क्या-क्यों, कैसे-कब, ऐसा मत करो, ये करो… कुछ ऐसे सवाल होते हैं, जो रिश्तेदार बच्चों से ख़ूब करते हैं. कई…
बच्चों के हेल्दी ग्रोथ के लिए ज़रूरी है कि बचपन से ही उनके पोषण पर ध्यान दिया जाए, बच्चों को इन्फ़ेक्शंस से बचाने और स्वस्थरखने के लिए ज़रूरी है कि उनका इम्यून सिस्टम मज़बूत रहे, जिसके लिए उन्हें ऐसा भोजन दिया जाए जो इम्युनिटी के लिए बेस्ट हो. यहां हम ऐसे ही फ़ूड की बात कर रहे हैं जो बच्चों की इम्युनिटी को बेहतर करेंगे और उनको हमेशा हेल्दी रखेंगे. यहां आपको एक और बात का भी ध्यान रखना है कि बच्चे इतनी आसानी से हेल्दी फ़ूड नहीं खाते, इसलिए आपको क्रिएटिव ढंग सेउनके खाने में उनको शामिल करना होगा, प्रेजेंटेशन बेहतर करके और टेस्ट बढ़ाकर उनको ये ख़ाना खिलाएं, जैसे- आप सूप, स्मूदी, सलाद, परांठे, वेजीटेबल नूडल्स, सैंडविच आदि में उनको शामिल कर सकते हैं. ग्रीन वेजीटेबल्स: विटामिन ए, सी और के, कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम और पोटैशियम से भरपूर हरी पत्तेदार सब्ज़ियों में कईपोषक तत्त्व होते हैं. ग्रीन वेजीटेबल्स में बीटा-कैरोटीन सहित ऐसे अनेक एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो बच्चों के इम्युन सिस्टम कोस्ट्रॉन्ग बनाते हैं. आयरन प्रचुर मात्रा में होने से यह शरीर में वाइट ब्लड सेल्स और एंडीबॉडीज़ का प्रोडक्शन बढ़ाता है. दही: दही नेचुरल प्रोबायोटिक्स है यानी इसमें गुड बैक्टीरिया होते हैं, जो इम्युनिटी और गट को स्ट्रॉन्ग और हेल्दी रखते हैं. रिसर्चबताते हैं कि जो बच्चे दही खाते हैं, उन्हें कफ-कोल्ड और ईयर व थ्रोट इन्फेक्शन होने की संभावना कम होती है. सिट्रस फ्रूट्स: संतरा, आंवला, अमरूद, नींबू जैसे खट्टे फलों में काफ़ी मात्रा में विटामिन-सी और एंटीऑक्सीडेंट होता है, जोइम्यून सिस्टम को मजबूत बनाते हैं. ब्रोकोली: इसे सुपर फूड भी कहते हैं. ब्रोकोली में मौजूद मिनरल्स, विटामिन्स (ए, सी व ई), एंटीऑक्सीडेंट्स, एंटीइनफ्लेमेट्री औरडिटॉक्सिफाइंग कंपोनेंट इम्युनिटी को स्ट्रॉन्ग करते हैं. अंडा: अंडा विटामिन और प्रोटीन का सबसे बेहतरीन स्रोत है. यह भी एक सुपर फूड है. एग योक में ज़िंक, सेलेनियम औरमिनरल्स होते हैं, जो बच्चों के मस्तिष्क का विकास और आंखों की रोशनी को भी तेज़ करते हैं. ड्राई फ्रूट्स, नट्स और सीड्स: विटामिन ई से भरपूर ड्राई फ्रूट्स और सीड्स एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होते हैं और इम्यूनिटी बढ़ातेहैं. काजू, बादाम, अखरोट, पिस्ता, मूंगफली और सीड्स में विटामिन, मिनरल्स, प्रोटीन, हैल्दी फैट, फाइबर होते हैं, इसलिएबच्चों के डाइट में कद्दू के बीज, तिल व अलसी के बीज, चिया सीड्स शामिल करें. नट्स में प्रोटीन व फाइबर प्रचुर मात्रा में होतेहैं. नट्स में रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ानेवाले ज़िंक, आयरन, मिनरल्स और विटामिन्स भी होते हैं. दालें, बीन्स और चना: दालों में प्रोटीन भरपूर मात्रा में होता है और बिना नॉन वेज के प्रोटीन पाने का ये सबसे आसान तरीका है. इसके अलावा बींस और दालों में फाइबर, आयरन, कैल्शियम, मैग्नीशियम, फोलेट, जिंक