प्रेम त्वरित आनंद देता है.. उसका रिसाव धमनियों का प्रवाह जीवंत बनाए रखता है. प्रेम, सृष्टि का सबसे महंगा सुख…
When it comes to expressing harsh truths bluntly, especially to our loved ones, most of us end up becoming tongue-tied.…
फिल्म एनिमल से पॉपुलैरिटी हासिल करने वाली भाभी 2 उर्फ तृप्ति डिमरी 30 साल की हो गई हैं. एक्ट्रेस ने…
पूनम पांडेने अलीकडेच आपल्या मृत्यूची खोटी बातमी पसरवली होती. त्यावरुन सर्वत्र खळबळ माजली, पण नंतर आपण जीवंत असल्याचे एका लाइव्ह…
“नमन, बेटा ज़रा सुनो, तुम और रोली कब शादी करने वाले हो?” “ममा रोली से तो मेरा कब का बेक्रअप हो गया और अगले हफ्ते तो उसकी शादी है…” बेपरवाह स्वर में बोलकर नमन वहां से चला गया. मैं उसे देख कर हैरत में पड़ गई. आज के बच्चे इतने बिंदास… इन्हें मोहब्बत खेल लगती है. प्यार को यूं भुला देना जैसे किक्रेट के मैदान मेंछक्का लगाते वक्त बॉल गुम हो गई हो… मैं गुमसुम-सी खड़ी अपने अतीत में झांकने लगी. पापा का लखनऊ से दिल्ली ट्रांसफर हो गया था. मैंने वहां पर नए स्कूल में दाखिला लिया. चूंकि मैंने बीच सेशन में एडमिशन लिया था, इसलिए मेरे लिए पूरी क्लास अपरिचित थी. शिफ्टिंग के कारण मैं काफी दिन स्कूल नहीं जा पाई, इसलिए मेरा काफी सिलेबस मिस भीहो गया था. मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था. मेरी क्लास टीचर ने उसी क्लास में पढ़ने वाले अनमोल से मेरा परिचय करवाया औरउसको हिदायत दी- “अनमोल तुम निधि की पढ़ाई में मदद करना.” अनमोल ने मुझे अपने नोट्स दिए, जिससे मुझे स्टडी में काफी मददमिली. यह एक संयोग ही था कि मैं और अनमोल एक ही कॉलोनी में रहते थे, फिर क्या था हम स्कूल भी साथ आने-जाने लगे. एक-दूसरे के घरजाकर पढ़ाई भी करते और पढ़ाई के साथ अन्य विषयों पर भी चर्चा करते थे. कभी-कभी साथ मूवी देखने जाते, तो कभी छत पर यूं हीटहलते. धीरे-धीरे हमारे मम्मी-पापा भी जान गए कि हम अच्छे दोस्त हैं. हम दोनों ने स्कूल में टॉप किया. इसके बाद हम कॉलेज में आ गए. अनमोल इंजीनियरिंग करने रुड़की चला गया और मैं दिल्ली में पासकोर्स करने लगी. कॉलेज पूरा होते-होते पापा ने मेरी शादी के लिए लड़का ढूंढना शुरू कर दिया. छुट्टियों में अनमोल के घर आने पर उसेअपनी शादी की चर्चा के बारे में बताया. वह एकाएक गंभीर हो गया. मेरा हाथ पकड़कर बोला, “निधि मैं तुमसे बेहद प्यार करता हूं. आजसे नहीं, जब से पहली बार देखा था, तब से ही. मैंने रात-दिन तुम्हारे ख्वाब देखे हैं. प्लीज़ मेरी नौकरी लगने तक इंतज़ार कर लो. मेरेअलावा किसी से शादी की सोचना मत.” मुझे भी अनमोल पसंद था. मैंने उसे हां कह दिया. दो महीने के बाद पापा ने ऋषभ को पसंद कर लिया. उनके मान-सम्मान के आगे मै अपनी