंभीर चेहरा और मेरी कल्पना के विपरीत एकदम भावशून्य. सोचा जाए तो एक अजनबी युवक को सामने देखकर किसी के चेहरे पर कोई भाव आ ही क्या सकता है? मैंने कहा, “क्या मैं प्रोफ़ेसर नीलमणि से मिल सकता हूं?”मेरा अंदाज़ा सही था. वे बोले, “मैं ही हूं नीलमणि.” मैंने फिर हिम्मत बटोर कर कहा, “क्या मैं भीतर आकर दो मिनट बात कर सकता हूं?” वह बिना कुछ बोले चुपचाप भीतर की ओर मुड़ गए. उनके ठीक पीछे चलता मैं उनके ड्रॉइंगरूम तक पहुंच गया. उन्होंने हाथों से ही मुझे बैठने का इशारा किया और स्वयंभी बैठ गए और प्रश्नवाचक मुद्रा में मेरी ओर देखा.मैं सोच में पड़ गया.इतने चुप्पे व्यक्ति के साथ कैसे बात हो सकती है और वह भी इतनी अंतरंग! पर कहना तो था ही मुझे. दो सौ किलोमीटर दूर मैं इसीलिए तो आया था.“मुझे दादी ने भेजा है..!" “दादी कौन?” उन्होंने मेरी बात पूरी होने से पहले ही पूछा. उनके चेहरे पर थोड़ी सी उत्सुकता जगी.“मेरी दादी यानी माधवी पाठक.” आप शायद उन्हें माधवी वर्मा के नाम से पहचानते हैं.” मैंने आज तक कोई चेहरा एक पल के भीतर इस कदर परिवर्तित होते नहीं देखा. दृढ़ कठोर चेहरे पर एकाएक कोमलता फैल गई थी. हल्की सी एक मुस्कान लहर की भांंति घूम गई उनके चेहरे पर. परन्तु उसके साथ कुछ और भी था.…
हल्की सी बूंदाबांदी शुरू हो गई. वह बूंदों की सरगम पर फिर गुनगुनाने लगी. उसका आसमानी दुपट्टा हवा से लहरा…
“लेकिन फिर भी एक बात तुमसे कहना चाहूंगा, ख़ुद पर तरस खाना बंद करो और तब तक तुम्हारी ज़िंदगी में…
सौम्य, सुसंस्कृत लडका रिया को पहली नज़र में ही भा गया. जब दोनो एक ही स्टेशन पर उतरे और एक…
तुम बाजू पर लिखने लगी थी, तो मैंने कहा, “यहां नहीं, ऊपर दिल पर…” ये सुनते ही पहली बार तुम्हारी…
उस रात फिर वही भयानक स्वप्न… पंखे से लटकी उलाहने भरी आंखों से उसे देखती लाश, उसे लगा कि वो…
"… मैंने उन्हें ध्यान से देखा है, उनमें ग़म में भी ख़ुशी तलाशने वाली अद्भुत इच्छाशक्ति है. अपने सद्प्रयासों से…
"तू सच बता के तो देख. वो तेरी ख़्वाहिश हो सकती है, मगर तू उसकी ख़्वाहिश नहीं, उसका प्यार नहीं……
मां की तेज़ आवाज़ सुनकर सभी ने नाचना-गाना बंद कर दिया. विभोर, उसके पिता सभी अंदर भागे. विधि की हालत…
"मैं तो पहले ही तुम्हारा हूं मांगने की क्या ज़रूरत थी." लड़के ने मीठी सी शरारती अंदाज़ में कहा."हो तो…