और पोटैशियम काफ़ी मात्रा में होताहै. दालों में फाइटोकेमिल भी होते हैं जो गंभीर बीमारियों से लड़ने में मदद करते हैं. बीन्स और दालों में फाइबर और अघुलनशीलस्टार्च प्रचुर मात्रा में होते हैं, जो पेट को स्ट्रॉन्ग बनानेवाले गुड बैक्टीरिया का निर्माण करते हैं, जिससे पाचन तंत्र और इम्युनसिस्टम मज़बूत होता है. हल्दी: हल्दी नेचुरल पेनकिलर है और इन्फ़ेक्शंस से लड़ने में बेहद कारगर भी. इसमें करक्यूमिन नामक तत्व होता है जिसमेंएंटीमाइक्रोबियल, एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लामेट्री गुण होते हैं, को इम्युनिटी को बूस्ट करते हैं और कई बीमारियों से लड़ने मेंभी मदद करते हैं. लहसुन: लहसुन को इम्युनिटी बूस्टर फूड भी कहा जाता है. इसमें सेलेनियम होता है, जो शरीर में ऑक्सीडेटिव तनाव, सूजन कोकम करता है और इम्युनिटी बढ़ाता है. इसमें ऐसे पोषक तत्व होते हैं, जो इम्युनिटी सेल्स में होनेवाले इंफेक्शन से लड़ने मेंसहायता करते हैं. यह बच्चों के शरीर में मौजूद सल्फर को नियंत्रित करता है, ताकि उनके शरीर में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स कीएक्टिविटीज़ तेज़ हो सके. केला: यह इम्युनिटी बढ़ाने वाला बेस्ट फूड है, क्योंकि इसमें विटामिन बी6 होता है. बॉडी में विटामिन बी6 की कमी की वजह सेइम्यून सिस्टम पर नकारात्मक असर होता है, इसलिए केले को बच्चों की डाइट में ज़रूर शामिल करें. बेरीज: सभी कलर की बेरीज़- रेड, ब्लू, पर्पल विटामिन सी से भरपूर होती हैं. इनमें एंथोसायनिन्स की मात्रा बहुत अधिक है, जोएक पावरफुल एंटीऑक्सीडेंट होता है. यह कई बीमारियों से बच्चों की रक्षा करता है. बेरीज़ इम्युनिटी को मज़बूत बनाने केसाथ-साथ बच्चों में इन्फ़ेक्शंस के ख़तरे को भी कम करती हैं. टमाटर: इनमें विटामिन सी और बीटा-कैरोटीन नामक एंटीऑक्सीडेंट प्रचुर मात्रा में होता है, जो इम्यून सिस्टम में होनेवालेइन्फ़ेक्शंस से बच्चों की रक्षा करता है. टमाटर एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होते हैं, जो बच्चों में फ्री रैडिकल्स से होनेवाले डेमैज कोरोकते हैं और उनकी इम्युनिटी बढ़ाते हैं. कलरफुल वेजीटेबल्स: रंग-बिरंगी सब्ज़ियां सब्ज़ियों में कलरफुल कंपोनेंट केरोटेनाइड्स (जैसे- बीटा कैरोटीन) नामकएंटीऑक्सीडेंट्स होता है, जो बच्चों की रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है. लाल शिमला मिर्च में बीटा कैरोटीन और विटामिन सीबहुत अधिक मात्रा में होता है, जो बच्चों की आंख और त्वचा को हेल्दी बनाए रखने में मदद करता है. इसी तरह गाजर मेंविटामिन्स ए, बी, सी और जी, पोटैशियम और सोडियम बहुत अधिक मात्रा में होते हैं, जो आंखों की रोशनी, पाचन तंत्र और दांतोंके लिए फ़ायदेमंद होते हैं. सालमन: सी फ़ूड और फिश में सालमन ओमेगा 3 फैटी एसिड का सबसे बेस्ट सोर्स है. इसमें मौजूद फैट्स बच्चों के मानसिकविकास और इम्युनिटी को स्ट्रॉन्ग बनाने में मदद करता है. शकरकंद: यह विटामिन बी6 का अच्छा सोर्स होता है, जो इम्युनिटी के लिए बहुत ज़रूरी है. इसके अलावा, इसमें विटामिन ए, प्रोटीन, फ़ाइबर और पोटेशियम भी होता है.
