राखी बांधने का सही मुहूर्त व समय क्या है, ये जानने की उत्सुकता सभी को रहती है. सारी बहनें शुभ मुहूर्त पर ही अपने भाई को राखी बांधना चाहती हैं. आपकी इस चाहत को पूरा करने के लिए पंडित राजेंद्र जी बता रहे हैं राखी बांधने का सही मुहूर्त व समय तथा रक्षाबंधन से जुड़ी ज़रूरी जानकारी.
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि रक्षाबंधन भाई-बहन का त्योहार है. इस दिन बहनें अपने भाइयों को राखी बांधकर अपनी रक्षा की याद दिलाती हैं. साथ ही रक्षाबंधन के दिन अपने वरिष्ठजनों जैसे कुलदेवता, ईष्ट देवता, पितृदेवता, राजा इत्यादि को रक्षा-सूत्र बांधा जाता है. ऐसा उल्लेख है कि महाभारत में भी पांडवों की सेना में सभी ने एक-दूसरे को रक्षा-सूत्र बांधा था. आइए, जानते हैं कि इस साल राखी बांधने का सही मुहूर्त व समय क्या है.
रक्षाबंधन से जुड़ी ज़रूरी जानकारियां:
* ज्योतिष पंचांग के अनुसार पूर्णिमा तिथि 25 अगस्त को दोपहर 3 बजकर 16 मिनट से प्रारंभ हो जाएगी, जो 26 अगस्त को शाम 5 बजकर 25 मिनट तक रहेगी. इस दिन धनिष्ठा नक्षत्र दोपहर 12.35 बजे तक रहेगा.
* रक्षाबंधन का मुहूर्त 26 अगस्त को प्रातः 7.43 से दोपहर 12.28 बजे तक रहेगा. इसके बाद दोपहर 2.03 से 3.38 बजे तक रहेगा. शाम 5.25 पर पूर्णिमा तिथि समाप्त हो जाएगी, लेकिन सूर्योदय व्यापिनी तिथि मानने के कारण रात्रि में भी राखी बांधी जा सकेगी.
* जिन लोगों का यज्ञोपवीत संस्कार हुआ हो, वे अपने यज्ञोपवीत आज के दिन बदलते हैं, जो कि ‘श्रावणी उपाकर्म’ कहलाता है.
* इस दिन का महत्व ज्योतिष तथा तंत्र की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माना जाता है. अतः जिन लोगों की पत्रिका में चंद्रमा अस्त हो, नीच या शत्रु राशि में हो, वे दूध, चावल, सफेद वस्त्र इत्यादि दान कर अपना दोष दूर कर सकते हैं. इसी तरह जिन लोगों का चंद्रमा पत्रिका में अच्छा हो, वे मोती धारण कर चंद्रमा को प्रबल बना सकते हैं.
* यदि आपको अपनी कुंडली की जानकारी नहीं है, तो आप दूध से रुद्राभिषेक कर हर तरह का लाभ प्राप्त कर सकते हैं.
धन व ऐश्वर्य प्राप्त करने के लिए निम्न उपाय किए जा सकते हैं:
1) ‘ॐ चं चन्द्रमसे नम:’ का जप तथा हवन या ‘ॐ सों सोमाय नम:’ का जप-हवन करें.
2) रुद्र पूजन ‘ॐ सोमेश्वराय नम:’ का जप करें.
3) बड़ी बहन, माता, बुआ, मौसी इत्यादि को भेंट देकर आशीर्वाद प्राप्त करें.
4) महालक्ष्मी मंदिर में या घर पर ही लक्ष्मी पूजन कर दूध, चावल, केला व पंच मेवा से बनी खीर देवी को अर्पण करें तथा बालकों में प्रसाद वितरित करें, तब स्वयं ग्रहण करें.
5) रात्रि में दूध, चावल, श्वेत पुष्प मिश्रित कर चन्द्रमा को अर्घ्य दें तथा दिन में केवल श्वेत वस्तुएं ही भोजनादि में ग्रहण करें.
6) यदि सौभाग्यवश गुरु हों तो उन्हें पूजन कर भेंट दक्षिणा आदि अर्पण कर रक्षा-सूत्र बांधें. उनकी कृपा हमेशा बनी रहेगी.
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