साधारण से चेहरे वाले मनोज बाजपयी ने ये साबित कर दिया है कि ऐक्टर बनने के लिए केवल अच्छी ऐक्टिंग आनी ज़रूरी है. मनोज 48 साल के हो गए हैं. 23 अप्रैल 1969 को बिहार के छोटे से गांव बेलवा में जन्मे मनोज बॉलीवुड का एक बड़ा नाम है. उनकी आवाज़ और डायलॉग बोलने का अंदाज़ काबिले तारीफ़ है. आपको जानकर आश्चर्य होगा कि उन्हें नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में तीन कोशिशों के बाद भी एडमिशन नहीं मिला था. कभी हिम्मत न हारने वाले मनोज ने इसके बाद ड्रामा स्कूल से बैरी जॉन के साथ थिएटर करना शुरु कर दिया. उनके ऐक्टिंग करियर की शुरूआत हुई सीरियल स्वाभिमान से, लेकिन मनोज को कोई ख़ास पहचान इस सीरियल से नहीं मिली. शेखर कपूर की फिल्म बैंडिट क्वीन से मनोज को फिल्मों में मौक़ा मिला. इस फिल्म में उनके किरदार को सराहा गया. इसके बाद भी मनोज ने कुछ फिल्में की, लेकिन सत्या फिल्म में उनके किरदार भीखू म्हात्रे ने मनोज को एक सशक्त अभिनेता के रूप में सबके सामने ला खड़ा किया. यहां से शुरू हुआ सफलता का दौर जो अब भी जारी है. फिल्म पिंजर और सत्या के लिए उन्हें नेशनल अवॉर्ड भी मिल चुका है.
मेरी सहेली की ओर से मनोज बाजपयी को जन्मदिन की ढेरों शुभकामनाएं.
देखें उनके 5 दमदार डायलॉग्स.
फिल्म- राजनीति
फिल्म- तेवर
फिल्म- सत्या
फिल्म- शूल
फिल्म- आरक्षण
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