मेरा बच्चा किसी की सुनता ही नहीं… मेरी बेटी बेहद ज़िद्दी होती जा रही है… आजकल के बच्चे काफ़ी मनमानी…
बच्चे बहुत जल्द बदलते मौसम से प्रभावित होते हैं, इसके अलावा वो खानपान को लेकर भी काफ़ी चूज़ी और थोड़े ज़िद्दी होते हैं, जिससेअक्सर उनको खांसी की समस्या जब-तब होती रहती है. वहीं नवजात शिशु भी अक्सर खांसी की चपेट में आ जाते हैं, ऐसे में उन्हें कुछआसान घरेलू उपायों द्वारा कंट्रोल किया जा सकता है. 👉🏻 सावधानियां ➡️ ध्यान रहे कि ये होम रेमेडीज़ सामान्य खांसी के लिए है. ➡️ अगर बच्चे की खांसी बढ़ रही है और उसे राहत नहीं मिल रही तो फ़ौरन डॉक्टर के पास ले जाएं. ➡️ इसके अलावा बच्चों को इम्युनिटी बूस्टर फ़ूड खिलाएं. ➡️ उनको सर्दी से बचाएं. ➡️ उनका रूटीन हेल्दी बनाएं, हाइजीन की आदत और महत्व समझाएं. ➡️ खाना खाने से पहले, खांसने-छींकने के बाद, टॉयलेट यूज़ करने के बाद साबुन से हाथ धोने की आदत विकसित करें. 👉🏻 होम रेमेडीज़… शहद चटाएं. शहद में औषधीय गुण होते हैं, जो खांसी में काफ़ी लाभदायक हैं. स्वीट होने के कारण बच्चे इसे आसानी से ले भीलेते हैं. विटामिन सी युक्त चीज़ें खिलाएं-पिलाएं. एक कप पानी में नींबू का रस और थोड़ा-सा शहद मिलाकर दें. अगर बच्चा थोड़ा बड़ा है तो गरारा करवाएं. गुनगुने पानी में नमक या हल्दी डालकर गार्गल करें. गले में ड्राइनेस न बढ़ने दें, इसलिए बच्चे को ज़्यादा से ज़्यादा लिक्विड यानी तरल पदार्थ दें, जैसे- जूस, सूप, पानी. जंक और ऑयली फ़ूड से बचाएं. अदरक का रस शहद के साथ रात को सोते समय दें. 2 साल से कम उम्र के बच्चे के तकिए पर नीलगिरि के तेल की कुछ बूंदें डाल दें. एक चम्मच तुलसी का रस, एक चम्मच अदरक का रस और एक चम्मच शहद मिलाकर दिन में तीन बार दें. मिश्री का टुकड़ा दें. ये काफ़ी फ़ायदा करेगा. अंजीर खिलाएं. इससे छाती में जमा बलगम निकल जाता है और खांसी से छुटकारा मिलता है. बड़ी इलायची का पाउडर थोड़ा-थोड़ा दिन में तीन बार पानी के साथ दें.…
बच्चों के यौन शोषण को लेकर आज भी समाज इतना जागरूक नहीं हुआ. पैरेंट्स अक्सर बच्चों की बातों को मनगढ़ंत…
आज जिस तरह की लाइफस्टाइल हम सभी जी रहे हैं, उसमें अपनी सेहत व फिटनेस पर अधिक ध्यान देने की…
वीडियो गेम डेवलपर वीडियो गेम्स इस तरह डिज़ाइन करते हैं कि यही उनके बिज़नेस की सफलता का राज़ होता है.…
कहा जाता है बच्चे गीली मिट्टी की तरह होते हैं, उनको जिस सांचे में ढालोगे वो ढल जाएंगे. वैसे भी आजकल हम ये महसूस कर रहे हैंकि बच्चों में काफ़ी बदलाव आ गया है, उनकी मासूमियत कम हो रही है और वो परिवार व अपनेपन की भावना से दूर हो रहे हैं.