Others

पंचतंत्र की कहानी: दिन में सपने… (Panchtantra Ki Kahani: Day Dreams)

पंचतंत्र की कहानी: दिन में सपने… (Panchtantra Ki Kahani: Day Dreams)

एक गांव में एक लड़की अपनी मां के साथ रहती थी. वो लड़की मन की बहुत चंचल थी. अक्सर सपनों में खो जाया करती थी. एक दिन वो दूध से भरा बर्तन लेकर शहर जाने की सोच रही थी. उसने अपनी मां से पूछा, “मां, मैं शहर जा रही हूं, क्या आपको कुछ मंगवाना है?”

उसकी मां ने कहा, “मुझे कुछ नहीं चाहिए. हां, यह दूध बेचकर जो पैसे मिलें, उनसे तुम अपने लिए चाहो तो कुछ ले लेना.”


वो लड़की शहर की ओर चल पड़ी. चलते-चलते वो फिर सपनों में खो गई. उसने सोचा कि ये दूध बेचकर भला मुझे क्या फ़ायदा होगा. ज़्यादा पैसे तो मिलेंगे नहीं, तो मैं ऐसा क्या करूं कि ज़्यादा पैसे कम सकूं… इतने में ही उसे ख़्याल आया कि दूध बेचकर जो पैसे मिलेंगे उससे वो मुर्गियां ख़रीद सकती है. वो फिर सपनों में खो गई“दूध बेचकर मुझे पैसे मिलेंगे, तो मैं मुर्गियां ख़रीद लूंगी, वो मुर्गियां रोज़ अंडे देंगी. इन अंडों को मैं बाज़ार में बेचकर काफ़ी पैसे कमा सकती हूं. उन पैसों से मैं और मुर्गियां ख़रीदूंगी, फिर उनके चूज़े निकलेंगे, उनसे और अंडे मिलेंगे… इस तरह तो मैं ख़ूब पैसा कमाऊंगी…

लेकिन फिर इतने पैसों का मैं करूंगी क्या?…हां, मैं उन पैसों से एक नई ड्रेस और टोपी ख़रीदूंगी. जब मैं यह ड्रेस और टोपी पहनकर बाहर निकलूंगी, तो पूरे शहर के लड़के मुझे ही देखेंगे.

यह भी पढ़ें: पंचतंत्र की कहानी: गौरैया और घमंडी हाथी 

सब मुझसे दोस्ती करना चाहेंगे. पास आकर हाय-हैलो बोलेंगे. मैं भी इतराकर उनसे बात करूंगी. बड़ा मज़ा आएगा, लेकिन यह देखकर बाकी की सब लड़कियां तो मुझसे जलने लगेंगी. उन्हें जलता देख मुझे मज़ा आएगा. मैं उन्हें घूरकर देखूंगी और अपनी गर्दन इस तरह से स्टाइल में झटककर आगे बढ़ जाऊंगी.”

यह भी पढ़ें: पंचतंत्र की कहानी- अक़्लमंद हंस 

यह कहते ही उस लड़की ने अपनी गर्दन को ज़ोर से झटका और गर्दन झटकते ही उसे सामने रखे एक पत्थर से ठोकर भी लग गई और दूध से भरा बर्तन, तो उसने सिर पर रख रखा था, नीचे गिरकर टूट गया. यह देख वो सदमे में आ गई और उसकी तंद्रा टूटी. मायूस होकर वो गांव लौटी.

उसने अपनी मां से माफी मांगी कि उसने सारा दूध गिरा दिया. यह सुनकर उसकी मां ने कहा, “दूध के गिरने की चिंता छोड़ो, लेकिन एक बात हमेशा याद रखो कि जब तक अंडे न फूट जाएं, तब तक चूज़े गिनने से कोई फ़ायदा नहीं…” मां की हिदायत और इशारा दोनों उसको समझ में आ गया. उसकी मां यही कहना चाहती थी कि जब तक हाथ में कुछ हो नहीं, तब तक उसके बारे में यूं ख़्याली पुलाव नहीं पकाना चाहिए.

सीख: ख़्याली पुलाव पकाने से कोई फ़ायदा नहीं. दिन में सपने देखकर उनमें खोने से कुछ नहीं होगा. अगर सच में कुछ हासिल करना है, तो हक़ीक़त में मेहनत करो.

 

Geeta Sharma

Recent Posts

कद्दू के उपयोगी घरेलू नुस्ख़े (Useful home remedies of pumpkin)

कद्दू में विटामिन ए, सी व ई के साथ-साथ फाइबर, पोटैशियम, बीटा-कैरोटीन पाए जाते हैं,…

July 5, 2025

काजोल- यहां हर‌ फ़ैसला एक कुर्बानी है… (Kajol- Yahaan har faisla ek kurbani hai…)

- 'मां' एक माइथोलॉजिकल हॉरर मूवी है. इसमें मैं लोगों को इतना डराउंगी... इतना डराउंगी…

July 5, 2025

पुरुषों के इन हेल्थ सिग्नल्स को न करें नज़रअंदाज़ (Men’s health: Critical symptoms that should never be ignored)

पत्नी, बच्चों और घर के दूसरे सदस्यों के जरा-सा बीमार पड़ने पर अक्सर पुरुष तुरंत…

July 5, 2025

कहानी- वे दोनों‌ (Short Story- Ve Dono)

"बाकी जो समय बचेगा, उसमें हम दोनों पुराने दिनों के सहारे जी लिया करेंगे." "ठीक…

July 5, 2025
© Merisaheli