प्रत्येक मास की तिथियों के अनुसार जब शिव निवास गौरी पार्श्व में, कैलाश पर्वत पर, नंदी की सवारी एवं ज्ञान वेला में होता है, तो रुद्राभिषेक करने से सुख-समृद्धि, परिवार में आनंद मंगल और अभीष्ट सिद्धि की प्राप्ति होती है. परन्तु शिव वास श्मशान, सभा अथवा क्रीड़ा में हो, तो उन तिथियों में शिवार्चन करने से महा विपत्ति, संतान कष्ट व पीड़ादायक होता है. आइए जानें ज्योतिष और वास्तु एक्सपर्ट पंडित राजेंद्रजी से रुद्राभिषेक और शिव निवास से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें.
रुद्राभिषेक करने की तिथियां
कृष्णपक्ष की प्रतिपदा, पंचमी, अष्टमी, एकादशी, द्वादशी, अमावस्या, शुक्लपक्ष की द्वितीया, पंचमी, षष्ठी, नवमी, द्वादशी, त्रयोदशी तिथियों में अभिषेक करने से सुख-समृद्धि, संतान प्राप्ति एवं ऐश्वर्य प्राप्त होता है.
कालसर्प योग, गृहकलेश, व्यापार में नुक़सान, शिक्षा में रुकावट सभी कार्यो की बाधाओं को दूर करने के लिए रुद्राभिषेक आपके अभीष्ट सिद्धि के लिए फलदायक है.
किसी कामना से किए जाने वाले रुद्राभिषेक में शिव वास का विचार करने पर अनुष्ठान अवश्य सफल होता है और मनोवांछित फल प्राप्त होता है.
शिव निवास कब और कहां…
इसके अतिरिक्त ज्योर्तिलिंग क्षेत्र एवं तीर्थस्थान में तथा शिवरात्रि प्रदोष, श्रावण के सोमवार आदि पर्वो में शिव वास का विचार किए बिना भी रुद्राभिषेक किया जा सकता है.
वस्तुत: शिवलिंग का अभिषेक आशुतोष शिव को शीघ्र प्रसन्न करके साधक को उनका कृपा पात्र बना देता है और उनकी सारी समस्याएं स्वत: समाप्त हो जाती हैं.
अतः हम यह कह सकते हैं कि रुद्राभिषेक से मनुष्य के सारे पाप-ताप धुल जाते हैं.
स्वयं श्रृष्टि कर्ता ब्रह्मा ने भी कहा है कि जब हम अभिषेक करते हैं, तो स्वयं महादेव साक्षात् उस अभिषेक को ग्रहण करते हैं.
विभिन्न प्रकार के अभिषेक का फल
ऐसे तो अभिषेक साधारण रूप से जल से ही होता है, परन्तु विशेष अवसर पर या सोमवार, प्रदोष और शिवरात्रि आदि पर्व के दिनों मंत्र गोदुग्ध से विशेष रूप से अभिषेक किया जाता है.
विशेष पूजा में दूध, दही, घृत, शहद और चीनी से अलग-अलग अथवा सब को मिला कर पंचामृत से भी अभिषेक किया जाता है.
तंत्रों में रोग निवारण हेतु अन्य विभिन्न वस्तुओं से भी अभिषेक करने का विधान है.
इस प्रकार विविध द्रव्यों से शिवलिंग का विधिवत् अभिषेक करने पर कामना की पूर्ति होती है. इसमें कोई संदेह नहीं कि किसी भी पुराने नियमित रूप से पूजे जाने वाले शिवलिंग का अभिषेक बहुत ही उत्तम फल देता है. किन्तु यदि पारद, स्फटिक, नर्मदेश्वर अथवा पार्थिव शिवलिंग का अभिषेक किया जाए, तो बहुत ही शीघ्र चमत्कारिक शुभ परिणाम मिलता है. रुद्राभिषेक का फल बहुत ही शीघ्र प्राप्त होता है.
दध्ना च पशु कामाय श्रिया इक्षु रसेन च ।
मध्वाज्येन धनार्थी स्यान्मुमुक्षुस्तीर्थ वारिणः ।।
Photo Courtesy: Freepik
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