ऐसे मेंउन्हें अपने परिवार, अपनी संस्कृति से रूबरू कराना बेहद ज़रूरी है और इसमें सबसे अहम भूमिका निभा सकते हैं हमारे त्योहार. ऐसा भी देखा गया है कि बच्चों के लिए त्योहारों का भी अर्थ बदल सा गया है, वो त्योहारों के पीछे छिपे असली अर्थ को न समझते हुएबस इतना ही जान पाते हैं कि होली में हड़दंग मचाना है और दिवाली में पटाखे फोड़ना व खाना-पीना. इसीलिए ये और भी ज़रूरी होजाता है कि हम उनको अपने त्योहारों का असली मतलब बताएं और उनको बेहतर इंसान बनाएं. क्या है त्योहारों के असली मायने? अपने बच्चों को हर त्योहार के पीछे छिपे धार्मिक, सामाजिक, पारिवारिक व वैज्ञानिक महत्व और मायने बताएं. हर त्योहार को मनाने कीख़ास वजह होती है, चाहे वो ऋतु परिर्वतन हो या फिर कोई सामाजिक सीख व शिक्षा- इससे अपने बच्चों को वाक़िफ़ करवाएं. सिर्फ़कर्म-कांड ही नहीं उनके पीछे के वैज्ञानिक पहलुओं के बारे में समझाएं. उनसे जुड़ी कहानियां व कहानियों की सीख के बारे में बताएं. स्वास्थ्य से इनका क्या कनेक्शन है ये भी बताएं, ताकि बच्चे भी उत्सुक होकर त्योहारों को उत्साह के साथ मनाएं. अपनेपन का सबब होते हैं त्योहार… आजकल माइक्रो फ़ैमिली हो गई है. सिंगल फ़ैमिली कल्चर बहुत बढ़ चुका है जिससे बच्चे अपने सभी परिवार के सदस्यों को न तोपहचानते हैं और न ही उनसे जुड़ाव महसूस करते हैं. यहां तक कि कोई नाते-रिश्तेदार आ भी जाएं तो बच्चों को बहुत अखरता है. वो न तोउनके साथ घुलना-मिलना चाहते हैं और न ही अपना कमरा व अपनी चीजें शेयर करना चाहते हैं, ऐसे में बच्चों को फ़ेस्टिवल के दौरानअपनों के साथ मेल-मिलाप बढ़ाने का मौक़ा मिलता है. आप बच्चों को रिश्तेदारों के यहां लेकर जाएं या उनको अपने यहां बुलाएं. इससेबच्चों का अकेलापन दूर होगा और उनको फ़ैमिली कल्चर का पता चलेगा. ऐसा भी किया जा सकता है कि आप बच्चों से कहें कि इसबार होली या दिवाली या फिर जन्माष्टमी गांवकी मनाएंगे और आप कहीं और हॉलिडे प्लान करने की बजाए गांव जाकर सभी के साथत्योहार का आनंद उठाएं. बच्चे भी जब अपने बड़ों और अपने कज़िन्स से मिलेंगे तो उनको ख़ुशी होगी और अपनेपन की भावना बढ़ेगी. मिल-जुलकर काम करने की भावना बढ़ाते हैं त्योहार… फ़ेस्टिवल टाइम में सारा परिवार मिल-जुलकर घर की साफ़-सफ़ाई, कुकिंग, शॉपिंग और अन्य प्लानिंग करते हैं. इसमें बच्चों को भीशामिल करें और कुछ कामों की ज़िम्मेदारी उनको भी सौंपें. इससे वो काम-काज में हाथ बंटाना सीखेंगे. वैसे भी रीसर्च कहता है कि घरका काम करने से बच्चों में आत्मविश्वास बढ़ता है. बच्चों को भी ये एहसास होगा कि उनको भी घर की ज़िम्मेदारियों में हिस्सेदार बनायाजाता है तो उनमें ज़िम्मेदारी की भावना पनपेगी और त्योहारों के प्रति उनका उत्साह भी बढ़ेगा. आजकल फ़ेस्टिवल को लेकर को ठंडापनऔर दिखावे का कल्चर बढ़ रहा है इससे उनको बचाया जा सकता है. सिर्फ़ अपने ही नहीं, अन्य धर्मों के त्योहारों की भी जानकारी व महत्व समझाएं… बच्चों को हर धर्म का सम्मान करना सिखाएं. आजकल बच्चे दूसरे तो दूर की बात है अपने धर्म का भी सम्मान नहीं करते. उनको सब कुछढकोसला लगता है, लेकिन आप इंटरनेट और सोशल मीडिया की मदद से अपना भी ज्ञान बढ़ाएं और अपने बच्चों को भी अपने व अन्यधर्मों के त्योहारों का असली अर्थ समझाएं. त्योहारों से जागती है सुरक्षा, प्यार और माफ़ करने की भावना… फ़ेस्टिवल हमको क़रीब लाते हैं. अगर कोई दोस्त या रिश्तेदार लम्बे समय से नाराज़ है तो त्योहार इस नाराज़गी को दूर करने काबेहतरीन अवसर हमें देते हैं. ये बाद बच्चों