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ख़तरनाक हो सकती है बच्चों में ईर्ष्या की भावना (Jealousy In Children Can Be Dangerous)

ईर्ष्या (Jealousy) एक ऐसी भावना है, जो बड़ों के ही नहीं, बच्चों (Children) के जीवन में दबे पांव कभी भी आ सकती है. बच्चों में ईर्ष्या की भावना अपने छोटे भाई-बहन, दोस्तों और सहपाठियों को देखकर आती है. अगर बचपन से ही उनमें ईर्ष्या को कंट्रोल न किया जाए, तो आगे चलकर पैरेंट्स को इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं.

 

बच्चों में चार तरह की होती है ईर्ष्या

  1. मटेरियल जेलेसी (खिलौने आदि भौतिक चीज़ों को लेकर होनेवाली ईर्ष्या): जब बच्चा बाहरी दुनिया के संपर्क में आता है, तो अपने दोस्तों, सहपाठियों और भाई-बहनों से वह जो चाहता है, जब उसे नहीं मिलता है, तो वह उनसे ईर्ष्या करने लगता है, जिसे ‘मटेरियल जेलेसी’ कहते हैं.
  2. शैक्षणिक योग्यता व कौशल से जुड़ी ईर्ष्या: जब बच्चा अपने सहपाठियों से शैक्षणिक व खेल संबंधी ईर्ष्या करता है, तो इससे उसकी ख़ुद की परफॉर्मेंस पर बुरा प्रभाव पड़ता है. इसका मतलब है कि वह अपने को दूसरे बच्चों से कमतर आंकता है और ख़ुद को अयोग्य महसूस करता है.
  3. सोशल जेलेसी: जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होने लगता है, उसमें अपने दोस्तों (गर्लफ्रेंड/बॉयफ्रेंड) को लेकर ईर्ष्या पनपने लगती है. सोशल जेलेसी, जो बचपन में नहीं थी, लेकिन किशोरावस्था आने तक स्वत: ही बढ़ने लगती है.
  4. भाई-बहनों के बीच होनेवाली ईर्ष्या: (सिबलिंग जेलेसी): ईर्ष्या का वह रूप है, जो बचपन में हमें आसपास देखने को मिलता है. इस स्थिति में ईर्ष्यालु बच्चा अपने ही भाई-बहनों से ईर्ष्या करता है, जिसके कारण वह हेल्दी सिबलिंग रिलेशनशिप को ख़राब कर देता है.

बच्चों में ईर्ष्या की भावना जब ख़तरनाक होने लगती है, तो- 

* उनके आत्मविश्‍वास में कमी आने लगती है.

* अन्य बच्चों के साथ आक्रामक व्यवहार करने लगते हैं.

* वे ख़ुद को बेबस और लाचार महसूस करते हैं.

* दूसरे बच्चों की बुलिंग करते हैं.

* अपने दोस्तों और सहपाठियों से अलग-थलग रहते हैं.

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कैसे निबटें पैरेंट्स बच्चों में पनपनेवाली ईर्ष्या से?

* जब बच्चे मटेरियल जेलेसी से ग्रस्त होते हैं, तो पैरेंट्स की ज़िम्मेदारी है कि वे बच्चों को समझाएं कि हर परिवार की आर्थिक स्थिति अलग-अलग होती है, इसलिए अन्य बच्चों के खिलौनों आदि चीज़ों से ईर्ष्या करने की बजाय अपने पास जो है, उसी में ख़ुश रहें.

* शैक्षणिक व कौशल संबंधी ईर्ष्या से ग्रस्त होने पर पैरेंट्स को चाहिए कि वे बच्चों की योग्यता को पहचानें और उनके भीतर छिपी हुई ईर्ष्या को दूर करने की कोशिश करें. बच्चों का ध्यान उनकी व्यक्तिगत योग्यता और विशेषताओं की ओर आकर्षित करें. इसके अलावा जिन विषयों या क्षेत्रों में वे कमज़ोर हैं, उनमें सुधार करें.

* बच्चों में सोशल जेलेसी होने पर पैरेंट्स को उनकी भावनाएं समझनी चाहिए. उन्हें अकेला छोेड़ने की बजाय उनके साथ समय बिताएं. पैरेंट्स का सपोर्ट उनमें सकारात्मक सोच बढ़ाएगा.

