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बढ़ने न दें बच्चों में मोटापा (How Parents Can Prevent Child Obesity?)

मॉडर्न लाइफस्टाइल, ग़लत खान-पान और व्यायाम न करने की आदत से न स़िर्फ वयस्क ही मोटापे की गिरफ्त में आ रहे हैं, बल्कि छोटे स्कूली बच्चे भी तेज़ी से मोटापे का शिकार हो रहे हैं. अगर आपके बच्चे का वज़न उसकी औसत लंबाई के हिसाब से अधिक है तो इसे हल्के में न लें, क्योंकि वो मोटापे का शिकार हो सकता है. आंकड़ों के मुताबिक़, दुनियाभर में तक़रीबन 16 से 33 फ़ीसदी बच्चे बढ़ते वज़न के शिकार हैं. बच्चों में बढ़ता हुआ मोटापा उन्हें छोटी-सी उम्र में ही कई बीमारियों का शिकार बना सकता है. चलिए जानते हैं बच्चों में मोटापा बढ़ने के कुछ आम कारण, ताकि व़क्त रहते आप अपने बच्चे को मोटापे की मार से बचा सकें.

क्या है मोटापा?
जब शरीर में अत्यधिक फैट के कारण वज़न बेहिसाब बढ़ने लगता है और उसका सेहत पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने लगता है, तो इस स्थिति को मोटापा कहते हैं. सामान्य तौर पर बच्चों में मोटापा तब तक नहीं बढ़ता, जब तक बच्चे का वज़न उसकी लंबाई व शारीरिक बनावट से 10 फ़ीसदी अधिक न हो जाए. दरअसल, बच्चों में वज़न बढ़ने की समस्या की शुरुआत 5-6 साल या किशोरावस्था में शुरू हो जाती है. एक अध्ययन के अनुसार, जो बच्चे 10 से 13 साल की उम्र में मोटापे के शिकार हो जाते हैं, उनके वयस्क होने पर भी उनमें मोटापा बढ़ने की संभावना दूसरों के मुक़ाबले अधिक होती है.

लक्षण
मोटापे के कारण शरीर में कई प्रकार के शारीरिक और मानसिक परिवर्तन आते हैं और व्यक्ति में इसके लक्षण भी स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगते हैं, जो निम्न प्रकार के हैं.
– सांस फूलना.
– अधिक पसीना आना.
– तेज़ आवाज़ में खर्राटे लेना.
– अत्यधिक थकान महसूस होना.
– पीठ और जोड़ों में दर्द होना.
– आत्मविश्‍वास में कमी आना.
– अकेलापन महसूस करना.

कारण
अगर बच्चे के माता-पिता में से कोई एक मोटा है, तो बच्चे के मोटे होने की संभावना 50 फ़ीसदी तक होती है और अगर माता-पिता दोनों ही मोटे हैं, तो बच्चे में मोटापे की संभावना 80 फ़ीसदी तक होती है. इसके अलावा कई और कारण भी हो सकते हैं.

बाहर का खाना
अधिकांश बच्चे घर के बने खाने की बजाय बाज़ार में मिलने वाली खाने की चीज़ों को बड़े ही चाव से खाते हैं. यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन में हुए एक अध्ययन के मुताबिक, जो बच्चे बाहर का खाना खाते हैं, उनमें क़रीब 30 फ़ीसदी बच्चे मोटापे के शिकार हो जाते हैं. इस सर्वे में यह भी पाया गया कि जो बच्चे चिप्स और सोडा जैसी चीज़ें खाने में दिलचस्पी रखते हैं, उनमें मोटापा अधिक बढ़ता है.

टीवी देखना
जो बच्चे घंटों बैठकर टीवी देखते हैं या फिर ऑनलाइन वीडियो गेम खेलते हैं, उनमें मोटापा तेज़ी से बढ़ता है. कई अध्ययनों में यह ख़ुलासा हुआ है कि ज़्यादा टीवी देखने से बच्चों में मोटापा बढ़ता है. एक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि जो लड़कियां रोज़ाना ढाई घंटे या उससे अधिक टीवी देखती हैं, वे दो घंटे टीवी देखने वालों के मुक़ाबले ज़्यादा मोटी होती हैं.

