कला आपको पहचान देती है और आपका काम आपको कॉन्फिडेंस देता है. कला आपकी रूह को छूती है और काम आपके शरीर व भौतिक ज़रूरतों की पूर्ति का साधन बनता है. कला साधना है और काम सक्रियता. साधना भी ज़रूरी है और सक्रियता भी. मेरे लिए मेरा नृत्य कला है और मेरी साधना भी. जीवन में सक्रियता और सकारात्मकता का ज़रिया भी. मुझे डांस करते देख मेरी बच्चियों को भी इस कला से प्रेम हो गया और अब वो भी इसे साधना मानती हैं. मेरा मानना है कि इस तरह की कला जीवन में निरंतरता बनाए रखती है और मुझे इससे बहुत संबल मिला है.
इसी संबल ने मुझे आगे बढ़ाया. मैं फिल्म इंडस्ट्री में भी इसलिए अलग पहचान बना पाई, क्योंकि मेरे पास नृत्य की साधना थी. यही वजह है कि मैं आज भी इस साधना से इतना जुड़ाव महसूस करती हूं. मेरी मां ने मुझे इस कला का सम्मान करना सिखाया और अब मेरी बेटियां भी वही करती हैं. उनके लिए भी यह मात्र एक कला न रहकर साधना ही है. हम सभी इस साधना के ज़रिए एक सूत्र में जैसे बंध जाते हैं. ईश्वर की आराधना का भी यह बेहतरीन ज़रिया है.
फिल्म और डांस के माध्यम से मुझे लोगों का इतना प्यार और सम्मान मिला है कि मैं उनकी ऋणी हो गई हूं. इन्हीं सबके बीच मेरा पॉलिटिकल करियर भी शुरू हुआ. सच पूछो, तो यह करियर नहीं, बल्कि एक ज़रिया बना है लोगों के बीच जाने का. उनसे जुड़कर उनको और क़रीब से पहचानने का. अब मेरे पॉलिटिकल करियर के माध्यम से मुझे समाज, देश के लिए काम करने का मौक़ा मिला है और मैं अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रही हूं कि मैं अपना काम पूरे तन-मन से करूं.
हेमा मालिनी देश और अपने दर्शकों को क्या लौटाना चाहती हैं, जानने के लिए देखें वीडियो:
मैं कृष्णभक्त हूं और मुझे कृष्ण की नगरी मथुरा में काम करने का मौक़ा मिला है, इससे अच्छा सौभाग्य मेरे लिए क्या हो सकता है. मुझे देश की जनता ने जो प्यार और सम्मान दिया है, उसे मैं अब उनकी सेवा करके लौटाना चाहती हूं.
ईश्वर की कृपा से मुझे जितना भी मिला है, मैं उससे पूरी तरह से संतुष्ट हूं और यदि मैं उसका अंश मात्र भी समाज को लौटा सकूं, तो ख़ुद को धन्य समझूंगी, क्योंकि हर किसी को इस तरह के मौ़के नहीं मिलते. मुझे मिले हैं, तो मैं ज़रूर चाहूंगी कि इन्हें यूं ही न गंवाऊं.
मेरी दोनों बेटियां और धरमजी भी मुझे हौसला देते हैं और आगे बढ़ने की प्रेरणा देते रहते हैं. वैसे भी जब आपका परिवार आपके साथ होता है और लोगों का इतना प्यार और विश्वास भी होता है, तो कोई अड़चन आपको रोक नहीं सकती.
हालांकि छोटी-मोटी तकली़फें तो आती रहती हैं, उनसे पार पाकर ही आगे बढ़ना अब मेरा लक्ष्य है, क्योंकि अब मैं ज़िंदगी में जिस मुक़ाम पर पहुंच चुकी हूं, वहां पर निजी ख़्वाहिशों और हसरतों के लिए जगह ही नहीं है, मेरा अब जो भी है, वो समाज का है, उन लोगों का है, जिन्होंने मुझे यहां तक पहुंचाया है.
आपको लगेगा कि ये सब बड़ी-बड़ी बातें हैं, लेकिन मेरा दिल जानता है कि लोगों की सेवा का यह मौक़ा मेरे लिए क्या मायने रखता है. मेरे लिए यह सौभाग्य की बात है कि मैं पॉलिटिक्स के ज़रिए समाज सेवा कर पा रही हूं. मैंने जो पाया, वही लौटा रही हूं. मैं शिद्दत से यह करना चाहती थी, इसलिए ईश्वर ने मुझे चुना यह करने के लिए.
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