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बाज़ार मूवी रिव्यू: यहां सब बिकता है- वफ़ादारी, ईमानदारी, इंसानियत… (Bazaar Movie Review: A Cut-throat Share Market Of Lies And Dishonesty)

 

“यहां पैसा भगवान नहीं, पर भगवान से कम भी नहीं…” फिल्म का यह संवाद बहुत कुछ बयां कर जाता है. यूं तो बिज़नेस, पैसा, बाज़ार पर कई फिल्में बनी है, पर सैफ अली ख़ान की बाज़ार इन सबसे अलग है. शेयर मार्केट में पैसे कमाने के लिए छल, कपट, धोखा, फरेब सब कुछ दांव पर लगाते हैं सैफ. उनके लिए पैसा ही सब कुछ है और बाज़ार में टॉप पर बने रहने के लिए वे कुछ भी कर सकते हैं यानी साम, दंड, भेद अपनाकर बस मुनाफ़ा कमाना उनका एकमात्र लक्ष्य है. बहुत अरसे के बाद सैफ अली ख़ान ने उम्दा अभिनय किया है. उनकी अदाकारी से ऐसा लगता है, जैसे यह भूमिका उनके सिवा कोई और बेहतरीन तरी़के कर ही नहीं सकता था.

निर्माता निखिल आडवाणी की फिल्म बाज़ार एक्शन, थ्रिलर, रोमांच से भरपूर है. गौरव के. चावला का निर्देशन लाजवाब है. जाने-माने अभिनेता विनोद मेहरा के बेटे रोहन मेहरा इस फिल्म से फिल्मी दुनिया में क़दम रख रहे हैं. अपनी पहली ही फिल्म में उन्होंने बेहद प्रभावित किया है. फिल्म में वे सैफ को बराबरी का टक्कर देते नज़र आते हैं. बहुमुखी प्रतिभा की धनी राधिका आप्टे भी ग़ज़ब की लगी हैं. चित्रागंदा सिंह हमेशा की तरह बोल्ड व ग्लैमरस से भरपूर बेजोड़ हैं. सौरभ शुक्ला, अनुप्रिया गोयनका, डेंज़िल स्मिथ, एली एवराम ने भी बेहतरीन अदाकारी का नज़ारा पेश किया है.

फिल्म में संगीतकारों का तो मेला लगा है- यो यो हनी सिंह, बिलाल सईद, कनिका कपूर आदि. लेकिन फिल्म की गति में संगीत थोड़ा-सा खटकता है, पर फिर भी ठीक है. पिछले तीन हफ़्तों से वीकेंड पर दर्शकों का भरपूर मनोरंजन हो रहा है. पहले अंधाधुन फिर बधाई हो और अब बाज़ार यानी दर्शकों को हर हफ़्ते एक ज़बर्दस्त और बेहतरीन फिल्म देखने को मिल रही है.

काशी- इन सर्च ऑफ गंगा

धीरज कुमार की काशी बहुत कुछ कहती है. शरमन जोशी व ऐश्‍वर्या देवन का अभिनय और मनीष किशोर की कहानी फिल्म को अंत तक बांधे रखती है. धीरज कुमार द्वारा निर्देशित यह एक एडवेंचर्स व फुल ड्रामा से भरपूर फिल्म है. शरमन जोशी अपनी लापता बहन गंगा को जब खोजने निकलता है, तब कई रहस्यों का ख़ुलासा होता है. प्रेम, भावनाएं, प्रतिशोध, एक्शन सभी का मिला-जुला मसाला परोसा गया है. वाराणसी यानी बनारस के ख़ूबसूरत लोकेशन पर शूट की गई पूरी फिल्म आकर्षित करती है. अन्य कलाकारों में मनोज पाहवा, गोविंद नामदेव, अखिलेंद्र मिश्रा, क्रांति प्रकाश झा, गौरीशंकर, मनोज जोशी भी प्रभावित करते हैं.

दशहरा

नील नितिन मुकेश बहुत दिनों बाद अपने एक्टिंग का जादू बिखेर रहे हैं. एक हॉस्टल में चार लोगों की आत्महत्या करने की ख़बर मिलती है, पर पुलिस द्वारा खोजबीन करने व गुत्थियां सुलझाने पर पता चलता है कि यह तो मर्डर है. नील, टीना देसाई, गोविंद नामदेव, अश्‍विनी कासलेकर, पंकज झा, निशा डे, मुरली शर्मा, शुभांगी गोखले आदि ने अपनी भूमिकाओं ठीकठाक निभाई है, पर फिर भी फिल्म अधिक प्रभावित नहीं कर पाती है. मनीष वात्सलया का निर्देशन स्तरीय है.

– ऊषा गुप्ता

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Usha Gupta

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