शायद ये तन एक माध्यम है मन तक पहुंचने का… मन को छूने का… हर दर्द, दुख-तकलीफ़… या फिर हर ख़ुशी, हर भाव को महसूस करने का… लेकिन क्यों आज हमारी सोच तन से शुरू होकर तन तक ही ख़त्म हो जाती है… मन को छूने की न तो कोई कोशिश होती है, न ही इसकी ज़रूरत ही हम महसूस करते हैं. तन को सुंदर रखना, तन को फिट रखना, अपनी काया को सुंदर बनाना, ताकि हम अट्रैक्टिव और फिट नज़र आएं… इसी परिधि में हमने ख़ुद को ़कैद कर लिया है, क्योंकि हमें लगता है फिट होने से अधिक ज़रूरी है फिट नज़र आना… ऐसे में हम बहुत-सी भावनाओं को और इन भावनाओं में समाहित अपने रिश्ते को भी नज़रअंदाज़ करते चले जा रहे हैं. यही वजह है कि हम तो फिट हो रहे हैं, लेकिन हमारे रिश्ते अनफिट (Unfit relationship) हो रहे हैं.
– यह बात सही है कि फिट रहना आज की ज़रूरत बन गई है. ऐसे में हर कोई फिटनेस कॉन्शियस हो गया है.
– ख़ुद को फिट रखना अच्छी बात है, इससे हम एनर्जेटिक फील करते हैं.
– दरअसल, हर फील्ड में प्रेज़ेंटेबल दिखना भी प्रोफेशन में आगे बढ़ने के लिए ज़रूरी हो गया है.
– यही वजह है कि चाहे स्त्री हो या पुरुष, वो हर तरह से परफेक्ट नज़र आना चाहता है.
– जिमिंग, वॉकिंग, योग या एक्सरसाइज़ करके या फिर स्विमिंग व डान्सिंग क्लास जॉइन करके बिज़ी लोग भी फिटनेस के लिए टाइम निकालते ही हैं.
– डायट कॉन्शियस भी हो गए हैं हम. अपने डायट में क्या रखना है, क्या कम करना है, इसके लिए भी अलग से समय निकालते हैं.
– कहने का मतलब यह है कि पूरी तरह से हमने अपने रूटीन को चेंज किया है अपनी फिटनेस या अपनी ज़रूरतों के लिए.
– यहां सबसे बड़ा सवाल यह है कि जितना ख़्याल हम अपनी फिटनेस का रखते हैं आजकल, क्या अपने रिश्तों के प्रति भी उतने ही सजग व संवेदनशील हैं?
– जितना समय हम अपनी जिमिंग या स्विमिंग के लिए निकालते हैं, क्या अपने रिश्तों के लिए निकालते हैं?
– अगर शरीर में थोड़ा-सा भी फैट्स बढ़ जाता है, तो हम अपना डायट कंट्रोल करते हैं, लेकिन यदि रिश्तों में दूरियां आने लगती हैं, तो शायद हमें एहसास तक नहीं होता.
– अपनी फिटनेस भी हम दूसरों के लिए बनाते हैं- समाज को, दुनिया को, दोस्तों को दिखाने के लिए… या बाहरी दुनिया में, सोशल मीडिया में लोगों के बीच वाहवाही लूटने के लिए या उन्हें आकर्षित करने के लिए हम अपने लुक्स व बॉडी के प्रति बहुत कॉन्शियस हो जाते हैं, लेकिन क्या किसी अपने के लिए हम ऐसा करते हैं?
– पति यदि पत्नी से कहे कि वज़न थोड़ा कम कर लो या फिर पत्नी अपने पति से कहे कि थोड़ा फिटनेस पर ध्यान दो, तो हम उसे कैज़ुअली लेते हैं, लगभग नज़रअंदाज़ कर देते हैं या फिर ताना दे देते हैं कि अब तो तुम्हें मुझमें कमी ही नज़र आएगी… लेकिन यही बात अगर कोई कलीग या दोस्त कहे, तो हम तुरंत सतर्क हो जाते हैं.
