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अंतिम यात्रा में भी अपनों को मिले पूरा सम्मान, उसके लिए ये करते हैं सराहनीय काम! (Antim Samskar Seva: Dignified Funerals And Cremation)

आसान नहीं होता अपनों को यूं अलविदा कहना, भावनाएँ कहती हैं कि काश कुछ और समय साथ बीत जाता लेकिन जीवन का सबसे बड़ा सच यही है कि शरीर एक न एक दिन मिटता ही है.

जब अपने साथ छोड़ जाते हैं तब लगता है कि काश कोई ऐसा हो जो थोड़ा सहारा दे, थोड़ी मदद कर दे ताकि अपने प्रियजन को दुःख की उस घड़ी में जी भर के देख लें, लेकिन अक्सर ज़िंदगी की कड़वी सच्चाइयों से सामना होने लगता है और दुःख की उस घड़ी में भी जुटना पड़ता है अंतिम यात्रा, अंतिम संस्कार की तैयारियों में.
ऐसे में दिल में यही भावना होती है कि शोक मनायें, अपनों को सम्भालें या फिर इस सच्चाई की कठोरता को स्वीकारते हुए जुट जाएँ तैयारियों में… लेकिन कोई है जो इस समय भी आपकी मदद करने को तैयार है, आपके काम की ज़िम्मेदारी को वो खुद लेकर आपको पूरा समय देते हैं कि आप अपनों के साथ इस दुःख दर्द को बाँट सकें और खुद को संभाल सकें.
जी हां, डॉक्टर रमणिक पारेख और डॉक्टर ज्योति पारेख अंतिम संस्कार सेवा के कार्य में जुटे हैं अपनी पूरी टीम के साथ ताकि आपको इस दुःख की घड़ी में संभलने का मौक़ा मिले और अपनी भावनाओं को पूरी तरह से आप जी सकें.

इसी संदर्भ में हमने बात की डॉ. पारेख से, तो उन्होंने अपने इस समाजिक काम के विषय में विस्तार से चर्चा की.
दरअसल, मेरा खुद का कड़वा अनुभव था जिस वक़्त मेरे पिताजी की मृत्यु हुई थी, हुआ यूँ कि उस वक़्त उनकी बॉडी व पूरी प्रक्रिया में उन्हें जो सम्मान मिलना चाहिए था वो अस्पताल प्रशासन की ओर से नहीं मिला, मेरा दिल बैठ गया था यह सब देख के और उसके बाद ही मेरे ज़ेहन में इस काम का ख़याल आया.
मुझे यही महसूस हुआ कि जिस वक़्त हम अपनों को खोने के गहरे दुःख में होते हैं उसी वक़्त हमें उनके अंतिम संस्कार से जुड़ी पूरी प्रक्रिया व काम में जुटना पड़ता है, जो बेहद मुश्किल होता है,क्योंकि ये भावनात्मक समय होता है, हमें लगता है कोई सम्भाल ले हमें, कोई दुःख को बाँट ले, लेकिन हमें भावनाओं को दरकिनार कर समाजिक व पारिवारिक ज़िम्मेदारियों में जुटना पड़ता है और यह बेहद तकलीफ़ देह होता है. ऐसे में मुझे लगता है कि किसी के काम आना सबसे बड़ी सेवा है.

हम अस्पताल से लेकर अंतिम क्रिया तक का पूरा बंदोबस्त करते हैं. सारी सामग्री मुहैया कराते हैं ताकि जो परिवार दुःख में है वो अपनी भावनाओं को हल्का कर सके बजाय इस काम में जुटने के. हमारी 20 लोगों की टीम है और मुंबई शहर में हम अब तक लगभग 13500 लोगों की अंतिम यात्रा को सम्माजनक तौर पे पूरा करवा चुके हैं और अब तक किसी भी परिवार की ओर से कोई शिकायत नहीं मिली. हमारी पूरी टीम बेहद विनम्र है और पूरी ईमानदारी से अपना काम करती है.

जहां तक कोरोना का सवाल है तो उसकी गाइडलाइन्स अलग हैं तो वो हमारे दायरे में नहीं आता. लेकिन कोरोना के समय भी रोज़ाना 5-7 अंतिम क्रियाएँ हम करवा रहे हैं क्योंकि यह मुश्किल दौर है और ऐसे में परिवार जनों को अधिक मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है इसलिए हम उनकी मदद करते हैं ताकि उनका दुःख कुछ हद तक हम बाँट सकें.
हमारी फोन सेवा भी चौबीस घंटे चलती है, कोई भी ज़रूरतमंद हमें इन नम्बर्स पर फोन कर सकता है- +91 86553 55591, +91 86553 55592, +91 22-3355500, +91 92233 55511

हमें बेहद सुकून मिलता है कि इस तरह के दुःख दर्द में हम लोगों को सहयोग कर पाते हैं और उनकी ज़िम्मेदारी बांट सकते हैं.


Geeta Sharma

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