को भी सिखाएं कि अगर कोई नाराज़ है तो उससे माफ़ी मांग लें और अगर कोई और माफ़ीमांगे तो उसको माफ़ कर दें. त्योहार हमें अपने बैर दूर करने का मौक़ा देते हैं. इसके अलावा वो अपनी भावनाएं व प्यार दर्शाने का भी अवसर देते हैं, हम इसी वजह से गिफ़्ट या मिठाई देते हैं. बच्चों को फ़ेस्टिवल केलिए अपने फ़ेवरेट रिश्तेदार या दोस्त के लिए हाथों से ग्रीटिंग कार्ड बनाने या पेंटिंग करने को कहें. क्वालिटी टाइम बिताने और ख़ुश रहने का बेहतरीन अवसर देते हैं त्योहार… भागदौड़ भरी जीवनशैली में त्योहार ही हैं जो हमको अपनों के साथ वक्त बिताने और वो भी क्वालिटी टाइम सपेंड करने का मौक़ा देते हैं. ये बात बच्चों को ज़रूर समझाएं कि किस तरह इन दिनों सभी लोग ख़ुश रहते हैं, उत्साह के साथ काम करते हैं, हंसी-मज़ाक़ करते हैं, अंताक्षरी खेलते हैं, एक साथ खाना खाते हैं… जिससे सारा स्ट्रेस दूर हो जाता है और हम रिफ़्रेश हो जाते हैं. आप कैसे अपने बचपन में उत्साह से त्योहार मनाया करते थे इस बारे में बताएं… अपने बचपन के अनुभव बच्चों को बताएं. आपके दिनों में कैसे ये त्योहार मनाए जाते थे इस बारे में बताएं. उस वक्त इंटरनेट और फ़ोननहीं हुआ करते थे लेकिन फिर भी लोगों के दिलों के तार ज़्यादा व बेहतर ढंग से कनेक्टेड थे इसके महत्व को बताएं. आज सब सुविधाएंहैं लेकिन समय नहीं और अपनापन भी कम है तो किस तरह त्योहार ही हमको क़रीब ला सकते हैं ये बताएं… संस्कृति-संस्कारों से जोड़ते हैं त्योहार और सभ्यता, इंसानियत का पाठ भी पढ़ाते हैं और शेयरिंग-केयरिंग की भावना भी बढ़ाते हैं… त्योहार हमें हमारी संस्कृति से जोड़ते भी हैं और उसके बारे में बताते भी हैं. बच्चों को बताएं कि यही वजह है हमको ये सिखाया जाता हैकि त्योहार के दिन न किसी के बारे में बुरा बोलना चाहिए, न बुरा सोचना और न बुरा करना चाहिए. ख़ुश व सकारात्मक रहना सिखाते हैंत्योहार. इंसानियत की सीख देते हैं. हम इस दिन अपनों के साथ तो क्या अंजनों के साथ भी मिल-जुलकर ख़ुशियां बांटते हैं. अपने हाथोंसे बना खाना-मिठाई व पकवान आस-पड़ोस में सभी के साथ शेयर करते हैं. यही शेयरिंग व केयरिंग की भावना का विस्तार करते हैंत्योहार और यही हैं हमारे सच्चे व असली संस्कार… गीता शर्मा
हम सभी जानते हैं कि बच्चों के लिए भी आज की लाइफ़ स्टाइल काफ़ी तनावपूर्ण हो चुकी है, बढ़ते कॉम्पटिशन के बीच अनहेल्दी खान-पान और दिनचर्या बच्चों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को काफ़ी प्रभावित कर रही है. ऐसे में बेहतरहोगा कि बच्चों को हम कुछ बेसिक हेल्दी चीज़ें सिखाएं जिससे उनका शारीरिक विकास भी हो, वो हेल्दी और स्ट्रॉन्ग रहेंऔर इसके साथ ही उनकी मेंटल हेल्थ भी ठीक रहे. यहां हम बच्चों के लिए बेस्ट योगासन बताने जा रहे हैं जो उनकी बोंस, मसल्स को मज़बूती तो देंगे ही, साथ ही उनमें एकाग्रता, आत्मविश्वास बढ़ाकर उनको स्ट्रेस फ्री रखेंगे और अच्छी नींद लानेमें भी सहायक होंगे. वृक्षासन यानी ट्रीपोज़ सीधे खड़े हो जाएं.दोनों हाथों को बग़ल में रखें.