बॉलीवुड के पावर कपल दीपिका पादुकोण (Deepika Padukone) और रणवीर सिंह (Ranveer Singh) जब से पैरेंट्स बने हैं, उनकी खुशियां सातवें आसमान (New parents Deepika and Ranveer) पर हैं. दीपिका पादुकोण ने पिछले हफ्ते ही बेबी गर्ल को जन्म दिया है. एक्ट्रेस फिलहाल मुंबई के एचएन रिलायंस अस्पताल में एडमिट हैं. कहा जा रहा है कि आज दीपिका अपनी बेबी गर्ल को लेकर घर लौट सकती हैं और पापा रणवीर सिंह अपनी दोनों लेडी लव को घर में वेलकम करने के लिए बेताब हैं.
पापा बनने के बाद से ही रणवीर के पैर ही जमीन पर नहीं पड़ रहे हैं. अब तक तो उनकी नन्हीं परी हॉस्पिटल में हैं, लेकिन आज दीपिका को डिस्चार्ज मिल जाएगा और वो अपनी बेबी गर्ल को लेकर घर लौटेंगी. बताया जा रहा है कि अपनी बेबी गर्ल को घर लाने के लिए रणवीर सिंह इतने एक्साइटेड (Ranveer Singh is excited to welcome his baby home) हैं कि उन्होंने दोनों के ग्रैंड होम वेलकम की पूरी प्लानिंग कर डाली है. रणवीर जो पहले ही दीपिका को अपने परिवार की लक्ष्मी बोलते थे, अब तो उनकी 2 लक्ष्मी हो गई हैं और अपनी दोनों लक्ष्मियों दीपिका और बेटी का वेलकम करने के लिए वो पूरी तरह से तैयार हैं और दोनों के ग्रैंड वेलकम की उन्होंने सारी तैयारियां कर डाली हैं.
रणवीर चाहते हैं कि उनके दिल की दोनों रानियां जब घर में एंटर करें, तो ये उनके लिए यादगार मोमेंट बन जाए और रणवीर इसे यादगार बनाने में पूरी तरह जुट गए हैं. बताया जा रहा है कि एक फादर के तौर पर अपनी लाइफ का नया चैप्टर शुरू करने को लेकर रणवीर एक्साइटेड हैं.
रिपोर्ट के अनुसार दूसरे स्टार्स की तरह दीपिका और रणवीर ने भी अपनी बेबी गर्ल के लिए नो फोटो पॉलिसी अपनाई है. उन्होंने पैपराजी से भी रिक्वेस्ट की है कि हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होते समय उनकी फोटोज़ न क्लिक करें. हालांकि फैंस उनकी लाडली की एक झलक देखने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं.
बता दें कि दीपिका पादुकोण और रणवीर सिंह ने 8 सितंबर को अपनी बेबी गर्ल को वेलकम किया था. कपल ने एक पोस्ट शेयर कर यह खुशखबरी सबके साथ शेयर की थी. पोस्ट में लिखा था, ‘वेलकम बेबी गर्ल. बर्थ डेट 8.9.2024.’
अमृतला विसरणं तिच्यासाठी शक्य नव्हतं…पण आई-वडिलांच्या आग्रहापुढे तिचं काहीच चाललं नाही. खुशी आता पंधरा वर्षांची…
अशा अनेक टीव्ही अभिनेत्री आहेत ज्यांनी आपल्या दमदार अभिनयाने प्रत्येक घराघरात लोकप्रियता मिळवली आहे आणि…
स्टार प्रवाहवर ११ ऑक्टोबरपासून सुरु होणाऱ्या ‘उदे गं अंबे… कथा साडे तीन शक्तिपीठांची’ या पौराणिक…
हिंदी चित्रपटसृष्टीतील अनेक दिग्गज तारे आहेत जे आपल्या मुलांशी मैत्रीपूर्ण संबंध ठेवतात, तर काही सेलिब्रिटी…
ख़ुद की तलाश में निकलती हूंमानो हर रोज़ अपने ही वजूद को तराशती हूं मैं समेट…
मैंने भीतर कमरे में झांका. प्रोफेसर अपने हाथों का सहारा देकर दादी को तकिए पर सुलाने का प्रयास कर रहे थे. कुछ पल वहीं रुक कर वह तेज़ी से बाहर निकले और द्वार पर मेरे पास से गुज़रे. उनकी छलकती आंखें बता रही थीं कि कहानी का अंत हो चुका है.क्या इसी को इच्छा मृत्यु कहते हैं? इस बारे में विचार फिर कभी. द्वार प्रोफ़ेसर नीलमणि ने ही खोला था. सीधा तना शरीर, गंभीर चेहरा और मेरी कल्पना के विपरीत एकदम भावशून्य. सोचा जाए तो एक अजनबी युवक को सामने देखकर किसी के चेहरे पर कोई भाव आ ही क्या सकता है? मैंने कहा, “क्या मैं प्रोफ़ेसर नीलमणि से मिल सकता हूं?”मेरा अंदाज़ा सही था. वे बोले, “मैं ही हूं नीलमणि.” मैंने फिर हिम्मत बटोर कर कहा, “क्या मैं भीतर आकर दो मिनट बात कर सकता हूं?” वह बिना कुछ बोले चुपचाप भीतर की ओर मुड़ गए. उनके ठीक पीछे चलता मैं उनके ड्रॉइंगरूम तक पहुंच गया. उन्होंने हाथों से ही मुझे बैठने का इशारा किया और स्वयंभी बैठ गए और प्रश्नवाचक मुद्रा में मेरी ओर देखा.मैं सोच में पड़ गया.इतने चुप्पे व्यक्ति के साथ कैसे बात हो सकती है और वह भी इतनी अंतरंग! पर कहना तो था ही मुझे. दो सौ किलोमीटर दूर मैं इसीलिए तो आया था.“मुझे दादी ने भेजा है..!" “दादी कौन?” उन्होंने मेरी बात पूरी होने से पहले ही पूछा.…