आज के कॉम्पटीशन के युग में जितनी सुख-सुविधाएं मौजूद हैं, तनाव उससे भी कहीं ़ज़्यादा हैं. घर में सुख-सुविधाएं जुटाने का तनाव, ऑफ़िस में अच्छे परफ़ॉर्मेंस का तनाव… नतीज़ा, बात-बात में ग़ुस्सा, चिड़चिड़ापन… चाहकर भी हम नॉर्मल नहीं रह पाते. बढ़ते काम के घंटों ने जैसे दिन रात के फ़र्क़ को ही मिटा दिया है, जिसके चलते अक्सर ऑफ़िस का तनाव घर तक आ पहुंचता है और हमारी पर्सनल लाइफ़ को भी डिस्टर्ब करने लगता है. ग़ुस्से की स्थिति में हम बात-बात पर चिढ़ने लगते हैं, किसी का ग़ुस्सा किसी और पर निकालने लगते हैं. इससे न स़िर्फ हमारा मूड ख़राब रहता है, बल्कि सेहत भी बिगड़ने लगती है.
ग़ुस्से के कारण निवारण के बारे में जानते हुए भी आख़िर क्यों हम इस पर काबू नहीं कर पाते..? क्योंकि हम दूसरों से ही नहीं, अपने आप से भी ज़रूरत से ़ज़्यादा उम्मीदें करने लगते हैं. हम हर बात में बेस्ट और पऱफेक्शन ढूंढ़ने लगते हैं, जोकि हर बार मुमक़िन नहीं होता और ये भी मुमक़िन नहीं है कि किसी व्यक्ति को कभी ग़ुस्सा न आए. ख़ुशी, ग़म, प्यार-दुलार जैसी तमाम भावनाओं की तरह ही ग़ुस्सा आना भी मानव स्वभाव है. हां, जब इसकी अति होने लगती है तो इसके परिणाम भी नकारात्मक होने लगते हैं.
थोड़ा ग़ुस्सा ज़रूरी है
ग़ुस्सा हमारी ताकत बन सकता है, यदि हम उसका सही समय पर सही प्रयोग करें. कई बार हम ग़ुस्से में वो काम भी कर जाते हैं, जिसकी हमने कभी कल्पना भी नहीं की होती है. यानी ग़ुस्सा जब ताकत बन जाए, तो व्यक्ति को असाधारण प्रतिभा का धनी भी बना सकता है, लेकिन ग़ुस्सा तभी असरदार हो सकता है, जब वह किसी का अहित न करे, किसी को आहत न करे. अतः थोड़ा-बहुत ग़ुस्सा आता भी है, तो उसे अपनी ताक़त बनाइए, कमज़ोरी नहीं.
कब आता है ग़ुस्सा?
जब हम कोई काम बड़ी लगन व मेहनत से करते हैं, लेकिन संतुष्टिजनक नतीज़ा नहीं मिलता.
जब कभी हार का सामना करना पड़ता है.
हालात, आस-पास के लोग या फिर ज़िंदगी की गाड़ी जब हमारे हिसाब से नहीं चलती. शारीरिक कमज़ोरी या लंबी बीमारी.
कैसे पाएं ग़ुस्से पर काबू?
* कारण जानने की कोशिश करें.
* यदि स्थिति आपके अनुरूप नहीं हो सकती तो ख़ुद को स्थिति के अनुरूप ढाल दें.
* जिस माहौल या लोगों के बीच आपको ग़ुस्सा आता है, उनसे दूर रहने की कोशिश करें.
* ग़ुस्से की स्थिति में अपना मन उन चीज़ों में लगाने की कोशिश करें, जिनसे आपको ख़ुशी या संतुष्टि मिलती है.
* जब ग़ुस्सा आए, तो अपने आपको किसी रचनात्मक कार्य में व्यस्त कर दें.
* उल्टी गिनती गिनें. इससे ग़ुस्से पर से आपका ध्यान हट जाएगा.
* लंबी-लंबी सांसें लें. ये एक तरह से डी-टॉक्सीन का काम कर के मन को शांत करता है.
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