‘’जिस तड़प और तकलीफ़ से तुम्हें गुज़रना पड़ा होगा, उसे सोचता तो आत्मा तक कांप उठती मेरी. इसी से आज…
“कैसी हो पीहू...?” मैंने मुस्कुराकर कहा, “बहुत अच्छी... बहुत ख़ुश!” “पीहू... क्या कभी माफ़ कर सकोगी मुझे...?” मैंने व्यंग्य से…
मैं झुंझलाकर बोली, “समय ही तो नहीं है मेरे पास. अब तो मेरी पढ़ाई भी पूरी हो गई है. अब…
“ऐ स़फेद सूट...!” मैं ठिठक गई. समीर मेरी ओर ही आ रहे थे. मैं डर गई कि पता नहीं क्या…