दाएं पैर को घुटने से मोड़कर बाएं पैर की जांघ या घुटने के के पास रखें.गहरी सांस लेते रहें. अब अपने हाथों को अपने सिर के ऊपर लाएं और हथेलियों को एक साथ मिलाकर नमस्कार की मुद्रा में लाएं. रीढ़ गर्दन सीधी रहे. ये बैलेन्सिंग पोज़ है जिससे पैर, रीढ़ मज़बूत होते हैं और संतुलन करना हम सीखते हैं. भुजंगासन पेट के बल सीधे लेट जाएं.दोनों हथेलियों को सीने के पास रखें.दोनों पैर एक-दूसरे को टच करते हुए बिल्कुल सीधे हों.अब दोनों हाथों की हथेली की सहायता से शरीर का आगे का भाग यानी सिर, कंधे व धड़ को ऊपर की ओर उठाएं जैसे सांप का पोज़ होता है. इसी वजह से इसको कोबरा या स्नेक पोज़ कहते हैं.कुछ देर बाद वापस आ जाएं. अपनी क्षमता के हिसाब से करें. त्रिकोणासन सीधे खड़े होकर सांस अंदर लें.दोनों पैरों के बीच 2-3 फीट की दूरी बनाते हुए सांस छोड़ें.दोनों हाथों को ऊपर उठाकर बाईं ओर झुकें.दाएं हाथ से बाएं पैर को छुएं और बाईं हथेली की ओर देखें.थोड़ी देर इसी अवस्था में रहें, फिर पहलेवाली स्थिति में आ जाएं.दूसरी ओर से भी यही दोहराएं. धनुरासन पेट के बल लेट जाएं.दोनों हाथों को सीधा रखें.दोनों पैरों को घुटनों से मोड़कर लंबी सांस लें और सीने को ऊपर की ओर उठाएं.दोनों हाथों से दोनों पैरों की एड़ियों को इस तरह पकड़ें कि धनुष का आकार बन जाएगा.सांस छोड़कर पहलेवाली स्थिति में आ जाएं. सुखासन पालथी मारकर सीधे बैठ जाएं. हाथों को घुटनों के ऊपर रखें.आंखें बंद रखें और सांस सामान्य हो. रीढ़, गर्दन और सिर सीधे हों.मन से सारे विचार निकालकर शांति बनाए रखें. अपनी क्षमता के हिसाब से जितना देर तक बच्चे बैठ सकें बैठने दें. बालासन घुटनों को मोड़कर घुटनों के बल एड़ी पर आराम से बैठ जाएं.टखनों और एड़ियों को आपस में टच कराएं और घुटनों को बाहर की तरफ जितना हो सके फैलाएं.सांस अंदर खींचकर आगे की ओर झुकें.जब पेट दोनों जांघों के बीच आ जाए तब सांस छोड़ दें.दोनों हाथों को सामने की तरफ रखें.हथेलियों को ज़मीन से टच होने दें. सिर को भी ज़मीन से टच करते हुए टिका लें. ताड़ासन आराम से खड़े हो जाएं.दोनों पंजों के बीच ज़्यादा फासला न रखें.शरीर का वज़न दोनों पैरों पर समान हो.अब धीरे-धीरे सांस लेते हुए अपने हाथों को साइड से ऊपर उठाएं. हथेलियां खुली हों.हाथों को सिर के ऊपर उठा ले जाएं.धीरे-धीरे हथेली को, कलाई को, हाथों को, कंधे, सीने व पैरों को भी ऊपर की तरफ़ खींचें और अंत में पैरों के पंजों पर आ जाएं.पूरा शरीर ऊपर की तरफ़ खिंचा हुआ महसूस हो.कुछ क्षण इस स्थिति में रहें.संतुलन बनाए रखना शुरुआत में मुश्किल होगा लेकिन प्रयास करने से बेहतर तारीके से कर पाएंगे.अब धीरे-धीरे पैरों की एड़ियों को ज़मीन पर रखते हुए वापस सामान्य स्थिति में आ जाएं. नटराजासन…
बच्चे का सम्पूर्ण विकास हो ये सभी पैरेंट्स चाहते हैं और इसी दिशा में एबॉट ने एक सर्वे किया जिसमें…
