पत्नी धर्म पूरी तरह निभा कर भी, घर के सब दायित्वों का निर्वाह करके भी. अंतरंग क्षणों में मन…
"आप मानेंगी नहीं मैं अपनी छोटी चचेरी-ममेरी बहनों का अपने घर आना किसी न किसी बहाने टाल जाती हूं.…
तुम मुझे देखकर हाथ माथे से छुआ देते और मैं मुस्कुरा कर स्वीकार कर लेती. ऐसा नहीं था कि…
बचपन में शायद तुम्हारे जज़्बात नहीं समझती थी, पर समय-समय पर मिलते रहने और बढ़ती उम्र के साथ बहुत…
मुझे वर्षों जानकर भी क्या कोई देख पाएगा मेरे जीवन में तुम्हारा अस्तित्व, तुम्हारी उपस्थिति? जबकि मैं जीवन का…