आज व्हॅलेंटाईन डे. प्रेमिकांचा उत्सव. एकमेकांना डेट करण्याचा प्रेम-दिन. हा दिवस व प्रेमाचे क्षण अधिक सुंदर करण्यासाठी तुमचा लूक आकर्षक…
सध्या अभिनेते शक्ती कपूर यांच्या कुटुंबात आनंदाचं वातावरण आहे. कपूर कुटुंबात एका खास व्यक्तीची एन्ट्री होणार आहे. शक्ती कपूर यांचा…
An unexpected pregnancy may not always bring joy in its wake. Aruna Rathod talks about times when sex results in…
20 दिसंबर 1987 को तुम मुझे अपने दोस्त, बहन और भतीजे के साथ देखने आए थे. मैं सुबह से बेचैन थी, ज़िंदगी बदल जाएगी इसएक नए रिश्ते से, सोच रही थी कि न जाने कैसा होगा वो, मुझे पसंद आएगा भी या नहीं… ज़ाहिर है हर लड़की के मन में ऐसे सवाल आनेलाज़मी हैं… इतने में ही डोर बेल बजी… मैंने सोचा अभी तो काफ़ी वक्त है तुम्हें आने में तो इस वक़्त कौन होगा? मम्मी ने कहा जाकर देख लौंड्रीवाला होगा, मैंने दरवाज़ा खोला और सामने तुम्हें पाया… हम दोनों ने सिर्फ एक-दूसरे को पल भर ही निहारा था और वो ही पल हमारापहला अफेयर बन गया था. मेरी धड़कनें इतनी तेज़ थीं कि डर लग रहा था सबको सुनाई न दे जाएं. मैं नज़रें झुकाकर एक तरफ़ हो गई, तब तक मम्मी आ गई थी. ख़ैर मैं गर्दन झुकाए तुम्हारे सामने बैठी थी, कुछ नहीं पूछा तुमने बस नज़रों ही नज़रों में प्रेम की मौन स्वीकृति दे दी. उस रात मुझे नींद नहींआई. आनेवाले कल के रंगीन सपने मैं खुली आंखों से देख रही थी. न जाने क्या था तुम्हारी उन आंखों में जो एक ही पल में मैं डूब ही गई, कभी न उबरने के लिए. कितना शांत था तुम्हारी आंखों का वो गहरा समंदर, जिसमें मैं इश्क़ के गोते लगा रही थी. तुम्हारी हां थी और मेरी भी हां थी तो बस फिर क्या था, चट मंगनी पट ब्याह हो गया फागुन की फुलेरा दूज को. सहेलियां अरेंज मैरिजमानने को तैयार नहीं थीं. सभी का कहना था कि यह तो लव मैरिज है और सच भी यही था वह पल हमारा पहला अफेयर ही था. पहलीनज़र का प्यार, जिसके बारे में बस सुना ही था पर जब ख़ुद उस एहसास से गुज़री तो पता चला ऐसा सच में होता है. ऊपरवाला इशारादेता है कि हां यही है वो जो अब तक कल्पनाओं में था और अब रूबरू है. वैवाहिक जीवन के 32 वर्ष हंसी-खुशी से गुज़र गए और नवंबर की एक क्रूर रात्रि को तुम मुझसे रूठकर ऐसे सफर पर चले गए, जहां सेलौटकर आना नामुमकिन है. मैं बहुत नाराज़ हूं तुमसे… भला ऐसे भी कोई जाता है? तुम अपने सफर पर गए हो और मेरे अंदर हर रोज़ यादों का एक सफर शुरू होताहै... सुबह की चाय से… चाय की ख़ुशबू में, उसकी महकती भाप के बीच भी तुम नज़र आते हो और मुस्कराते हो... मैं बावली-सीअनायास पूछ बैठती हूं- वही रोज़वाला सवाल, ‘फीकी चाय पी कैसे लेते हो?’ ‘तेरी मीठी मुस्कान से चाय मीठी हो जाती है…’ ‘धत्त’ कहकर मैं शरमा जाती हूं… यादों का अंतहीन सिलसिला फिर रफ्तार पकड़ लेता है. तमाम खूबसूरत लम्हे जीवंत हो उठते हैं, भरपूर जी लेती हूं उन लम्हों को. चाहेवह बोलचाल बन्द होने के हों, तीखी नोकझोंक या खट्टी-मीठी तकरार के हों. शाम ढलते ही मन में खालीपन, उदासी और तन्हाई का गहरा धुंधलका छा जाता है. रात घिरते ही... अचानक कमज़ोर हो उठती हूं मैं, टूट जाती हूं… बिखर जाती हूं... फिर हिम्मत-हौसले से खुद को सम्भालती हूं. कभीतलाशती हूं तुम्हें बिस्तर की सलवटों में... लिहाफ की गर्माहट में... स्पर्श के एहसास में... अचानक तुम्हारा मौन मुखर हो उठता है... ‘पगली, मैं यहीं हूं, तेरे पास... तेरे साथ... जन्मजन्मांतर का साथ है हमारा...’ यह सुनकर बेचैन मन का समंदर शांत हो जाता है... औरआंखों के किनारों से चंद नमकीन बून्दें ढुलक जाती हैं… नींद कब अपनी आगोश में ले लेती है पता ही नहीं चलता. फिर सुबह वही यादोंका सफर शुरू हो जाता है. फिर वही चाय, वही ख़ुशबू और वही तुम्हारी यादों का जादू… सच बहुत खफा हूं तुमसे... ऐसे बिन कहे, बिनसुने अचानक कौन चला जाता हैं… शब्दों से न सही पर सिर्फ़ निगाहों से ही कम से कम कुछ कह कर तो जाते... सिर्फ और सिर्फ तुम्हारी... बावली… डॉ. अनिता राठौर मंजरी
When relationships get weighed against expectations, the chinks begin to appear and a perfectly good association goes kaput. Adopt the…
Most millennials define their relationships as ‘complicated’. Enlightenment is necessary but not in the wrong direction, not to help you…
बॉलिवूड स्टार कपल विकी कौशल आणि कतरिना कैफ यांनी नुकताच त्यांच्या लग्नाचा दुसरा वाढदिवस साजरा केला. विकी अनेकदा वेगवेगळ्या मुलाखतीतून…
बात है तो पुरानी लेकिन पहले प्यार की महक मन में हमेशा बसी रहती है. गर्मियों की छुट्टियों में अपनी एक नज़दीकी रिश्तेदारी की शादीमें शरीक होने गया था. पहली शाम घर के आंगन में बैठ सभी लोग गपशप कर रहे थे कि तभी एक ख़ुशबू फैली… देखा एक ट्रे में पानी के ग्लास के साथ लहंगा-ओढ़नी पहने वह आई, सभी के आसपास होते हुए भी मैंने हिम्मत की और जैसे ही वो मेरे पास आई तो मैंने नज़रभर उसको निहारा… सांवला निश्छल रूप, लंबी लहराती एक चोटी और छोटी में मोगरा की वेली गुंधी हुई थी. जाने क्या हुआ पर पहली हीनज़र में मेरा मन जैसे महक उठा. समय बीता, फिर यूं ही बातचीत में पता चला कि वो हॉस्टल में रह कर पढ़ रही है. मैं भी अपनी पढ़ाई में व्यस्त था. लेकिन रह-रहकरउसका ख़याल और मोगरे की ख़ुशबू मुझे तरोताज़ा कर जाती. ख़ैर, पढ़ाई पूरी हुई तो नौकरी लगी, पिता स्वर्गवासी हो चुके थे. बड़े भाई ने विवाह पर दबाव डाला, कुछ रिश्ते सुझाए, तो मैं चुप रहा. सबने पूछा कि क्या बात है? मैंने अपनी पसंद बताई, तो पता चला किसी स्थानीय स्कूल में अध्यापिका है. विवाह नहीं हुआ है., लेकिन मन में एक सवाल था कि क्या वो भी मेरे लिए ऐसा ही महसूस करती होगीजैसा मैं? कहीं शादी के लिए