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FILM REVIEW: मिर्ज़्या किसी ख़ूबसूरत पेंटिंग की तरह है, लेकिन रोमांस की कमी है (Mirzya Movie Review)

फिल्म– मिर्ज़्या
निर्देशक राकेश ओमप्रकाश मेहरा
स्टारकास्ट- हर्षवर्धन कपूर, सैयामी खेर, के के रैना, ओम पुरी
रेटिंग- 2.5 स्टार

मिर्ज़्या एक अहम् फिल्म है, क्योंकि यह एक फ़िल्म होने के साथ-साथ दो नए चेहरों को बॉलीवुड में लॉन्च भी कर रही है, ऐसे में ओमप्रकाश मेहरा पर काफ़ी बड़ी ज़िम्मेदारी थी. अनिल कपूर के बेटे हर्षवर्धन कपूर और सैयामी खेर दोनों के लिए ये फिल्म उनकी डेब्यू फिल्म होने के साथ-साथ एक ख़ास फिल्म भी है, जिसमें मिर्ज़ा-साहिबान की लव स्टोरी को पर्दे पर उतारना था. आइए, जानते हैं कैसी है मिर्ज़्या और आपको ये फिल्म देखनी चाहिए या नहीं.

कहानी

कहानी शुरू होती है बचपन के दोस्त सुचित्रा (सैयामी खेर) और मोनीश (हर्षवर्धन कपूर) से. एक हादसे के बाद दोनों अलग हो जाते है. बड़े होने के बाद किस्मत दोनों को फिर एक-दूसरे के सामने ला खड़ा करती है. सुचित्रा विदेश से लौटती है और उसकी शादी एक बड़े घराने के बेटे प्रिंस करण (राज चौधरी) के साथ तय हो जाती है. मोनीश जिसने अपना नाम बदल कर आदिल मिर्ज़ा रख लिया है, वो करण के यहां घोड़ों के अस्तबल में काम करता है और सुचित्रा को घुड़सवारी सिखाता है. मोनीश तो सुचित्रा को एक नज़र में पहचान जाता है, लेकिन सुचित्रा जब मोनीश को पहचानती है, तब दोनों के बीच का प्यार फिर जाग जाता है और वो समाज की बेडियां तोड़कर एक होना चाहते हैं. इस कहानी के साथ प्रेमी मिर्ज़ा-साहिबान की कहानी भी चलती रहती है. 

फिल्म की यूएसपी

यह फिल्म किसी ख़ूबसूरत पेटिंग की तरह लगती है. सिनेमैटोग्राफ़ी कमाल की है. विज़ुअली फिल्म शानदार लग रही है. 17 साल बाद गुलज़ार साहब स्क्रिप्ट राइटिंग में वापसी कर रहे हैं और उन्होंने हर एक दृश्य को बड़ी ही ख़ूबसूरती से लिखा है. शंकर-एहसान-लॉय का म्यूज़िक काफ़ी दमदार है.

फिल्म की कमज़ोरी

फिल्म की कमज़ोरी है, उसमें दिखाए गए दो एरा, जो दर्शकों को कंफ्यूज़ करेंगे. इसमें कई ऐसे दृश्य या सीन्स हैं, जो बेवजह हैं. ऐसे में रोमांस को पर्दे पर उतारने में थोड़ी कमी रह गई है. अमीर प्रेमिका और गरीब प्रेमी की कहानी कोई नहीं हैं, ऐसी कहानियों पर पहले भी फिल्में बन चुकी हैं. यह इस साल की सबसे ख़ूबसूरत रोमांटिक फिल्म बन सकती थी, लेकिन कई ज़रूरी दृश्यों में अभिनय और डायरेक्शन की कमी इस फिल्म को कमज़ोर बना देती है.

किसकी ऐक्टिंग में था दम?

पहली फिल्म के हिसाब से हर्षवर्धन और सैयामी दोनों की ही ऐक्टिंग अच्छी है. दोनों ने ही अपने किरदार के साथ न्याय किया है. अनिल कपूर के बेटे और सोनम के भाई हर्षवर्धन में पिता की विरासत को आगे ले जाने की सारी ख़ूबियां नज़र आ रही हैं.

क्यों जाएं फिल्म देखने?

फिल्म देखने की कुछ ज़्यादा वजहें तो नहीं है, लेकिन हां अगर आपको ये दो नए चेहरे पसंद आ रहे हैं, तो आप एक बार इस फिल्म को देख सकते हैं. इसके अलावा अगर आपको मिर्ज़ा-साहिबान की कहानी के बारे में नहीं पता है, तो ये फिल्म उनकी कहानी के बारे में आपकी जानकारी बढ़ा सकती है. इसके अलावा वीकेंड पर अगर करने के लिए कुछ ख़ास नहीं है तो इस फिल्म को ही देख आएं.

Meri Saheli Team

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