* सिबलिंग के बीच होनेवाले मतभेदों को दूर करना पैरेंट्स की ज़िम्मेदारी है. उनके बीच होनेवाली नकारात्मक बातों पर रोक लगाएं और सभी बच्चों पर पूरा ध्यान दें.

* बच्चों में ईर्ष्या की भावना दूर करने के लिए ज़रूरी है कि घर, स्कूल, पार्क आदि जगहों पर दोस्तों के साथ होनेवाली उनकी बातों को ध्यान से सुनें, जैसे- वे किस बात से ख़ुश हैं, किस बात से परेशान हैं, किसी कारण से उन्हें जलन, तनाव, अवसाद या चिड़चिड़ापन तो नहीं है. इनके पीछे छिपे कारणों को जानने का प्रयास करें. जलन की भावना दूर करने के लिए-

  1. उन्हें महान लोगों के प्रेरक प्रसंग सुनाएं, जिससे उनका खोया हुआ आत्मविश्‍वास वापस लौट आए.
  2. उनमें नकारात्मक विचारों को दूर करके सकारात्मक सोच बढ़ाएं.
  3. उनकी उपलब्धियों को सराहें.

4.अच्छा काम करने पर उन्हें प्रोत्साहित करें.

5.उनके अच्छे सेंस ऑफ ह्यूमर की तारीफ़ करें.

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* ईर्ष्याग्रस्त होने पर बच्चों को अपनी बात अपने फ्रेंड्स या फैमिली मेंबर से शेयर करने के लिए प्रेरित करें, ताकि पैरेंट्स ईर्ष्या का कारण जान सकें.

* यदि बच्चे ईर्ष्या का कारण नहीं बताते हैं, तो उन्हें डायरी में लिखने के लिए कहें. लिखने के बाद पैरेंट्स उसे दो-तीन बार पढ़ने के लिए कहें. ईर्ष्या का कारण जानने के बाद उससे निबटने के तरी़के भी पैरेंट्स व बच्चों को समझ में आने लगेंगे.

* हर बच्चा अपने आप में ख़ास होता है, इसलिए पैरेंट्स बात-बात पर दूसरे बच्चों के साथ उसकी तुलना न करें. बार-बार तुलना करने पर बच्चों के दिमाग़ में यह बात घर कर जाती है कि पैरेंट्स उन्हें प्यार नहीं करते. धीरे-धीरे उनके मन में जलन की भावना बढ़ने लगती है और उनका आत्मविश्‍वास कमज़ोर होने लगता है.

* छोटे बच्चों को समझाना मुश्किल काम होता है, लेकिन कुछ बातों के बारे में उन्हें बताना बहुत ज़रूरी है, जैसे- ईर्ष्या. यदि बच्चे अपने छोटे भाई-बहन से ईर्ष्या करते हैं, तो पैरेंट्स को चाहिए कि प्यार और धैर्य के साथ बड़े बच्चों को समझाएं कि नए सदस्य के आने पर या छोटे भाई-बहनों के कारण उनके प्यार में कोई कमी नहीं आएगी. पैरेंट्स यदि प्यार, धैर्य और विश्‍वास के साथ उन्हें समझाएंगे, तो बच्चे ज़रूर समझेंगे.

* पैरेंट्स और बच्चों के बीच संबंधों की मज़बूती और ईर्ष्या को कम करने के लिए ज़रूरी है कि बच्चों को ‘स्पेशल फील’ कराएं, जैसे- उन्हें घुमाने के लिए बाहर ले जाएं, उनकी फेवरेट चीज़ें उपहार में दें आदि. पैरेंट्स के ऐसा करने से बच्चों को महसूस होगा कि पैरेंट्स अभी भी उनसे उतना ही प्यार करते हैं और उनके साथ समय बिताना चाहते हैं.

* बचपन से ही बच्चों में शेयरिंग की भावना विकसित करें. उन्हें शेयरिंग का महत्व समझाएं. शेयरिंग से वे हमेशा ख़ुश रहेंगे और उनके मन में कभी भी ईर्ष्या पैदा नहीं होगी.

                             – पूनम नागेंद्र शर्मा

अधिक पैरेंटिंग टिप्स के लिए यहां क्लिक करेंः Parenting Guide

Usha Gupta

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