बच्चों को पोषण देना बेहद ज़रूरी है क्योंकि बढ़ती उम्र में अगर उन्हें ज़रूरी तत्व नहीं मिले तो उनके विकास में बाधा आसकती है. लेकिन इन दिनों अक्सर अधिकांश पेरेंट्स ये गलती करते हैं कि वो पोषण देने के चक्कर में बच्चों को एक्स्ट्रापोषण यानी ओवर नूट्रिशन देने लगते हैं. सीधी सी बात है, अगर बच्चा ठीक से खा रहा है, हेल्दी है तो उसे कुछ भी एक्स्ट्रा देने की ज़रूरत नहीं. दूसरी तरफ़ बच्चे की शारीरिक गतिविधियां भी महत्व रखती हैं. बच्चे को आप अतिरिक्त पोषण दे तो रहे हैं लेकिन बच्चाअगर फ़िज़िकली एक्टिव ही नहीं है तो उस एक्स्ट्रा नूट्रिशन का क्या होगा? ये बात ज़्यादातर पेरेंट्स जानते ही नहीं कि ओवर नूट्रिशन बच्चों की हेल्थ के लिए ख़तरनाक हो सकता है. इसकी वजह सेवो कई बीमारियों की चपेट में आ सकते हैं. यूं भी अति तो किसी भी चीज़ की सही नहीं होती तो फिर नूट्रिशन के मामले मेंहम ये क्यों नहीं समझते? इसकी वजह है कि पेरेंट्स को इस बात की जानकारी ही नहीं और वो जागरुक ही नहीं हैं कि हरचीज़ की तरह बच्चों को नूट्रिशन भी संतुलित ही दिया जाना चाहिए. इस संदर्भ में हमें अधिक जानकारी दे रहे हैं नूट्रिशनिस्ट और फिटनेस एक्सपर्ट आनंद गुप्ता. ओवर नूट्रिशन क्या है? ये एक तरह का मैलनूट्रिशन यानी असंतुलित पोषण है जो अत्यधिक पोषण को लेने से होता है. और जिससे बहुत ज़्यादाबॉडी फ़ैट जमा हो जाता है यानी ये मोटापे को जन्म देता है जिससे कई गंभीर हेल्थ प्रॉब्लम्स जन्म लेती हैं. जब आप हद सेअधिक पोषक तत्व व पोषक आहार खाने लगते हैं, तो एक सीमा के बाद वो आपके स्वास्थ्य में बाधा डालने लगता है. इसे बीएमआइ यानी बच्चों का बॉडी मास इंडेक्स से आंका जाता है. उम्र और हाइट के अनुसार उनका वज़न और सही हैया नहीं. साथ ही फ़िज़िकल एक्टिविटी कितनी है इसकी जनकारी भी ज़रूरी है. ओवर नूट्रिशन के साइड इफ़ेक्ट्स… सबसे बड़ा और ख़तरनाक साइड इफ़ेक्ट है, वज़न बढ़ना, मोटापा. इसके कारण कार्डीओवैस्क्युलर यानी हार्ट संबंधीबीमारी, हाई बीपी, कैन्सर और टाइप 2 डायबिटीज़ की आशंका बढ़ जाती है. इसके अलावा बच्चे हाइपरएक्टिव भी होजाते हैं. बात मोटापे की करें तो चीन के बाद भारत 14.4 मिलियन ओबेस बच्चों के साथ विश्व में दूसरे नंबर पर है, जो कि चिंताका एक विषय है. माना जा रहा है कि साल 2025 तक भारत में मोटापे से ग्रस्त बच्चों की संख्या 17 मिलियन तक पहुंचजाएगी. शहरीकरण इस बढ़ते मोटापे की सबसे बड़ी एकमात्र वजह है, जिसमें आहार यानी खानपान व लाइफ़स्टाइल, पेरेंट्स का काम, पढ़ाई व पारिवारिक माहौल, मानसिक कारण व अन्य एपिजेनेटिक वजहें प्रमुख हैं. मोटापे के बढ़ते खतरे के कारण बच्चों में उच्च रक्तचाप, खून में कॉलेस्टरॉल व फैट्स का अत्यधिक जम जाना, टाइप 2 डायबिटीज़, नींद की समस्या, सांस लेने में दिक़्क़त आदि नज़र आते हैं. इसके अलावा कई माओं की इन दिनों ये शिकायत रहती है कि उनका बच्चा इतनी मस्ती करता है कि वो उनको थका देताहै, इसकी वजह है बच्चों के ओवर नूट्रिशन के कारण उनका हाइपरएक्टिव होना. बच्चे विटामिन से लेकर मिनरल व हरचीज़ तो एक्स्ट्रा ले रहे हैं लेकिन वो एनर्जी वो रिलीज़ कहां और कैसे करेंगे? ज़ाहिर है इसी तरह क्योंकि इन दिनों बच्चेफ़िज़िकल एक्टिविटी नहीं करते, खेल के मैदानों की बजाय वो मोबाइल या लैप्टॉप के सामने ज़्यादा नज़र आते हैं, इसलिए कोई भी एक्स्ट्रा पोषण, चाहे- प्रोटीन हो, विटामिन हो उनमें एक्स्ट्रा कैलरी ही बढ़ाएगा और उनमें हेल्थ प्रॉब्लमऔर फैट्स बढ़ेगा. कैसे कंट्रोल करें ओवर नूट्रिशन को? जंक फूड कम दें. बेहतर होगा घर पर ही उनकी मनपसंद चीज़ें बनाकर दें.