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आर्थिक संपन्नता
आर्थिक रूप से संपन्न परिवारों में जन्म लेने वाले बच्चों में मोटापा आम बच्चों की तुलना में अधिक होता है. एक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि संपन्न परिवार के बच्चे पौष्टिक भोजन की बजाय बाज़ार में मिलने वाले जंक फूड और फास्ट फूड का सेवन ज़्यादा करते हैं. इस तरह की चीज़ों को खाने से मोटापा बढ़ता है. इसके अलावा जो बच्चे खाने के बाद बैठे रहते हैं उनके शरीर में अतिरिक्त चर्बी जमा हो जाती है.

पढ़ाई का प्रेशर
स्कूली बच्चों के माता-पिता अक्सर पढ़ाई को लेकर उन पर दबाव बनाते रहते हैं, लेकिन वो इस बात से बेख़बर होते हैं कि उनका इस तरह से बच्चे पर दबाव बनाना उसे मोटापे का शिकार बना सकता है. दरअसल, पढ़ाई का बढ़ता दबाव और खेल-कूद या शारीरिक व्यायाम में कमी आना, बच्चे के वज़न बढ़ने के कारणों में से एक हो सकता है.

नौकरीपेशा मां
साल 2011 में बच्चों के विकास पर हुए एक अध्ययन के मुताबिक, जो महिलाएं ऑफिस जाती हैं उनके बच्चे घर पर रहने वाली घरेलू औरतों के बच्चों के मुक़ाबले ज़्यादा मोटे होते हैं. इस अध्ययन से यह भी पता चला है कि किसी भी नौकरीपेशा महिला के बच्चे का घर पर रहने वाली महिला के बच्चे की तुलना में पांच महीने में एक पाउंड ज़्यादा वज़न बढ़ जाता है और उनका बीएमआई दूसरे बच्चों की तुलना में ज़्यादा होता है.

डिजिटल एडिक्शन
बच्चों का अधिक टेक सेवी होना और उनमें बढ़ता डिजिटल एडिक्शन उन्हें मोटापे का शिकार बना रहा है. साल 2010 में फैमिली फाउंडेशन द्वारा किए गए अध्ययन के मुताबिक, 8 से 18 साल तक की उम्र वाले बच्चे प्रतिदिन अपना डेढ़ घंटा आई फोन या अन्य प्रकार के गैजेट्स पर बिताते हैं, जिससे उनकी शारीरिक गतिविधियों में कमी आई है और इसका सीधा असर उनके बीएमआई पर पड़ रहा है.

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अन्य कारण
– भूख से ज़्यादा खाना या ओवरईटिंग.
– खेल-कूद या शारीरिक गतिविधियों में कमी.
– मोटापे का पारिवारिक इतिहास.
– न्यूरोलॉजिकल समस्या और दवाइयां.
– तनावपूर्ण घटना या अन्य भावनात्मक समस्या.

कैसे करें बचाव?
मोटापे के शिकार बच्चों को मेडिकल जांच की ज़रूरत होती है, जिससे उनके मोटापे की असली वजह का पता लगाया जाता है. हालांकि कुछ सावधानियां बरतकर आप अपने बच्चे को मोटापे की मार से बचा सकते हैं.

– बच्चों को दें हेल्दी लाइफस्टाइल.
– बच्चे को घर का बना खाना ही खिलाएं.
– खेल-कूद व शारीरिक गतिविधियों में भाग लेनें दें.
– बच्चों के टीवी देखने का समय निर्धारित करें.
– उन्हें इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स से दूर रखें.
– हर समय उन पर पढ़ाई का दबाव न बनाएं.
– बच्चे के साथ समय बिताएं.

– कमला बडोनी

अधिक पैरेंटिंग टिप्स के लिए यहां क्लिक करेंः Parenting Guide

Usha Gupta

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