मना कर दिया तो? बड़े भैया का संपर्क काम आया और पता चला उसने शादी के लिए फ़ौरन हां कह दिया. सब जाकर मेरे जीवन में असली मोगरा महका और मेरा पहला प्यार मुकम्मल हुआ. शादी के बाद एक कमरे की गृहस्थी में मुझे डर था न जाने ये एडजस्ट कर पाएगी या नहीं. घर में प्रवेश करते ही मेरे भांजे के हाथ से तेलकी बोतल थी छूट गई और तेल फैल गया. कांच की बोतल भी टूट गई. दरवाज़े से भीतर तक तेल व कांच बिखरा पड़ा था. नई-नवेली दुल्हन, मेहंदी लगे हाथों से ही उसने जल्दी से झाडू मांगी, इस बीच जल्दी से अपने कपड़े बदले और सफ़ाई में जुट गई. सबउसकी तारीफ़ करने लगे. उसने मेरा घर ऐसे सम्भाला कि हम सोच भी नहीं सकते थे. कभी माथे पर कोई शिकन नहीं और ज़ुबान पर कोई शिकायत नहीं. उससे पूछा कि आते ही तुमको सब सम्भालना पड़ा, कितने सपनेहोंगे तुम्हारे, मैं ज़रूर पूरा करूंगा. उसने कहा कि मेरा एक ही सपना था और वो पूरा हो गया. आपका साथ ज़िंदगीभर के लिए मिला है और क्या चाहिए. उसकी बातों ने मेरे दिल में उसके लिए प्यार ही नहीं सम्मान भी बढ़ा दिया था. मैने यहां-वहां नज़र घुमाई, कहीं फूल न थे, पर जीवन मेंउस पल जो मोगरा महका, आज तक महक रहा है. किरन नाथ
जॉर्जिया एंड्रियानी अपने काम के बजाय अरबाज़ खान की गर्लफ्रेंड के तौर पर ज़्यादा जानी जाती हैं. अक्सर लोग उनकी…
सालों पहले जब हमारे एम. ए का विदाई समारोह था तब हम सभी सहपाठी बेहद भावुक और उदास थे, क्योंकि सभी एक-दूसरे सेबिछड़ने वाले थे कल, कौन कहां होगा? किसी को भी पता नहीं था. मंच पर मैंने ‘मेरे ख्वाबों में जो आए, आ के मुझे छेड़ जाए...’ गीतगाया था उसके बाद लड़कों ने ‘तुझे देखा तो ये जाना सनम…’ गाने पर ग्रुप डांस किया था. विदाई समारोह समाप्त होते ही भीड़ में किसी ने चुपके से मुझे एक पर्ची पकड़ा दी थी और मैंने जल्दबाज़ी में वह पर्ची अपने पर्स में डालदी थी और उस पर्ची देनेवाले की शक्ल तक नहीं देख पाई थी और फिर भूल गई वह पर्ची. वह छोटी-सी पर्ची पर्स के कोने में पड़ी रहीऔर मुझे पता ही नहीं चला. एम. ए की परीक्षाओं के बाद कुछ महीनों ही बाद मेरी शादी हो गई और वह पर्स चला गया मेरी छोटी बहनके पास और मेरे पास आ गया नया पर्स. पुराना पर्स जब मेरे पास था, तब मैं हर पल एक बेचैनी-सी महसूस करती थी… लगता था जैसे कोई मुझे शिद्दत से याद कर रहा है, मुझसे कुछ कहना चाहता है… शादी के बाद भी मेरा वही हाल था. हर पल ऐसा महसूस होता था जैसे कोई मुझे दिल से याद कर रहा है, मेरी परवाह कर रहा है, मुझसे कुछ कहना चाह रहा है… ऐसा महसूस होता जैसे कोई मेरी रूह में बसा है और मैं उसे चाह कर भी अपने सेजुदा नहीं कर पा रही हूं. एक दिन छोटी बहन की चिट्ठी आई- दीदी, आपके पर्स में यह पर्ची मिली है. माफी चाहूंगी मैंने पढ़ ली है. आप पढ़ तो लेती. पता तो चलजाता आप पर मर मिटने वाला वह पर्चीवाला दीवाना कौन था? …तेरी हर अदा पर फिदा हूं, करीब होकर भी तुझसे जुदा हूं, बस तू महसूस कर मुझे, हर वक्त हर लम्हा तेरी रूह में बसा हूं...