पसंद नहीं बता पाई. एक बार मां से ज़िक्रकिया था, “मां मैं अनमोल को पंसद करती हूं और उससे ही शादी…” बात पूरी होती उससे पहले ही मां ने एक चांटा मेरी गाल पर रसीदकर दिया. “बड़ों के सामने यूं मुंह खोलते हुए शर्म नहीं आती? चुपचाप पापा के बताए हुए रिश्ते के बंधन में बंध जाओ वरना अच्छा नहींहोगा.” मां की धमकी के आगे मै मजबूर थी. मैं चुपचाप शादी करने के लिए तैयार हो गई. उस वक्त मोबाइल नहीं होते थे. मैं अनमोल को अपनीशादी के बारे में नहीं बता पाई. शादी के बाद मै आगरा आ गई. करीब दो साल बाद मेरी मुलाकात अनमोल से हुई. हम दोनों के बीच सुनने-सुनाने को कुछ शेष नहीं था. अनमोल ने ही अपनी बात कही, “ज़रूर तुम्हारी कोई मजबूरी रही होगी, वरना कोई यूं बेवफा नहीं होता. तुम्हारी शादी हो गई तो इसका मतलब यह नहीं है कि मैं तुमसेमोहब्बत करना छोड़ दूं. तुम अपनी शादी निभाओ और मुझे अपने इश्क से वफ़ा करने दो…” हम दोनों के गले रूंध गए और आंखें बह गईं. तब से लेकर आज तक अनमोल ने मेरी हर तकलीफ, हर दुख और हर खुशी में बखूबी साथ दिया. मैं अनमोल जैसा सच्चा दोस्त पाकरनिहाल हो गई. ऋषभ और अनमोल की बनती भी खूब है. उसने शादी नहीं की. एक बार मेरे ज़ोर देने पर कहा- “मेरे मन में बसी मूरत केजैसी कोई मिली तो इन यादों को एक पल में ही अलविदा कह दूंगा…” वह अक्सर कहता है… “तुझे पा लेते तो यह किस्सा ही खत्म हो जाता तुझे खोकर बैठे हैं यकीनन कहानी लंबी होगी.” शोभा रानी गोयल
They may brag about their conquests or boast about their virility, but most men have secret sexual fears. Should you…
आज व्हॅलेंटाईन डे. प्रेमिकांचा उत्सव. एकमेकांना डेट करण्याचा प्रेम-दिन. हा दिवस व प्रेमाचे क्षण अधिक सुंदर करण्यासाठी तुमचा लूक आकर्षक…
सध्या अभिनेते शक्ती कपूर यांच्या कुटुंबात आनंदाचं वातावरण आहे. कपूर कुटुंबात एका खास व्यक्तीची एन्ट्री होणार आहे. शक्ती कपूर यांचा…
20 दिसंबर 1987 को तुम मुझे अपने दोस्त, बहन और भतीजे के साथ देखने आए थे. मैं सुबह से बेचैन थी, ज़िंदगी बदल जाएगी इसएक नए रिश्ते से, सोच रही थी कि न जाने कैसा होगा वो, मुझे पसंद आएगा भी या नहीं… ज़ाहिर है हर लड़की के मन में ऐसे सवाल आनेलाज़मी हैं… इतने में ही डोर बेल बजी… मैंने सोचा अभी तो काफ़ी वक्त है तुम्हें आने में तो इस वक़्त कौन होगा? मम्मी ने कहा जाकर देख लौंड्रीवाला होगा, मैंने दरवाज़ा खोला और सामने तुम्हें पाया… हम दोनों ने सिर्फ एक-दूसरे को पल भर ही निहारा था और वो ही पल हमारापहला अफेयर बन गया था. मेरी धड़कनें इतनी तेज़ थीं कि डर लग रहा था सबको सुनाई न दे जाएं. मैं नज़रें झुकाकर एक तरफ़ हो गई, तब तक मम्मी आ गई थी. ख़ैर मैं गर्दन झुकाए तुम्हारे सामने बैठी थी, कुछ नहीं