स्वाति ख़ुश होने के साथ-साथ हैरान भी थी. आंटी आख़िर क्या साबित करना चाह रही हैं और किसे? उसकी सोच…
उफ़! आंटी की बातें याद करने लगती हूं, तो वहीं उलझकर रह जाती हूं. सच कितना सुकून मिलता है उनसे…
"जीवनसाथी छीनकर नियति जिसके संग वैसे ही इतना बड़ा अन्याय कर चुकी है, उसके प्रति समाज इतना निर्दयी कैसे हो…
अब स्वाति मां को कैसे समझाए कि उन्हें सारी दुनिया के सोचने, कहने की परवाह है, बस अपने बच्चों की…
"मां आंटी की तरह क्यूं नहीं हो सकती हैं? उसे और भैया को मां को दुखी और उदास देखकर कितना…