साथ हीदिल के आकार में लिखा था- तुझे देखा तो ये जाना सनम, प्यार होता है दीवाना सनम...पर्ची पढ़कर यह तो पता चल गया कि लड़कोंके ग्रुप डांस में से ही कोई होगा. उस पर्ची को दिल से लगाया और सच्चे दिल से दुआ की… …तू जहां भी हो, खुश और आबाद हो, बेहद शिद्दत से मैं भी हर वक्त और हर लम्हा तुझे महसूस करती हूं... और दोस्तों, आज भी मैं उसे महसूस कर रही हूं. जब अपने सहपाठियों से मुझे एल्यूमिनाई मीटिंग का निमंत्रण मिला तो फेसबुक कोदिल से सलाम किया, जिसकी वजह से आज यह कार्यक्रम आयोजित हो रहा है. आज मैं यहां वही विदाई समारोह वाला गाना- मेरेख्वाबों में जो आए आ के मुझे छेड़ जाए... गाऊंगी क्योंकि मुझे पूरा यकीन है वह पर्चीवाला यहां ज़रूर मौजूद होगा. गीत सुनाते वक्त मेरी नज़रें उसी पर्चीवाले को खोजती रहीं. गीत खत्म हो जाने के बाद संचालिका ने मुझे एक पर्ची थमाते हुए कहा, "संगीता, अपने बैच के सहपाठी संजीव ने दी है, जो इसी शहर में हैं. जब हम उसे निमंत्रित करने गए, तो उसने एक पर्ची देते हुए कहाहमारे बैच की संगीता इस कार्यक्रम में ज़रूर आएंगी और वही विदाई समारोह वाला गाना भी गाएंगी, आप उन्हें यह पर्ची दे देना. मैंअस्वस्थ होने की वजह से कार्यक्रम में शरीक नहीं हो पाऊंगा." उस पर्ची को मैंने अपनी मुट्ठी में ऐसे पकड़ लिया, जैसे मुझे कोई अनमोल ख़ज़ाना मिल गया हो. "इस वक्त संजीव कहां है?" "सिटी हॉस्पिटल में." बेतहाशा दौड़ पड़ी मैं हॉस्पिटल की ओर. रिसेप्शन पर संजीव का कमरा नंबर पता कर बदहवास-सी पहुंची तो वहां हंसता-मुस्कुराताज़िंदादिल संजीव सूखकर सिर्फ हड्डी का ढांचा मात्र रह गया था. उसे मैंने सिर्फ उसकी नीली आंखों से ही पहचाना, क्योंकि उसकी नीलीआंखों में वही सालों पुरानी कशिश और आकर्षण था, जिसकी वजह से क्लास की हर लड़की उस पर मिटती थी. "मुझे यकीन था संगीता, तुम ज़रूर आओगी.” फिर एकटक निहारते हुए बोला, "सच-सच बताना बीते सालों में तुमने मुझे कभी एक पलको भी महसूस किया ?” यह सुनकर रो पड़ी मैं और उसके सीने से लग सालों से जो महसूस करने का मौन सिलसिला था, वह पल भर में खत्म हो गया और साथही उसकी सांसों का सफर भी खत्म हो गया, जैसे ही डॉक्टर ने कहा "ही इज़ नो मोर" यह सुनकर बदहवास-सी चीख पड़ी मैं "संजीव, आई लव यू. हमारा पर्चीवाला इश्क हमेशा अमर रहेगा. तुम हमेशा मेरे साथ और पासरहोगे," कहते हुए मैंने उस पर्ची को अपने दिल से लगा लिया. डॉ. अनिता राठौर मंजरी --
प्रियांका चहर चौधरीचे फॅन फॉलोअर्स खूप आहे, 'उडारियां'मधून तिला मिळालेली लोकप्रियता बिग बॉसनंतर आणखी वाढली. सोशल मीडियावरही तिची लोकप्रियता खूप…
Turning single AGAIN in THE late 30s and 40s may come as a shock to many. And unlike what it…