पूछा तुमने बस नज़रों ही नज़रों में प्रेम की मौन स्वीकृति दे दी. उस रात मुझे नींद नहींआई. आनेवाले कल के रंगीन सपने मैं खुली आंखों से देख रही थी. न जाने क्या था तुम्हारी उन आंखों में जो एक ही पल में मैं डूब ही गई, कभी न उबरने के लिए. कितना शांत था तुम्हारी आंखों का वो गहरा समंदर, जिसमें मैं इश्क़ के गोते लगा रही थी. तुम्हारी हां थी और मेरी भी हां थी तो बस फिर क्या था, चट मंगनी पट ब्याह हो गया फागुन की फुलेरा दूज को. सहेलियां अरेंज मैरिजमानने को तैयार नहीं थीं. सभी का कहना था कि यह तो लव मैरिज है और सच भी यही था वह पल हमारा पहला अफेयर ही था. पहलीनज़र का प्यार, जिसके बारे में बस सुना ही था पर जब ख़ुद उस एहसास से गुज़री तो पता चला ऐसा सच में होता है. ऊपरवाला इशारादेता है कि हां यही है वो जो अब तक कल्पनाओं में था और अब रूबरू है. वैवाहिक जीवन के 32 वर्ष हंसी-खुशी से गुज़र गए और नवंबर की एक क्रूर रात्रि को तुम मुझसे रूठकर ऐसे सफर पर चले गए, जहां सेलौटकर आना नामुमकिन है. मैं बहुत नाराज़ हूं तुमसे… भला ऐसे भी कोई जाता है? तुम अपने सफर पर गए हो और मेरे अंदर हर रोज़ यादों का एक सफर शुरू होताहै... सुबह की चाय से… चाय की ख़ुशबू में, उसकी महकती भाप के बीच भी तुम नज़र आते हो और मुस्कराते हो... मैं बावली-सीअनायास पूछ बैठती हूं- वही रोज़वाला सवाल, ‘फीकी चाय पी कैसे लेते हो?’ ‘तेरी मीठी मुस्कान से चाय मीठी हो जाती है…’ ‘धत्त’ कहकर मैं शरमा जाती हूं… यादों का अंतहीन सिलसिला फिर रफ्तार पकड़ लेता है. तमाम खूबसूरत लम्हे जीवंत हो उठते हैं, भरपूर जी लेती हूं उन लम्हों को. चाहेवह बोलचाल बन्द होने के हों, तीखी नोकझोंक या खट्टी-मीठी तकरार के हों. शाम ढलते ही मन में खालीपन, उदासी और तन्हाई का गहरा धुंधलका छा जाता है. रात घिरते ही... अचानक कमज़ोर हो उठती हूं मैं, टूट जाती हूं… बिखर जाती हूं... फिर हिम्मत-हौसले से खुद को सम्भालती हूं. कभीतलाशती हूं तुम्हें बिस्तर की सलवटों में... लिहाफ की गर्माहट में... स्पर्श के एहसास में... अचानक तुम्हारा मौन मुखर हो उठता है... ‘पगली, मैं यहीं हूं, तेरे पास... तेरे साथ... जन्मजन्मांतर का साथ है हमारा...’ यह सुनकर बेचैन मन का समंदर शांत हो जाता है... औरआंखों के किनारों से चंद नमकीन बून्दें ढुलक जाती हैं… नींद कब अपनी आगोश में ले लेती है पता ही नहीं चलता. फिर सुबह वही यादोंका सफर शुरू हो जाता है. फिर वही चाय, वही ख़ुशबू और वही तुम्हारी यादों का जादू… सच बहुत खफा हूं तुमसे... ऐसे बिन कहे, बिनसुने अचानक कौन चला जाता हैं… शब्दों से न सही पर सिर्फ़ निगाहों से ही कम से कम कुछ कह कर तो जाते... सिर्फ और सिर्फ तुम्हारी... बावली… डॉ. अनिता राठौर मंजरी
