“सॉरी मां!... मां... पलक... ज़िंदगी... का दिया... सख़्त दंड... तुम कहती थीं...” मां ने मेरा सिर अपनी गोद में रख…
“जिनमें जुनून होता है, वो अध्ययन के लिए ज़रूरी समय निकाल ही लेते हैं. तू भी चुनौती मान ले ज़माने…
‘...कहां ग़लती हो गई कि मेरी बेटी वो बन गई, जो मैं उसे सपने में भी नहीं बनाना चाहती थी...…