सकट चौथ को संकष्टी चतुर्थी, तिलकुट, माघ चतुर्थी के नामों से भी जाना जाता है. इस दिन विध्नहर्ता गणेश जी की पूजा का विधान है. इस दिन संतान की लंबी आयु के लिए माताएं निर्जला उपवास कर भगवान गणेश की उपासना करती हैं और चंद्रमा के दर्शन करती हैं. मान्यता है कि इस दिन जो भी माताएं गणेश जी की विधि-विधान के साथ पूजा और व्रत करती हैं, उनकी संतान हमेशा निरोग और दीर्घायु रहती हैं.
सकट चौथ की पूजा के समय सकट चौथ व्रत कथा का श्रवण करना भी ज़रूरी होता है. इसके श्रवण के बिना व्रत का फल नहीं मिलता है और व्रत भी पूरा नहीं माना जाता है.
ऐसी धार्मिक मान्यता है कि व्रत कथा का श्रवण करने से ही व्रत के महत्व का पता चलता है.
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एक समय एक राज्य में एक कुम्हार रहता था. एक दिन जब वह मिट्टी के बर्तन बना कर पकाने के लिए आंवां (मिट्टी के बर्तन पकाने के लिए जो आग लगाई जाती है ) लगाया, पर आंवां पका नहीं यानी उसमें मिट्टी के बर्तन पके नहीं. ये देखकर कुम्हार परेशान हो गया. तब वह राजा के पास गया और सारी बात बताई कि महाराज आंवां पक ही नहीं रहा है. तब राजा ने राज्य के राज पंडित को बुलाकर कुछ उपाय सुझाने को कहा. राज पंडित ने कहा, “यदि हर दिन आंवां लगाते समय गांव के एक-एक घर से एक-एक बच्चे की बलि दी जाए, तो आंवां पक जाएगा.
राजा ने आज्ञा दी कि पूरे नगर से हर दिन एक बच्चे की बलि दी जाएगी. कई दिनों तक ऐसा चलता रहा. जिस परिवार की बारी आती वह अपने बच्चों में से एक को बलि के लिए भेज देता था. इसी तरह से एक दिन एक बुढ़िया के घर की बारी आई, लेकिन उसे सिर्फ़ एक ही बेटा था, जो उसके बुढ़ापे का एकमात्र सहारा था. उसका अकेला बेटा अगर बलि चढ़ जाएगा, तो बुढ़िया का क्या होगा… ये सोच-सोच वह परेशान हो रही थी, पर राजा का आदेश था, जिसका उल्लंघन भी नहीं कर सकती थी. तभी उसने सकट की सुपारी और दूब देकर बेटे से कहा, “‘जा बेटा, सकट माता तुम्हारी रक्षा करेंगी.” और ख़ुद सकट माता का स्मरण कर उनसे अपने बेटे की सलामती की प्रार्थना करने लगी.
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उसके बेटे को आंवां मे बैठा दिया गया. अगली सुबह कुम्हार ने देखा की आंवां पूरी तरह से पक गया है और बालक भी पूरी तरह से सुरक्षित है, जबकि पहले तो कितने दिन लग जाते थे और फिर सकट माता की कृपा से नगर के अन्य सभी बालक जिनकी बलि दी गई थी, वह सभी भी जी उठें. यह देख सभी नगरवासियों ने सकट माता की महिमा स्वीकार कर ली.
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार उसी दिन से सकट चौथ के दिन मां अपने बेटे की लंबी उम्र के लिए भगवान गणेश की पूजा और व्रत करती हैं.
– रिंकी श्रीवास्तव
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