मार्केट से रेडीमेड चीज़ें व पैक्ड फ़ूड न दें.टिफ़िन में हेल्दी रेसिपी दें, जैसे- सैंडविच में वाइट ब्रेड की बजाय अगर ब्राउन ब्रेड यूज़ करें तो फूड और हेल्दी होजाएगा.पेरेंट्स अपने बच्चों को अक्सर ढेर सारा चीज़, घी और अखरोट, बादाम और काजू जैसे ड्राई फ़्रूट्स भी देते हैं, क्योंकि उनकी यही सोच होती है कि बढ़ते बच्चों को ये तमाम चीज़ें हेल्दी पोषण देती हैं, लेकिन आजकल बच्चों मेंशारीरिक गतिविधियां कम हो गई हैं और मोटापा व हाइपर एक्टिविटी की समस्या बढ़ती जा रही है. इसलिए ओवरनूट्रिशन और ओवर ईटिंग दोनों ही नुक़सान पहुंचाएंगे, बजाय उनको हेल्दी बनाने के.उनकी लाइफ़स्टाइल को और ज़्यादा एक्टिव बनाएं. शुरू से ही उन्हें लाइट एक्सरसाइज़ की आदत डालें. मोबाइल गेम व लैप्टॉप की आदत की जगह खुले मैदानों में खेलने का महत्व बताएं व गार्डन में घूमने ले जाएं. टीवी या फ़ोन देखते हुए खाना खाने की आदत न पड़ने दें. शुगरी फ़्रूट्स बहुत ज़्यादा न दें क्योंकि अक्सर हम सोचते हैं कि फ़्रूट्स तो हेल्दी है, मिल्क शेक, फ़्रूट शेक भी बच्चोंको पोषण देंगे लेकिन ध्यान रहे कि इनमें शुगर बहुत ज़्यादा होती है जिससे फ़ैट्स बढ़ता है. ऐसे में बेहतर होगा किखाना खाने के बाद ये सब न दें. बल्कि अलग से ख़ाली पेट उन्हें ये दें, जैसे- नाश्ते में या शाम को 4 बजे केआसपास, लेकिन सीमित मात्रा में और वो भी सनसेट से पहले और खाली पेट, क्योंकि सनसेट के बाद फ़्रूट्स भीशुगर बढ़ाते हैं. बच्चों को अपने हाथों से सब्ज़ियां उगाने को कहें, रिसर्च बताते हैं कि अपने हाथों से उगी सब्ज़ियां वो ज़्यादा शौक़ सेखाते हैं. ऐसा नहीं है कि बच्चों को नूट्रिशन इतना कम दें कि वो कुपोषित रह जाएं, उनको बस हेल्दी खाना दें, जिसका स्वादवही हो लेकिन उसमें फैट्स कम हो. बच्चों को हेल्दी खाने की आदत तभी पड़ेगी जब आप भी उसके साथ वही खाएंगे.बच्चे के साथ वॉक पर जाएं. उसे आउटडोर गेम खेलने के लिए प्रोत्साहित करें. स्विमिंग, डान्स क्लास आदि भी अच्छा ऑप्शन है क्योंकि इससे ओवर नूट्रिशन से प्राप्त हुई एक्स्ट्रा कैलरी बर्न होंगीऔर बच्चे में मोटापे की समस्या भी नहीं होगी. कभी-कभी आनुवंशिक कारणों से भी मोटापा होता है, ऐसे में एक्सपर्ट सलाह लेकर वेट मैनेजमेंट प्रोग्राम डिसाइडकरें.आपको बस अनहेल्दी चीजों को हेल्दी से रिप्लेस करना है, जैसे- फ़्राइड की जगह स्टीम्ड व बेक्ड फ़ूड, कोल्ड ड्रिंक्सकी जगह स्किम्ड मिल्क, लो शुगर फ़्रूट जूस आदि दें. फ़्रूट्स में पपीता बेहद हेल्दी होता है, वो डायजेशन भी बेहतरकरता है, इसी तरह नींबू पानी, नारियल पानी आदि भी बेहद हेल्दी हैं, जो बिना फैट्स बढ़ाए काफ़ी पोषण देते हैं. गीता शर्मा
बच्चे की त्वचा की देखभाल करते समय अलग-अलग मौसम में नई चिंताएं पैदा होती हैं, ख़ासकर सर्दियां में. इस मौसम…