अचानक मेरी नज़र पास रखी आम की बर्फी पर पड़ी. दी गई चार में से मात्र एक शेष थी. वहां…
दरवाज़ा खुल चुका था. सुमित्रा अपराधिनी की भांति सिर झुकाए खड़ी थी, लेकिन मेरी नज़रें तो उसके पीछे छुपने का…
"असल मेहनत तो तूने ही की है. ले खा." मन में एक डर भी रहता था कि इसे न दो,…
"भगवान का लाख-लाख शुक्र है, जो बच्चों को समय रहते हमारे पास सकुशल पहुंचा दिया." मैं राजन से कहती.…