When relationships get weighed against expectations, the chinks begin to appear and a perfectly good association goes kaput. Adopt the…
Most millennials define their relationships as ‘complicated’. Enlightenment is necessary but not in the wrong direction, not to help you…
बात है तो पुरानी लेकिन पहले प्यार की महक मन में हमेशा बसी रहती है. गर्मियों की छुट्टियों में अपनी एक नज़दीकी रिश्तेदारी की शादीमें शरीक होने गया था. पहली शाम घर के आंगन में बैठ सभी लोग गपशप कर रहे थे कि तभी एक ख़ुशबू फैली… देखा एक ट्रे में पानी के ग्लास के साथ लहंगा-ओढ़नी पहने वह आई, सभी के आसपास होते हुए भी मैंने हिम्मत की और जैसे ही वो मेरे पास आई तो मैंने नज़रभर उसको निहारा… सांवला निश्छल रूप, लंबी लहराती एक चोटी और छोटी में मोगरा की वेली गुंधी हुई थी. जाने क्या हुआ पर पहली हीनज़र में मेरा मन जैसे महक उठा. समय बीता, फिर यूं ही बातचीत में पता चला कि वो हॉस्टल में रह कर पढ़ रही है. मैं भी अपनी पढ़ाई में व्यस्त था. लेकिन रह-रहकरउसका ख़याल और मोगरे की ख़ुशबू मुझे तरोताज़ा कर जाती. ख़ैर, पढ़ाई पूरी हुई तो नौकरी लगी, पिता स्वर्गवासी हो चुके थे. बड़े भाई ने विवाह पर दबाव डाला, कुछ रिश्ते सुझाए, तो मैं चुप रहा. सबने पूछा कि क्या बात है? मैंने अपनी पसंद बताई, तो पता चला किसी स्थानीय स्कूल में अध्यापिका है. विवाह नहीं हुआ है., लेकिन मन में एक सवाल था कि क्या वो भी मेरे लिए ऐसा ही महसूस करती होगीजैसा मैं? कहीं शादी के लिए मना कर दिया तो? बड़े भैया का संपर्क काम आया और पता चला उसने शादी के लिए फ़ौरन हां कह दिया. सब जाकर मेरे जीवन में असली मोगरा महका और मेरा पहला प्यार मुकम्मल हुआ. शादी के बाद एक कमरे की गृहस्थी में मुझे डर था न जाने ये एडजस्ट कर पाएगी या नहीं. घर में प्रवेश करते ही मेरे भांजे के हाथ से तेलकी बोतल थी छूट गई और तेल फैल गया. कांच की बोतल भी टूट गई. दरवाज़े से भीतर तक तेल व कांच बिखरा पड़ा था. नई-नवेली दुल्हन, मेहंदी लगे हाथों से ही उसने जल्दी से झाडू मांगी, इस बीच जल्दी से अपने कपड़े बदले और सफ़ाई में जुट गई. सबउसकी तारीफ़ करने लगे. उसने मेरा घर ऐसे सम्भाला कि हम सोच भी नहीं सकते थे. कभी माथे पर कोई शिकन नहीं और ज़ुबान पर कोई शिकायत नहीं. उससे पूछा कि आते ही तुमको सब सम्भालना पड़ा, कितने सपनेहोंगे तुम्हारे, मैं ज़रूर पूरा करूंगा. उसने कहा कि मेरा एक ही सपना था और वो पूरा हो गया. आपका साथ ज़िंदगीभर के लिए मिला है और क्या चाहिए. उसकी बातों ने मेरे दिल में उसके लिए प्यार ही नहीं सम्मान भी बढ़ा दिया था. मैने यहां-वहां नज़र घुमाई, कहीं फूल न थे, पर जीवन मेंउस पल जो मोगरा महका, आज तक महक रहा है. किरन नाथ