हर पांच में से एक माता-पिता की शिकायत रहती है कि उनका बच्चा पढ़ने से जी चुराता है और इसके लिए वो स्कूल और कंप्यूटर गेम को दोष देते हैं. लेकिन अगर आप प्रतिदिन अपने लाड़ले को 10 मिनट पढ़ने का अभ्यास कराएं तो आपको अपनी इस समस्या का इलाज मिल जाएगा. इसके लिए हम आपको कुछ टिप्स दे रहे हैं.
मां बनने के साथ ही बच्चे के प्रति आपकी ज़िम्मेदारी शुरू हो जाती है. आपको पता है कि आपका बच्चा कुछ बोल नहीं पा रहा है तो आप उससे ढेर सारी बातें करें. बच्चा आपकी भाषा को ज़रूर समझेगा. बाज़ार में मौजूद रंगीन चित्रोंवाली क़िताबें लाकर उसे बताने की कोशिश करें.
बच्चे रंगीन चित्र देखना पसंद करते हैं. आवाज़ों को सुनकर अपनी प्रतिक्रिया भी देते हैं. इसलिए ज़ोर से बातें करें, ताकि उन्हें सुनाई दे. उन्हें चित्रों को कहानी के रूप में बताएं. उनकी बातें ध्यान से सुनें.
यह भी ज़रूरी काम है, इसलिए प्रतिदिन अपने बच्चे के साथ पढ़ाई का समय निकालें और उसके साथ बैठकर उसे पढ़ने का अभ्यास कराएं.
छोटे बच्चों को जो कहानी या कविता अच्छी लगती है, वो उसे बार-बार पढ़ना चाहते हैं. बच्चों को इसके लिए प्रेरित करें. उनकी यही आदत उनके अन्दर पढ़ाई के प्रति लगाव पैदा करती है.
पढ़ाई के लिए ख़ुशनुमा माहौल बनाएं. अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से कहें कि बच्चों को ग़िफ़्ट के रूप में हमेशा अच्छी क़िताबें ही दें.
अपने बच्चों से बातें करें. उससे उसके स्कूल व दोस्तों के बारे में पूछें तथा उनकी बातों को ध्यान से सुनें. उन्हें सिखाएं कि छोटी-छोटी बातें कैसे कहानी बन जाती है.
अपने बच्चों को लाइब्रेरी की आदत डालें. ह़फ़्ते में कम से कम एक बार उसे लाइब्रेरी भेजें. बच्चों को बताएं कि वो लाइब्रेरी जाकर अपनी मनपसंद क़िताबें पढ़ सकते हैं और इससे उनका सामान्य ज्ञान बढ़ेगा.
अपने बच्चे को कुछ खाली पन्ने दें और उससे कहें कि वह उस पर अपनी छुट्टियों की बातें लिखे और उससे मिलते-जुलते चित्र लगाए, ताकि उसकी क़िताब बन जाए. इससे उसे समझने में मदद मिलेगी कि पढ़ाई कितनी ज़रूरी है.
यह कतई ज़रूरी नहीं है कि हर बच्चा एक बार में ही क़िताब पढ़ ले. उस पर दबाव न दें, बल्कि उसे समय दें कि वो अपनी मर्ज़ी से प़ढ़े.
जो बच्चे क़िताबों को ज़्यादा पढ़ना पसंद नहीं करते, लेकिन उन्हें कहानियां या कविताएं सुनना अच्छा लगता है तो उनके लिए बाज़ार में सीडी और कैसेट उपलब्ध हैं. उन्हें सुनने के लिए दें.
बच्चों की पढ़ाई को उनके खेल से जोड़ें. खेल-खेल में उसे स्पेलिंग और लेटर सिखाएं. बच्चों को लेटर वाले ब्लॉक लाकर दें और उनको अक्षरों के बारे में बताएं.
माता-पिता द्वारा अधिक दबाव देने से बच्चे पढ़ाई को सीरियस एक्टिविटी मानने लगते हैं और तनाव में आ जाते हैं. इसके लिए बच्चों को चुटकुले या कॉमिक कैरेक्टर की क़िताबें लाकर दें और बच्चों से कहें कि वो अपने हिसाब से पढ़ें.
कभी-कभी बच्चों को प्रोत्साहित करने के लिए उपहार भी दें. उनसे कहें कि यदि वो इस समय पर पढ़ाई ख़त्म कर लेगा तो उसे फ़िल्म दिखाने या घुमाने ले जाएंगे.
कुछ बच्चे ख़ुद को दूसरों के सामने असहज महसूस करते हैं, वो अकेले रहना और पढ़ना पसंद करते हैं. यह कोई समस्या नहीं है, बल्कि उसका स्वभाव है, इसलिए उससे बातें करें. अधिक से अधिक पूछें, ताकि वह सहज हो सके.
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