– अपनी फिटनेस को हम जितना अधिक गंभीरता से लेने लगे हैं, उतनी ही लापरवाही हम अपने रिश्तों में करने लगे हैं.
– पार्टनर, पैरेंट्स या बच्चों के साथ क्वालिटी टाइम बिताने का समय नहीं होता, क्योंकि हम बिज़ी होते हैं, लेकिन अपनी हॉबीज़ या फिर जिमिंग के लिए हम जैसे-तैसे समय निकाल ही लेते हैं.
– अगर ज़िंदगी में सबसे पहले कहीं हमें एडजेस्ट करना होगा, तो रिश्तों को ही दांव पर लगाया जाएगा… बच्चों की पिकनिक, उनके स्कूल की मीटिंग या पत्नी की रोज़मर्रा की ज़रूरतें तो ताउम्र चलती रहेंगी… लेकिन हमारा जिम या हमारी हॉबी क्लास फ़िलहाल हमारी प्राथमिकता है.
– पार्टनर से झगड़ा हो गया, बॉस से कहा-सुनी हुई या फिर पैरेंट्स से बहस, तो हम वर्कआउट करके पसीना बहाकर अपना स्ट्रेस रिलीज़ करना अधिक पसंद करेंगे बजाय रूठे पार्टनर को मनाने के या बॉस व पैरेंट्स को सॉरी कहने के.
प पसीना बहाकर कुछ देर के लिए भले ही हमारा ध्यान रिश्तों में पैदा हुए तनाव से हट जाएगा, लेकिन वर्कआउट के बाद क्या? उसके बाद तो हमें उन्हीं रिश्तों के बीच जाना है… हम फिर से उस तनाव को ओढ़ लेते हैं… ऐसे में तन भले ही फिट दिखता है, लेकिन हमारा मन फिट रहता है क्या?
– क्या यह बेहतर नहीं होगा कि अगर कोई कहा-सुनी हो गई, तो कुछ देर शांति से बैठकर रिश्ते में पनपे तनाव को दूर किया जाए… चलो आज एक्सरसाइज़ स्किप करके पार्टनर का मूड ठीक किया जाए… कोई सरप्राइज़ या मूवी या फिर डिनर ही प्लान किया जाए… शायद ऐसा कभी हम सोचते ही नहीं.
– हम उस तनाव को वहीं छोड़कर उससे पीठ मोड़कर दूर जाने की कोशिश करते हैं, जिससे हमारे रिश्ते को जो समय मिलना चाहिए, वो नहीं मिल पाता.
– जी नहीं, ऐसा करना महज़ बेव़कूफ़ी होगी. फिटनेस न स़िर्फ बाहरी अपीरियंस के लिए, बल्कि कंप्लीट हेल्थ के लिए भी बेहद ज़रूरी है.
– हमारा उद्देश्य बस यही है कि ये फिटनेस स़िर्फ आपके शरीर तक ही सीमित न रहकर, आपके रिश्तों को भी छुए.
– तो अगली बार जब जॉगिंग करें, तो पार्टनर या फिर पूरी फैमिली को भी मोटिवेट करें.
– उन्हें भी अपने साथ हॉबी क्लास की आदत डलवाएं, ताकि आप उनके साथ समय भी बिता सकें और फिटनेस का भी मज़ा ले सकें.
– जब कभी रिश्तों को आपकी ज़रूरत पड़े, तो उन्हें प्राथमिकता दें… अगर कहीं एडजेस्टमेंट या कॉम्प्रोमाइज़ करना हो, तो अपनी हॉबी या फिटनेस क्लास को तवज्जो देने की बजाय रिश्तों को अहमियत दें.
– आपस में एक साथ बैठकर सबके लिए डायट चार्ट प्लान करें.
– एक-दूसरे को मोटिवेट करें, हेल्दी चैलेंजेस दें और जो चैलेंज जीते, उसके लिए ईनाम भी रखें.
– इन तमाम छोटी-छोटी कोशिशों से आप तो फिट रहेंगे ही, आपके रिश्ते भी अनफिट नहीं होंगे.
– कमलेश शर्मा
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