डॉक्टर व वैज्ञानिकों का मानना है कि रोते समय जब हमारे आंसू आते हैं, तो इससे तनाव दूर होता है. रोने से फिज़िकल स्ट्रेस से लेकर मेंटल स्ट्रेस तक दूर होता है. इसके और भी कई लाभ हैं, आइए संक्षेप में जानते हैं.
रोने को लेकर एक आम धारणा रहती है कि इससे दुख बढ़ जाता है, मन भारी हो जाता है, जबकि ऐसा नहीं है. रोना न केवल आपके मेंटल हेल्थ के लिए ज़रूरी है, बल्कि आपकी सेहत को भी अच्छा रखता है. रो लेने से जहां बेचैनी व परेशानी कम होती है, वहीं दिलोदिमाग़ हल्का और शांत हो जाता है.
क्या कहते हैं रिसर्च… शोध द्वारा पाया गया कि आंसू में मौजूद लाइसोजाइम तत्व में पावरफुल एंटीबैक्टीरियल प्रॉपर्टीज़ होती हैं, जिससे हमारी आंखें कई बायोटेरर एजेंट से सुरक्षित रहती हैं. इसके अलावा आंसू तनाव को दूर करने के साथ आंखों को क्लीन करने का काम भी करती है. आंसू कई तरह के बैक्टीरिया से भी आंखों को सेफ रखती है. इसलिए जिस तरह से हंसना अच्छा व ज़रूरी माना जाता है, उसी तरह रोना भी मन को स्वस्थ रखने के लिए ज़रूरी है.
आंसू बहने से फील गुड वाले एंडॉर्फिन केमिकल्स रिलीज़ होते हैं. इसी कारण रोने से आप स्वयं को हल्का महसूस करने लगते हैं. कुछ समय बाद मन का भारीपन दूर हो जाता है और आप अच्छा महसूस करने लगते हैं.
अक्सर बहुत परेशानी और तनाव के चलते हमारी आंखों से आंसू निकल जाते हैं, पर इसे आप रोकें नहीं, बहने दें, क्योंकि इससे हमारे शरीर के टॉक्सिंस बाहर निकलते हैं. ये आंसू, कई गुड हार्मोंस रिलीज़ करते हैं, जिससे मानसिक व शारीरिक रूप से शरीर को फ़ायदा होता है.
ख़ूब रो लेने के बाद जिस तरह से बच्चे अच्छे से सो जाते हैं, ठीक इसी तरह बड़ों पर भी यह फार्मूला लागू होता है. एक रिसर्च के अनुसार, पाया गया कि बच्चों को रोने के बाद गहरी और अच्छी नींद आती है, यही बड़ों पर भी लागू होता है. जब वह जी भर के रो लेते हैं, तो परेशानी और बेचैनी कम होने लगती है, दिलोदिमाग़ शांत हो जाता है और अच्छी नींद आती है. इसलिए एक अच्छी नींद के लिए कभी-कभी रोना भी ज़रूरी है.
क्या आप जानते हैं कि आंसू आंखों की रोशनी को भी बढ़ाता है. जी हां, नेशनल आई इंस्टीट्यूट के अनुसार, बुनियादी आंसू आंखों के मेंबरेंस की नमी को बनाए रखने के साथ इसे सूखने से बचाते हैं. इससे आंखें लुब्रिकेंट होने के साथ-साथ नज़रों की रोशनी बढ़ाने में भी मदद करता है. यानी रोने से और आंसू निकलने से आपको अच्छी तरह से दिखने का भी लाभ होता है.
जब कभी तनाव ख़ूब बढ़ जाए, आप बेहद परेशान रहें, तब थोड़ा रो लेना फ़ायदेमंद रहता है, इस बात को ना भूलें. इससे स्ट्रेस लेवल कम होने के साथ-साथ आप रिलैक्स भी महसूस करने लगते हैं.
यह भी दिलचस्प है कि हमारे आंसू तीन तरह के होते हैं, एक भावनात्मक आंसू, दूसरे अनैच्छिक आंसू और तीसरा बेसल आंसू. इसमें बेसल आंसू हमारे आंखों को लुब्रिकेंट करने का काम करते हैं. वहीं अनैच्छिक आंसू बाहरी धूल-मिट्टी आदि से आंखों को सेफ रखते हैं और तीसरा, जो सबसे अहम आंसू है वह भावनात्मक है, जिससे हमारे दर्द व तनाव को कम करने और दूर होने में मदद मिलती है.
जिस तरह टेंशन लेने, डिप्रेशन में जाने से हमारे हेल्थ पर बुरा असर होता है, इसी तरह मन में बातों को रखने से भी कई परेशानियों से दो-चार होना पड़ता है. ऐसे में सलाह दी जाती है कि हम किसी से अपने मन की बातें शेयर कर लें, जिससे मन हल्का हो जाए. यही काम रोने पर भी असर करता है. यदि आप किसी से कुछ कह नहीं सकते, तो ख़ूब रो लें. इसका तन पर काफ़ी असर होता है और सुकून मिलता है. आपने गौर किया होगा, जब कभी हम ख़ूब जी भर कर रो लेते हैं, तब काफ़ी लंबे समय से मन में बैठे हुए नकारात्मक विचार व बेचैनी दूर हो जाती है और दिल को सुकून मिलता है.